नई दिल्ली। ऐसे समय में जब संसद विवादित लोकपाल विधेयक पर चर्चा करने की
तैयारी में है, एक पूर्व नौकरशाह ने कहा है कि ज्यादातर उद्योग घराने
सरकारी नीतियों को प्रभावित करने या अपने पक्ष में निर्णय के लिए सासदों को
साध कर रखते हैं।
आर्थिक खुफिया ब्यूरो के पूर्व महानिदेशक बी.वी. कुमार ने अपनी नई
किताब ‘दि डार्कर साइड आफ ब्लैक मनी’ में लिखा है कि कुछ बड़े उद्योग घराने
जोखिम से बचाव के लिए विपक्ष में बैठे सासदों को चढ़ावा चढ़ाते हैं ताकि यह
उनके हित के किसी भी मुद्दे का ये सांसद विरोध न करें। ये उद्योग घराने इस
तरह के चढ़ावे को दीर्घकालीन निवेश के तौर पर मानते हैं।
वर्ष 1958 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल होने के बाद अपने 35 वर्ष
के कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले कुमार ने लिखा है कि
ज्यादातर राजनीतिक दल जब विपक्ष में होते हैं तो भ्रष्टाचार उजागर करने में
दिलचस्पी दिखाते हैं। सरकार गिराने या सरकार में बदलाव आने पर इस मुद्दे
में उनकी दिलचस्पी घट जाती है।
कुमार का कहना है कि भले ही राजनीतिक पार्टियों के बीच भ्रष्टाचार एक
बड़ा मुद्दा बन चुका है, ज्यादातर राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के
निर्देशों के बावजूद अपने खातों की जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया नहीं कराई
है।
अपनी प्रस्तावना में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन
ने लिखा है कि डार्क साइड आफ ब्लैक मनी के प्रकाशन का इससे बेहतर समय और
कोई नहीं हो सकता।
भारत से काला धन विश्व के विभिन्न हिस्सों में जाने से न केवल देश को
नुकसान हो रहा है, बल्कि आतंकियों द्वारा इस धन के दुरुपयोग की आशका है।