स्वच्छ यमुना के लिए ‘अन्नागीरी’ पर 74 किसान

इलाहाबाद/नई दिल्ली।
यमुना की अविरल निर्मल धारा के लिए जंतर-मंतर पर साधु-संतों व किसानों का
अनशन तीसरे दिन भी जारी रहा। यमुना में हथनीकुंड बैराज से पानी छोडऩे व
यमुना में नालों को डालने से रोकने की मांग पर रविवार को अनशन पर बैठे
साधुओं व किसानों की संख्या ७४ हो गई। शनिवार दोपहर ११ बजे के बाद से
प्रदर्शनकारियों व सरकार के बीच किसी तरह का संवाद नहीं है। उम्मीद जताई जा
रही है कि सोमवार को सरकार की ओर से यमुना की जलधारा छोडऩे को लेकर कोई
प्रस्ताव आ सकता है।




इलाहाबाद में संगम तट से यमुना की उल्टी धारा में पैदल चलकर सैकड़ों
आंदोलनकारी दिल्ली पहुंचे हैं, जिसमें अधिकांश ब्रज के साधु-संत व यमुना तट
पर बसे गांवों में खेती करने वाले किसान शामिल हैं। शुक्रवार को दिल्ली
पहुंचने के बाद आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया
गांधी, जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से
मुलाकात की और सबने इनकी मांग को जायज ठहराया।




आंदोलनकारियों के मंच पर समर्थन जताने के लिए पहुंचने वालों में सोनिया
गांधी के प्रतिनिधि के तौर पर ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन, उत्तर
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी व पर्यावरणविद
राजेंद्र सिंह समेत कई सांसद व विधायक पहुंचे। शनिवार को सुबह ११ बजे जल
संसाधन मंत्रालय में सचिव स्तर पर आंदोलनकारियों से हुई बातचीत में सरकार
यमुना में पानी छोडऩे पर तो राजी हो गई लेकिन इस मसले पर कोई फैसला नहीं हो
सका कि कितना पानी छोड़ा जाएगा। कहा गया कि पानी की मात्रा तय करने के लिए
दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश की सरकारों से बात करनी होगी।

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