रत्नागिरी में बंद के दौरान हिंसा, एक की मौत

मुंबई। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की
गोलीबारी के विरोध में मंगलवार को शिव सेना ने बंद का आह्वान किया है। इस
दौरान कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी हुई है।

सोमवार को प्रदर्शनकारी 9,900 मेगावाट की जैतापुर परमाणु ऊर्जा
परियोजना का विरोध कर रहे थे, तभी पुलिस ने उन पर गोलियां चला दी और एक
प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

पुलिस ने बताया कि शिव सेना के कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक परिवहन की
बसों पर पत्थर फेंके, उनके शीशे तोड़ दिए और रत्नागिरी-कोल्हापुर राजमार्ग
पर जलते हुए टायर फेंककर मार्ग अवरुद्ध कर दिया। अन्य स्थानों पर भी
उन्होंने ट्रकों और बसों के टायरों को नुकसान पहुंचाया।

कोंकण बचाओ समिति की अध्यक्ष वैशाली पाटील ने बंद को सफल बताया है।

पर्यटकों के पसंदीदा स्थलों चिपलम, केल्शी, दापोली, जिला मुख्यालय
रत्नागिरी सहित पूरे जिले और नेत, मधबन व जैतापुर जैसे गांवों में भी बंद
का असर पड़ा है। मंगलवार को यहां की सभी दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान
बंद है। पुलिस ने पूरे जिले में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। कई स्थानों पर
व्यवस्थाएं देखने के लिए शीर्ष नागरिक व पुलिस अधिकारी मौजूद है।

कोंकण बचाओ समिति और जनहित सेवा समिति ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर
सखरी-नेत गांव में सोमवार को हुई पुलिस गोलीबारी की निंदा की है। इस
गोलीबारी में 30 वर्षीय मछुआरे तबरेज पेहेकर की मौत हो गई थी और कई अन्य
गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस
गोलीबारी में मारे गए तबरेज पेहेकर के परिवार ने उसके शव पर दावा करने से
इंकार कर दिया है।

एक प्रदर्शनकारी ने मंगलवार को बताया कि तबरेज के परिवार का कहना है कि
पहले प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश देने के जिम्मेदार पुलिस
अधिकारी को निलंबित किया जाए।

कोंकण बचाओ समिति [केबीएस] की अध्यक्ष वैशाली पाटील कहती है कि तबरेज
की पत्नी सहित अन्य पारिवारिक सदस्य रत्नागिरी सिविल अस्पताल परिसर में
धरने पर बैठे हुए है। तबरेज का शव इसी अस्पताल में रखा हुआ है। पाटील ने
कहा कि हम अंतिम संस्कार के लिए शव पर तब तक दावा नहीं करेगे जब तक कि
सरकार सोमवार को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी का आदेश देने वाले उप
प्रभागीय पुलिस अधिकारी [एसडीओ] को निलम्बित नहीं कर देती है।

केबीएस, जनहित सेवा समिति और कई अन्य गैर सरकारी संगठन व लोक समूहों ने
यह मांग भी उठाई है कि मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण इस मामले में तुरंत
हस्तक्षेप करे और 9,900 मेगावाट की जैतापुर परियोजना को रद्द करें।

परियोजना को लेकर ठाकरे ने दी धमकी

-शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना लादने
वालों का ‘मयतापुर’ बनाने की धमकी दी है। उनकी इस धमकी का असर भी सोमवार को
रत्नागिरी जिले में दिखा। यहा परियोजना का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों ने
नाते पुलिस स्टेशन पर पथराव कर 7-8 पुलिस कर्मियों को जख्मी कर दिया। जिसके
जवाब में पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी।

ठाकरेने केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि अनशन पर बैठे नेताओं
के समक्ष सरकार चार दिन में घुटने टेक देती है, जबकि आक्रोश व्यक्त करने
वाले जैतापुरवासियों के प्रति दमनकारी नीति अपनाई जाती है।

उन्होंने काग्रेस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इनके लिए लोकतंत्र सिर्फ
चुनाव तक ही सीमित रहता है, क्योंकि बाद में वे मनमानी से ही राज्य चलाते
हैं।

शिवसेना प्रमुख ने कहा कि जयराम रमेश भले ही केंद्रीय पर्यावरण व वन
विभाग के मंत्री हों, परंतु उन्हें महाराष्ट्र में जंगली कानून लागू कर
जैतापुर की वाट [दुर्दशा] लगाने नहीं देंगे। इस प्रकार की चेतावनी ठाकरे ने
दी है। उन्होंने कहा कि ग्रामसभा एक तरह से गाव की संसद होती है। जैतापुर
की ग्रामसभा ने अपने यहा परमाणु ऊर्जा परियोजना के खिलाफ प्रस्ताव पास किया
है। इसके बावजूद जयराम रमेश ग्रामसभा की भावना मानने को तैयार नहीं हैं।

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