नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश और बिहार में किसान अपना गेहूं
समर्थन मूल्य से कम पर बेचने को मजबूर हैं। केंद्रीय खाद्य एजेंसी एफसीआइ
के हाथ पीछे खींच लेने से किसानों की हालत और भी तंग हो गई है। एफसीआइ ने
उत्तर प्रदेश में मुट्ठी भर भी अनाज नहीं खरीदा है। उसके खरीद केंद्रों में
ताला पड़ा हुआ है। किसानों की इस बदहाली के बीच केंद्रीय खाद्य राज्यमंत्री
केवी थॉमस पूरे लाव-लश्कर के साथ मंगलवार से उत्तर प्रदेश का दौरा शुरू कर
रहे हैं।
खाद्य राज्यमंत्री अपने तीन दिवसीय दौरे में गेहूं खरीद की प्रगति के
साथ राशन प्रणाली की समीक्षा भी करेंगे। थॉमस पहले दिन ही लखनऊ से सीधे
बाराबंकी स्थित एफसीआइ डिपो का मौका मुआयना करेंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश के
किसानों का हाल पूछने वाला कोई नहीं है। निजी व्यापारी समर्थन मूल्य से कम
दर पर गेहूं खरीदने के लिए बाध्य हैं।
व्यापारिक सूत्रों की मानें तो निजी व्यापारिक कंपनियों के एजेंट राज्य
में सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि थॉमस के इस दौरे से शायद गेहूं की खरीद
शुरू हो जाए।
राज्य की अधिकृत मंडियों में गेहूं की कुल आवक के मुकाबले सरकारी खरीद
बहुत कम हुई है। गेहूं खरीद के लिए स्थापित केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के ताजा
बुलेटिन में कुल 38 लाख टन गेहूं की खरीद हो पाई है। इसमें उत्तर प्रदेश
की भागीदारी सिर्फ 45 हजार टन है। राज्य की इस खरीद में एफसीआइ का हिस्सा
112 टन है। सूत्रों की मानें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अभी
तक एफसीआइ के खरीद केंद्रों के ताले ही नहीं खोले गए हैं।
केंद्रीय मंत्री प्रदेश के कुछ जिलों का भी दौरा कर खरीद केंद्रों का
जायजा लेंगे। राजधानी लखनऊ में राज्य की राशन प्रणाली की गहन समीक्षा भी
करेंगे। प्रदेश में फर्जी राशन कार्ड और अन्य कई गंभीर मसलों पर भी चर्चा
होनी है।