नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: यमुना बचाओ आंदोलन के तहत जंतर-मंतर पर
पांच दिन से चल रहा संतों का क्रमिक अनशन रविवार को पांचवें दिन आमरण अनशन
में तब्दील हो गया। आज 75 साधु संत व किसानों ने आमरण भूख हड़ताल की घोषणा
करते हुए अन्न त्याग दिया। सोमवार से अनशन में अन्य लोगों के शामिल होने की
संभावना है। किसानों ने सोमवार से कोशी में रेल मार्ग बाधित करने की
चेतावनी दी है। उधर, यमुना में पानी छोड़ने के मसले पर सरकार द्वारा की जा
रही हीला हवाली के विरोध में मथुरा, वृंदावन, भरतपुर व धौलपुर में स्थानीय
लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया।
इलाहाबाद से पदयात्रा कर राजधानी पहुंचे हजारों की संख्या में
साधु-संतों व किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है। इस
क्रम में सांसद बलबीर पुंज व कालिंदी सेवा संस्थान के गोपालाचार्य सहित
बड़ी संख्या में डॉक्टरों व वकीलों ने भी अनशन को संबोधित किया। भारतीय
किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने चेतावनी दी है कि
किसान जंतर-मंतर से तब तक नहीं हिलेंगे जब तक यमुना में समुचित पानी नहीं
छोड़ा जाता। उधर, जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे संतों द्वारा ढोल मंजीरे की
थाप पर भजन-कीर्तन का जाप जारी रहा। बृजवासियों द्वारा यहां भांग घोटने व
लोगों में वितरित करने का काम भी दिनभर चलता रहा। धरने पर बैठे लोगों के
मुताबिक सरकार का काम अब केवल आश्वासन से नहीं चलेगा। जब तक यमुना में पानी
की मात्रा व इसे छोड़ने के समय सीमा की घोषणा नहीं की जाती तब तक संत यहां
से नहीं हिलेंगे। विदित हो कि ब्रज के संत व किसानों ने यमुना बचाने के लिए
इलाहाबाद से अपनी पदयात्रा शुरू की थी और 45 दिनों तक पैदल चलकर राजधानी
पहुंचे हैं।
लाल बाबा का अनशन भी जारी
जंतर मंतर पर यमुना को बचाने के लिए चल रहे अभियान से इतर वृंदावन के एक
अन्य स्वामी मोहनानंद उर्फ लाल बाबा की यमुना किनारे चल रही भूख हड़ताल
लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। लाल बाबा ओखला बराज के किनारे शनिवार से ही
भूख हड़ताल पर बैठे हैं। बाबा ने 28 मार्च को वृंदावन से पदयात्रा शुरू कर
हरियाणा के हथिनी कुंड तक की यात्रा की। बाबा का कहना है कि जब तक सरकार
यमुना में पानी नहीं छोड़ती उनका अनशन जारी रहेगा।