नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा के छह जिलों में महात्मा गांधी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [मनरेगा] के कार्यान्वयन के लिए दी
गई केंद्रीय राशि के उपयोग में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच कराने के
आदेश दिए हैं।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कापड़िया, न्यायमूर्ति केएस
राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की एक पीठ ने गुरुवार को सीबीआई
को मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए दी गई केंद्रीय राशि के उपयोग में कथित
अनियमितताओं की जांच करने के आदेश दिए।
पीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा मुहैया कराई गई सर्वे रिपोर्टो, सीएजी की
रिपोर्ट और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान [एनआईआरडी] की रिपोर्ट के आधार
पर यह जांच करने के आदेश दिए हैं। मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए उड़ीसा को
दी गई केंद्रीय राशि के उपयोग में कथित अनियमितताओं का पता कालाहांडी,
मयूरभंज, रायगढ़, भवानीपटनम, कोरापुट और मलकानगिरी जिलों में चला है।
पीठ ने सीबीआई से स्वतंत्र, निष्पक्ष और तेजी से जांच करने तथा छह माह
में पहली रिपोर्ट पेश करने को कहा है। जांच के बाद सीबीआई बताएगी कि
अधिकारियों के खिलाफ किस तरह के मामले बनते हैं।
इसके अलावा, पीठ ने मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए दी गई केंद्रीय राशि
के उपयोग में कथित अनियमितताओं के आरोपों के चलते उत्तर प्रदेश और मध्य
प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया है और छह सप्ताह में उनसे जवाब मांगा
है। न्यायालय ने यह आदेश एक गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फार एनवायरनमेंट एंड
फूड सिक्योरिटी’ की जनहित याचिका पर जारी किया। इस एनजीओ ने एक सर्वे में,
मनरेगा के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताएं पाई थीं। एनजीओ ने आरोप लगाया
था कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यान्वयन
के लिए दिए गए धन के व्यय में अनियमितताएं हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गत 16 दिसंबर को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए,
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का समुचित तरीके से
कार्यान्वयन न होने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की खिंचाई की थी।