वर्षापात के फर्जी आंकड़ों को रोकने की कवायद

वर्षापात आंकड़ों का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी
है। इसके लिए जिला व प्रखंड स्तर पर ‘आटोमेटिक वेदर स्टेशन’ स्थापित होंगे।
राज्य में कृषि के विकास के लिए विश्वसनीय आंकड़ों का संग्रह आवश्यक है।
केन्द्र की स्थापना को लेकर शुक्रवार को एक होटल में कार्यशाला का आयोजन
किया गया।

कार्यशाला का उद्धाटन योजना व विकास विभाग के प्रधान सचिव विजय
प्रकाश ने किया। उन्होंने ’10 वषरें का जिलावार मासिक, सामान्य , औसत व
मौसमी वर्षापात के आंकड़े ‘ नामक पुस्तिका का लोकार्पण किया। वक्ताओं ने कहा
कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षापात व मौसम के संबंध में
विश्वसनीय आंकड़े नहीं उपलब्ध हो रहे हैं। इससे सबसे अधिक परेशानी कृषि
कार्यक्रम को लागू करने व अवर्षण की स्थिति में फसल क्षति का मुआवजा भुगतान
में हो रही है। वर्षापात के विश्वसनीय आंकड़ों के आधार पर फसल क्षति का
आकलन किया जाता है। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहा कि वर्षापात के आंकड़ों
का संग्रह केन्द्र समीप में ही होना चाहिए जबकि मौसम के आंकड़ों का केन्द्र
दूर में भी स्थापित हो सकता है। आटोमेटिक वेदर स्टेशन की स्थापना से
वर्षापात, तापमान, वायु की दिशा , वेग, आ‌र्द्रता व वायु के दबाव के आंकड़े
नियमित रूप से प्रतिदिन अर्थ व सांख्यिकी निदेशालय के सर्वर पर उपलब्ध
होंगे। विजय प्रकाश ने कहा कि इससे कृषि के लिए पूर्वानुमान व कृषि बीमा का
निस्तार के साथ ही आपदा प्रबंधन भी सुलभ होगा। कार्यशाला में पटना
विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रो. रासबिहारी सिंह, आईआईटी पटना के
प्रो. राजीव मिश्र, धीरू भाई अंबानी सूचना प्रावैधिकी संस्थान के प्रो.
प्रभात रंजन के अलावा जल संसाधन व आपदा प्रबंधन आदि के अधिकारियों ने भाग
लिया।

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