भोपाल.
पांच साल। 5000 करोड़ रुपए खर्च। और, परिणाम, सूखती जमीन। यही हाल है
प्रदेश का, जहां बारिश के पानी को सहेजने के लिए सरकारी पैसा पानी की तरह
बहाया जा रहा है, लेकिन जमीन गीली होने की बजाय और सूखती जा रही है।
राज्य के 313 में से 28% ब्लॉक भूजल मामले में ‘सुरक्षित’ नहीं रहे हैं। 5
साल में 42 और ब्लॉक में खतरे की घंटी बज गई है। प्रदेश की यह चिंताजनक
तस्वीर राज्य स्तरीय भूजल आकलन समिति की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है।
किस श्रेणी में कितने ब्लॉक
श्रेणी वर्ष 2004 वर्ष 2009
सुरक्षित 265 224
सेमी क्रिटिकल 19 61
क्रिटिकल 5 4
ओवर एक्सप्लॉइटेड 24 24
श्रेणियों के मायने: सुरक्षित श्रेणी : भूजल की उपलब्ध मात्रा का 70
त्न तक दोहन, सेमी क्रिटिकल: 70-90 त्न तक दोहन, क्रिटिकल: 90-100 त्न तक
दोहन। ओवर एक्सप्लॉइटेड: 100 त्न से अधिक दोहन। यानी कोई अपने बचत खाते से
पूरी राशि तो निकाल ही ले, एफडी भी तुड़वाकर रुपए निकालने लगे।
राजधानी में भी स्थिति बिगड़ी
भोपाल का फंदा ब्लॉक इस बार भी सेमी क्रिटिकल श्रेणी में ही है, लेकिन वर्ष
2004 की तुलना में तो यहां भी जमीन के पानी का दोहन बढ़ा है। 2009 में
जमीन के पानी की उपलब्धता के अनुपात में यहां 93.3% का उपयोग हुआ, जबकि
पांच साल पहले 82.6% था।
हालात : गंभीर
89 ब्लॉक में स्थिति खराब
प्रदेश का भूजल भंडार घट रहा है। रिचार्ज में कमी, अत्यधिक दोहन के कारण 89
ब्लॉक में जमीन के पानी की स्थिति ठीक नहीं है। यह स्थिति भूजल आकलन समिति
की रिपोर्ट में सामने आई है। पांच साल में एक बार तैयार होने वाली इस
रिपोर्ट में वर्ष 2009 की स्थिति में भूजल और इसके उपयोग का आकलन किया गया
है।
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और राज्य सरकार के स्टेट
ग्राउंड वॉटर आर्गेनाइजेशन द्वारा संयुक्त रूप से तैयार इस रिपोर्ट पर
कमेटी ने गत 13 अप्रैल को ही मुहर लगाई है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की
रिपोर्ट के सूत्रों के अनुसार यह रिपोर्ट जल्द ही जारी होगी।
खर्च : बेतहाशा
तालाब, कुओं से भी नहीं सुधरी हालत
भूजल संवर्धन के लिए पांच वर्षो में पांच हजार 206 करोड़ रुपए खर्च हुए
हैं। 2006-07 से 2010-11 के दौरान जलाभिषेक अभियान, राजीव गांधी वॉटरशेड
मिशन, मनरेगा में सबसे ज्यादा राशि तालाब बनाने पर खर्च हुई है। (पंचायत
एवं ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट)
18 हजार 528 तालाबों पर 1281 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
तैयारी:कागजों पर
अस्तित्व में नहीं आया संचालनालय
भूजल प्रबंधन के लिए भूजल संचालनालय के गठन की घोषणा के 10 महीने बाद भी यह
अस्तित्व में नहीं आ पाया है। जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ने 23 फरवरी
2010 में विधानसभा में इसकी घोषणा की थी। शासन ने पिछले साल 26 जुलाई को
विश्व बैंक परियोजना के अंतर्गत राज्य जल संसाधन अभिकरण को भूजल संचालनालय
घोषित करते हुए प्रशासनिक कार्य, दायित्व निर्धारण के लिए एक कमेटी गठित कर
दी। इसके बाद कुछ नहीं हुआ। ऐसी ही तैयारी रही तो और बिगड़ेगी स्थिति
डॉ. सलीम रोमानी, पूर्व चेयरमैन, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (डॉ. रोमानी भोपाल में ही रहते हैं)
इसलिए बिगड़े हालात..
भूजल प्रबंधन का काम भू-वैज्ञानिकों की बजाय इंजीनियरों के भरोसे छोड़ दिया
गया है तो नतीजे कैसे आएंगे। कोई एक एजेंसी नहीं है जो भूजल का प्रबंधन कर
सके। यही वजह है कि राशि खर्च करने के बाद भी स्थिति बिगड़ रही है।
ये होगा असर
मालवा में गहराई तक टच्यूबवेल खोदने के कारण खारा पानी आने लगा है। ऊपरी
सतह पर मीठा पानी है। इसका दोहन ज्यादा होगा तो नीचे का खारा पानी ऊपर आ
जाएगा और भूमिगत स्रोतों की संरचना गड़बड़ा जाएगी।
किस पर कितना खर्च
कार्य संख्या राशि
तालाब 18528 1281
नए कुएं, बावड़ियों 132572 1235.51
का निर्माण
चेकडेम-स्टापडेम 12347 474.90
तालाबों का सुधार 17027 197.14
कार्य संख्या राशि
सिंचाई सुविधाओं 11033 278.46
पौधारोपण(हेक्टेयर में) 1644902 402.50
खेत तालाब 95879 311.38
योजना
मेढ़ बंधान(मीटर में)29520273 216.41
(राशि : करोड़ रुपए में, ये प्रमुख कार्य हैं, इसके अलावा भी अन्य काम हुए हैं)
(राशि : करोड़ रुपए में, ये प्रमुख कार्य हैं, इसके अलावा भी अन्य काम हुए हैं)
पांच साल। 5000 करोड़ रुपए खर्च। और, परिणाम, सूखती जमीन। यही हाल है
प्रदेश का, जहां बारिश के पानी को सहेजने के लिए सरकारी पैसा पानी की तरह
बहाया जा रहा है, लेकिन जमीन गीली होने की बजाय और सूखती जा रही है।
राज्य के 313 में से 28% ब्लॉक भूजल मामले में ‘सुरक्षित’ नहीं रहे हैं। 5
साल में 42 और ब्लॉक में खतरे की घंटी बज गई है। प्रदेश की यह चिंताजनक
तस्वीर राज्य स्तरीय भूजल आकलन समिति की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है।
किस श्रेणी में कितने ब्लॉक
श्रेणी वर्ष 2004 वर्ष 2009
सुरक्षित 265 224
सेमी क्रिटिकल 19 61
क्रिटिकल 5 4
ओवर एक्सप्लॉइटेड 24 24
श्रेणियों के मायने: सुरक्षित श्रेणी : भूजल की उपलब्ध मात्रा का 70
त्न तक दोहन, सेमी क्रिटिकल: 70-90 त्न तक दोहन, क्रिटिकल: 90-100 त्न तक
दोहन। ओवर एक्सप्लॉइटेड: 100 त्न से अधिक दोहन। यानी कोई अपने बचत खाते से
पूरी राशि तो निकाल ही ले, एफडी भी तुड़वाकर रुपए निकालने लगे।
राजधानी में भी स्थिति बिगड़ी
भोपाल का फंदा ब्लॉक इस बार भी सेमी क्रिटिकल श्रेणी में ही है, लेकिन वर्ष
2004 की तुलना में तो यहां भी जमीन के पानी का दोहन बढ़ा है। 2009 में
जमीन के पानी की उपलब्धता के अनुपात में यहां 93.3% का उपयोग हुआ, जबकि
पांच साल पहले 82.6% था।
हालात : गंभीर
89 ब्लॉक में स्थिति खराब
प्रदेश का भूजल भंडार घट रहा है। रिचार्ज में कमी, अत्यधिक दोहन के कारण 89
ब्लॉक में जमीन के पानी की स्थिति ठीक नहीं है। यह स्थिति भूजल आकलन समिति
की रिपोर्ट में सामने आई है। पांच साल में एक बार तैयार होने वाली इस
रिपोर्ट में वर्ष 2009 की स्थिति में भूजल और इसके उपयोग का आकलन किया गया
है।
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और राज्य सरकार के स्टेट
ग्राउंड वॉटर आर्गेनाइजेशन द्वारा संयुक्त रूप से तैयार इस रिपोर्ट पर
कमेटी ने गत 13 अप्रैल को ही मुहर लगाई है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की
रिपोर्ट के सूत्रों के अनुसार यह रिपोर्ट जल्द ही जारी होगी।
खर्च : बेतहाशा
तालाब, कुओं से भी नहीं सुधरी हालत
भूजल संवर्धन के लिए पांच वर्षो में पांच हजार 206 करोड़ रुपए खर्च हुए
हैं। 2006-07 से 2010-11 के दौरान जलाभिषेक अभियान, राजीव गांधी वॉटरशेड
मिशन, मनरेगा में सबसे ज्यादा राशि तालाब बनाने पर खर्च हुई है। (पंचायत
एवं ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट)
18 हजार 528 तालाबों पर 1281 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
तैयारी:कागजों पर
अस्तित्व में नहीं आया संचालनालय
भूजल प्रबंधन के लिए भूजल संचालनालय के गठन की घोषणा के 10 महीने बाद भी यह
अस्तित्व में नहीं आ पाया है। जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ने 23 फरवरी
2010 में विधानसभा में इसकी घोषणा की थी। शासन ने पिछले साल 26 जुलाई को
विश्व बैंक परियोजना के अंतर्गत राज्य जल संसाधन अभिकरण को भूजल संचालनालय
घोषित करते हुए प्रशासनिक कार्य, दायित्व निर्धारण के लिए एक कमेटी गठित कर
दी। इसके बाद कुछ नहीं हुआ। ऐसी ही तैयारी रही तो और बिगड़ेगी स्थिति
डॉ. सलीम रोमानी, पूर्व चेयरमैन, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (डॉ. रोमानी भोपाल में ही रहते हैं)
इसलिए बिगड़े हालात..
भूजल प्रबंधन का काम भू-वैज्ञानिकों की बजाय इंजीनियरों के भरोसे छोड़ दिया
गया है तो नतीजे कैसे आएंगे। कोई एक एजेंसी नहीं है जो भूजल का प्रबंधन कर
सके। यही वजह है कि राशि खर्च करने के बाद भी स्थिति बिगड़ रही है।
ये होगा असर
मालवा में गहराई तक टच्यूबवेल खोदने के कारण खारा पानी आने लगा है। ऊपरी
सतह पर मीठा पानी है। इसका दोहन ज्यादा होगा तो नीचे का खारा पानी ऊपर आ
जाएगा और भूमिगत स्रोतों की संरचना गड़बड़ा जाएगी।
किस पर कितना खर्च
कार्य संख्या राशि
तालाब 18528 1281
नए कुएं, बावड़ियों 132572 1235.51
का निर्माण
चेकडेम-स्टापडेम 12347 474.90
तालाबों का सुधार 17027 197.14
कार्य संख्या राशि
सिंचाई सुविधाओं 11033 278.46
पौधारोपण(हेक्टेयर में) 1644902 402.50
खेत तालाब 95879 311.38
योजना
मेढ़ बंधान(मीटर में)29520273 216.41
(राशि : करोड़ रुपए में, ये प्रमुख कार्य हैं, इसके अलावा भी अन्य काम हुए हैं)
(राशि : करोड़ रुपए में, ये प्रमुख कार्य हैं, इसके अलावा भी अन्य काम हुए हैं)