मुंबई [जासं]। महाराष्ट्र में प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा पार्क के
खिलाफ आंदोलन करते हुए सोमवार को पुलिस की गोली से एक युवक की मृत्यु के
बाद हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। शव के पोस्टमार्टम का विरोध कर रहे
आंदोलनकारियों ने जिला मुख्यालय रत्नागिरी बंद का आह्वान किया। उग्र आंदोलन
के दौरान मंगलवार को भी पुलिस ने लाठियां बरसाई, जिसके बदले में
आंदोलनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया। दूसरी ओर विधानसभा में गृहमंत्री
आरआर पाटिल ने सोमवार को हुई गोलीबारी की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं ।
सोमवार को स्थानीय शिवसेना विधायक राजन साल्वी के नेतृत्व में जैतापुर
परमाणु ऊर्जा पार्क के परियोजना स्थल पर विरोध करने पहुंचे आंदोलनकारियों
पर पुलिस ने लाठियां बरसाई थीं। इसके बाद गिरफ्तार आंदोलनकारियों को
छुड़ाने के लिए साखरी नाटे पुलिस थाने का घेराव कर रही भीड़ पर गोलियां चलाने
से एक युवक की मृत्यु हो गई थी, बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे । मृत
युवक तबरेज के पोस्टमार्टम का विरोध करते हुए मंगलवार को शिवसेना की ओर से
रत्नागिरी बंद का आह्वान किया गया था । सुबह से ही आंदोनलकारियों ने जिला
मुख्यालय रत्नागिरी पहुंचकर मुंबई-गोवा हाइवे पर बड़ी संख्या में टायरों को
आग लगा दी । जिसके कारण हाइवे पर आवागमन अवरुद्ध हो गया। आंदोलनकारियों ने
सिविल अस्पताल को घेर लिया। उनकी मांग थी कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी
की जाए एवं पोस्टमार्टम के समय मानवाधिकार संगठन के प्रतिनिधि भी उपस्थित
रहें। आंदोलनकारी गोली चलाने का आदेश देनेवाले जिलाधिकारी अजीत पवार के
निलंबन की भी मांग कर रहे थे। पूरी तरह से सफल बंद के बीच विरोध बढ़ता देख
प्रशासन ने रत्नागिरी शहर में धारा 144 लागू कर दी और सिविल अस्पताल के
बाहर जमी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज भी किया, जिसमें कई
आंदोलनकारियों को चोटें आई। बदले में भीड़ द्वारा सुरक्षाबलों पर भी पथराव
किया गया। जिसमें कुछ सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं । आंदोलन का समर्थन कर
रही शिवसेना के राज्यसभा सांसद मनोहर जोशी ने देर शाम रत्नागिरी पहुंचकर
आंदोलनकारियों को शांत करने की कोशिश की। इसके बावजूद आंदोलनकारी मारे गए
युवक का शव स्वीकार करने को तैयार नहीं थे।
महाराष्ट्र विधानसभा में भी जैतापुर की गोलीबारी का मुद्दा ही छाया रहा
। सामान्यत: परमाणु ऊर्जा परियोजना का समर्थन कर रही भाजपा के नेता एवं
नेता विरोधीदल एकनाथ खडसे द्वारा इस विषय पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव
लाया गया, जिसमें उन्होंने परियोजना का तो समर्थन किया, लेकिन उसे आगे
बढ़ाने के दमनकारी तरीकों पर सवाल भी उठाया। स्थगन प्रस्ताव पर चली लंबी
चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री आरआर पाटिल ने गोलीबारी की घटना की तो
न्यायिक जांच के निर्देश दिए, साथ ही यह भी कहा कि आंदोलन को हिंसक रूप
देने के लिए प्रेरित करनेवालों की जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं
जाएगा। गौरतलब है कि उनका इशारा शिवसेना पर शिकंजा कसने की ओर था ।
शिवसेना के लिए राजनीतिक जमीन बचाने का बहाना भी है जैतापुर
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। शिवसेना जैतापुर में वही भूमिका निभाना चाहती
है, जो कुछ वर्षपहले पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम-सिंगुर में तृणमूल
कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने निभाई थी। वह जैतापुर में परमाणु ऊर्जा
परियोजना विरोधी आंदोलन को हवा देकर कोकण में अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस
पाने की कोशिश भी कर रही है।
मुंबई से गोवा के बीच की सागरतटीय पंट्टी कोकण के नाम से जानी जाती है।
लंबे समय से कोकण क्षेत्र पर शिवसेना का राजनीतिक प्रभुत्व रहा है। साढ़े
चार वर्ष चली शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान शिवसेना के दोनों
मुख्यमंत्री मनोहर जोशी एवं नारायण राणे कोकण क्षेत्र के ही थे। मुंबई
निवासी मराठीभाषियों में भी बड़ी संख्या कोकण मूल के लोगों की है। कोकण पर
शिवसेना के प्रभुत्व के कारण ही मुंबई महानगरपालिका पर भी शिवसेना का ही
राज चलता आ रहा है। लेकिन कुछ वर्ष पहले नारायण राणे द्वारा शिवसेना छोड़कर
कांग्रेस में शामिल हो जाने के बाद कोकण में शिवसेना का प्रभाव घटकर आधा हो
गया है । कोकण में कम हुए प्रभाव का दुष्परिणाम निकट भविष्य में शिवसेना
को मुंबई महानगरपालिका चुनाव में भी देखना पड़ सकता है । इसलिए शिवसेना कोकण
में अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने केलिए जैतापुर परियोजना के विरोध का
सहारा ले रही है।
गौरतलब है कि कोकण के जिस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा
परियोजना प्रस्तावित है, संसद में उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नारायण राणे
के पुत्र नितेश राणे करते हैं। नारायण राणे स्वयं भी महाराष्ट्र सरकार के
उद्योग मंत्री है और कांग्रेस की नीति के अनुसार ही वह जैतापुर परियोजना का
समर्थन कर रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण की जैतापुर
यात्रा के दौरान भी राणे उनके साथ थे। उन्हें जैतापुर में परियोजना
विरोधियों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। राणे शिवसेना से निकले हुए पहले
ऐसे नेता हैं, जो शिवसेना से निकलने के बावजूद अपने क्षेत्र से न सिर्फ
स्वयं चुनकर आए, बल्कि अपने कई समर्थकों को भी चुनवाकर लाने में सफल रहे ।
यहां तक कि शिवसेना के दिग्गज सुरेश प्रभु को हराकर अपने पुत्र को सांसद
बनाने में भी वह सफल रहे। राणे द्वारा हथियाई गई यही राजनीतिक जमीन शिवसेना
को खटक रही है। वह जैतापुर विरोधी आंदोलनकारियों को समर्थन देकर उस
क्षेत्र में पुन: अपना राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना चाहती है ।
कितने सगे उद्धव ठाकरे
एक ओर जहां शिवसेना के समर्थन की आस लेकर जैतापुर परियोजना के विरोधी
आंदोलनकारी पुलिस की गोलियों से मर रहे हैं और लाठियां खा रहे हैं, वहीं
शिवसेना के कार्यकारी प्रमुख उद्धव ठाकरे अपना फोटोग्राफी का शौक पूरा करने
के लिए मध्यप्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान पहुंच गए हैं। पिछले सप्ताह
ही उद्धव ने जैतापुर जाकर परियोजना विरोधी आंदोलनकारियों को कंधे से कंधा
मिलाकर सहयोग करने का आश्वासन दिया था। दो दिन पहले ही उनके पिता शिवसेना
प्रमुख बाल ठाकरे ने जैतापुर आनेवाले कांग्रेसी नेताओं को मैतापुर
[मृत्युलोक] भेजने का तीखा संदेश अपने पार्टी मुखपत्र सामना के संपादकीय
में दिया था। उसके बाद ही जैतापुर में आंदोलनकारी उबाल पर आए और पुलिस की
गोली से किसी आंदोलनकारी की पहली बलि चढ़ी। मंगलवार भी स्थानीय शिवसेना
/>
नेताओंके ही नेतृत्व में रत्नागिरी में हिंसक आंदोलन जारी रहा । ऐसे में
उद्धव ठाकरे का अपने पुत्र आदित्य के साथ अपना फोटोग्राफी का शौक पूरा करने
कान्हा चले जाना उद्धव की राजनीतिक सोच पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
जैतापुर में परमाणु बिजली संयंत्र लगाने पर केंद्र अड़ा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तमाम विरोध प्रदर्शनों के बावजूद केंद्र
सरकार जैतापुर में प्रस्तावित बिजली कारखाने पर पुनर्विचार के लिए तैयार
नहीं है। इसकी जरूरत पर बल देते हुए केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री जयराम
रमेश ने कहा कि आर्थिक विकास की तेज रफ्तार बनाए रखने के लिए परमाणु ऊर्जा
का कोई विकल्प नहीं है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ खड़ी कांग्रेस ने
विरोध प्रदर्शनों को आर्थिक विकास रोकने के लिए गहरी साजिश करार दिया है।
जैतापुर में विरोध के दौरान सोमवार को एक प्रदर्शनकारी की मौत को दुखद
बताते हुए जयराम रमेश ने कहा कि प्रस्तावित कारखाने से जुड़े दूसरे मुद्दों
को पर्यावरण से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए। उन्होंने पिछले साल नवंबर में इस
कारखाने के लिए दी गई पर्यावरण मंजूरी पर पुनर्विचार करने से इंकार दिया।
रमेश के अनुसार जैतापुर की जनता प्रस्तावित कारखाने के लिए भूमि अधिग्रहण
के तरीके और उसके एवज में दिए गए मुआवजे को लेकर नाराज है। कुछ राजनीतिक दल
व संगठन उनकी इसी नाराजगी का फायदा उठाकर उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे
हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को आम जनता की इस नाराजगी को दूर
करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने साफ कर दिया कि पर्यावरण
मंजूरी के मामले को किसी विशेष दल या संगठन के निजी हित साधने का हथियार
बनने नहीं दिया जाएगा।