सेन को जमानत देने का विरोध, हाईकोर्ट में अपील

बिलासपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने पीयूसीएल के नेता विनायक सेन के
जमानत के विरोध में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर उच्च न्यायालय में अपील दायर की
है जिसे अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

अदालती सूत्रों ने शनिवार को बताया कि पीयूसीएल नेता विनायक सेन की
जमानत के विरोध में छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील की है।
इसे शुक्रवार को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। उच्चतम न्यायालय ने सेन
को जमानत दे दी है।

सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अपील पेशकर दलील दी है कि सेन
के नक्सलियों से संबंध और राजद्रोह की गतिविधियों को व्यापक परिप्रेक्ष्य
में देखा जाना चाहिए. निचली अदालत ने राजद्रोह के साथ धारा 120 बी में भी
सेन को सजा सुनाई है। धारा 120 बी आपराधिक षड़्यंत्र में पूरी तरह शामिल
होने का आधार है, इस कारण सेन को जमानत दिया जाना उचित नहीं है। छत्तीसगढ़
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की अदालत ने 24 दिसंबर 2010 को
राजद्रोह के आरोप में सेन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सेन के साथ नक्सली
नेता नारायण सान्याल और कोलकाता के व्यापारी पीजूष गुहा को भी आजीवन
कारावास की सजा सुनाई गई थी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को सेन की
जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उनके पास से नक्सली
साहित्य बरामद हुआ था और वे सान्याल के साथ नक्सली पर्चो का आदान-प्रदान
करते थे।

बाद में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा जमानत न देने के फैसले के खिलाफ सेन
ने उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाई थी। उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल को
निचली अदालत द्वारा जमानत की शर्तें तय करने के आदेश के साथ सेन को जमानत
दे दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *