रायपुर। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता
डॉक्टर बिनायक सेन को सोमवार शाम यहां सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया।
करीब चार माह बाद 61 वर्षीय सेन के जेल से बाहर आते ही उनकी दोनों बेटियां
उनसे लिपट गईं। सेन की अगवानी के लिए उनकी मां, पत्नी और पीपुल्स यूनियन
फॉर सिविल लिबर्टीज के कई कार्यकर्ता वहां मौजूद थे।
इससे पहले दिन में सेन के वकील महेंद्र दुबे ने जिला व सत्र अदालत को
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति सौंपी। सुप्रीम कोर्ट ने चार दिन पहले सेन
को जमानत दे दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तो का फैसला
निचली अदालत पर छोड़ दिया था। स्थानीय अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के
निर्देशानुसार सेन की जमानत की शर्ते तय कीं और 50-50 हजार रुपये के निजी
मुचलके व जमानत राशि पर उनकी रिहाई का आदेश जारी कर दिया। अदालत ने सेन को
अपना पासपोर्ट जमा कराने, देश नहीं छोड़ने और जरूरत पड़ने पर हाई कोर्ट में
पेश होने का निर्देश दिया।
सत्र अदालत ने पिछले साल दिसंबर में सेन को नक्सलियों की मदद के लिए
देशद्रोह के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मौके पर सेन की
पत्नी इलिना ने कहा, ‘हमने आदिवासियों की भलाई के लिए लंबे समय तक संघर्ष
किया है। हम अपना कार्य जारी रखेंगे।’