कोयला मंत्रालय ला रहा नई पुनर्वास नीति

कानपुर। ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल में भूमि अधिग्रहण के मसले पर
किसानों के आंदोलन को देखकर अब कोयला मंत्रालय एलर्ट हो गया है। उसे भी
कोयला खदानों एवं अन्य कामों के लिए किसानों एवं अन्य को विस्थापित करना
पड़ता है। कोयला मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह
विभाग की पुनर्वास और पुनस्र्थापन [रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट पालिसी] की
नई नीति तीन माह के अंदर तैयार करें ताकि जिस किसी की भूमि से उसको
विस्थापित किया जाए उसको कोई शिकायत न हो।

केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश
में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों के आंदोलन और आज के हालात को देखते हुए
कोयला मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह कोयला खदानों के
लिए किसानों एवं अन्य लोगों की भूमि लेने के मामले में पुरानी नीति की जगह
नई नीति तैयार करे। विभाग के अधिकारियों को तीन माह के अंदर नई पुर्नवास
और पुनस्र्थापन नीति तैयार कर उनके समक्ष पेश करने को कहा गया है ताकि उसे
शीघ्र लागू किया जा सके।

उन्होंने कहा कि कोयला मंत्रालय का ऐसा मानना है कि जिन लोगाें की जमीन
कोयला मंत्रालय अधिग्रहीत करे उनके साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी नहीं होनी
चाहिए और उन्हें उनकी जमीन की वाजिब कीमत मिलनी चाहिए इसी लिए मंत्रालय यह
सारी कवायद कर रहा है।

केंद्रीय कोयला मंत्री जायसवाल ने बताया कि अभी की पुनर्वास और
पुनस्र्थापन नीति के अनुसार जिस किसी की जमीन मंत्रालय लेता है और उसे
विस्थापित करता है उसे पांच लाख रुपये एकड़ की दर से मुआवजा और परिवार के एक
सदस्य को नौकरी दी जाती है।

उनसे पूछा गया कि इस मुआवजे को लेकर विस्थापित किए गए लोगों में रोष है
तो उन्होंने कहा कि इससे पहले कि लोग आंदोलन करें हमें ही अपनी पुरानी
पुनर्वास और पुनस्र्थापन नीति की समीक्षा कर लेनी चाहिए और नई नीति बनाकर
अमल में ले आनी चाहिए ताकि किसी को कोई शिकायत ही न हो।

उन्होंने कहा कि इस नई नीति को बनाकर उनके सामने पेश करने के लिए
मंत्रालय के अधिकारियों को तीन माह का समय दिया गया है और इस नीति के बनने
के बाद इसे तुंरत लागू कर दिया जाएगा इसके लिए मंत्रालय को चाहे जितनी
धनराशि खर्च करनी पड़े लेकिन हम विस्थापित हुए लोगों के हितों पर कतई आंच
नहीं आने देंगे।

उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा में किसानों के साथ जो भी हो रहा है वह
काफी गलत है और किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा मिलना ही चाहिए।

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