सुहाने सफर के लिए कटेंगे 1437 पेड़!- अजय ठाकुर

बेहतर सड़क मार्ग चाहिए तो पर्यावरण से समझौता करने के लिए भी तैयार
रहें। करीब 68 करोड़ रुपये की लागत से हो रहे आशादेवी-नादौन राष्ट्रीय
मार्ग-सत्तर के कायाकल्प के लिए एक-दो नहीं बल्कि हजारों वृक्षों की बलि
देनी होगी। वन विभाग की अम्ब रेंज के अंतर्गत आशादेवी से सीकरां दा परोह
गांव तक ही इस सड़क मार्ग के निर्माण के लिए एक हजार चार सौ सैंतीस वृक्ष
काटने पड़ेंगे।

आशादेवी-नादौन राष्ट्रीय मार्ग-सत्तर की बेहतर चौड़ाई के साथ सड़क मार्ग
के बेहतर निर्माण के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा टेंडर
प्रक्रिया पूर्ण करके करीब 68 करोड़ रुपये का टेंडर आवंटित भी कर दिया है।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा इस सड़क मार्ग की चौड़ाई सात मीटर पक्की
करने का फैसला लिया है। सात मीटर चौड़ी सड़क पंट्टी बनाने की आड़ में कई वृक्ष
बाधक बन रहे थे। आशादेवी से सीकरां दा परोह तक ही सड़क की चौड़ाई पूरी करने
के लिए विभिन्न प्रजातियों के 1437 पेड़ बाधक बन रहे हैं। जिनकी बकायदा
गिनती पूरी हो चुकी है और इन वृक्षों को काटने के लिए केंद्रीय लोक निर्माण
विभाग द्वारा वन विभाग से मंजूरी लेने का आवेदन भी कर दिया है। जो पेड़
काटे जाने हैं उनमें सफेदा, आम व बहुमूल्य खैर प्रजाति के असंख्य पेड़ हैं।
इन वृक्षों को काटने की अनुमति मिलने के बाद वन निगम के पास इन वृक्षों को
काटने का जिम्मा होगा। इनमें से कई वृक्ष ऐसे हैं जो वर्षो पुराने हैं।
जाहिर है कि इस सड़क मार्ग का निर्माण कार्य पूरा होने पर इस मार्ग पर सफर
तो सुहाना हो जाएगा लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किए
जा रहे प्रयासों को जरूर करारा झटका कहा जा सकता है। उधर वन विभाग के अम्ब
रेंज के अधिकारी जनम सिंह का कहना है कि आशादेवी से सीकरां दा परोह तक
विभिन्न प्रजातियों के 1437 वृक्षों की मार्किग की गई है। केंद्रीय लोक
निर्माण विभाग द्वारा सड़क को चौड़ा करने के लिए इन वृक्षों को काटने के लिए
मांगी गई अनुमति के लिए मामला उच्च अधिकारियों को प्रेषित किया गया है।

वहीं होशियारपुर-नादौन राष्ट्रीय सड़क मार्ग को अब नए नम्बर से जाना
जाएगा। इस सड़क मार्ग को केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय
मार्ग को सत्तर नम्बर अलाट किया था, लेकिन अब इसका नम्बर बदल कर इसे
राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर-तीन कर दिया गया है।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंता आरके शर्मा का कहना है कि
इसकी अधिसूचना केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा ही जारी की जाती है।

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