शिमला।
राष्ट्रीय महत्व के रेणुका पावर प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदने पर विवाद के
चलते रोक लगा दी गई है। अब तक जो जमीन खरीदी गई थी, उसमें क्षेत्र विशेष
के जन प्रतिनिधियों को ही विश्वास में लिया गया था। इस पर कुछ लोगों को
आपत्ति है। उनका कहना है कि विस्थापन के बावजूद उन्हें जमीन नहीं दिखाई गई।
यानी जन प्रतिनिधि की बजाए विस्थापित का पक्ष सुना जाना चाहिए था। इसे
देखते हुए भविष्य में जमीन की खरीद उसी स्थिति में होगी, जब जमीन दिखाई
जाएगी। हिमाचल प्रदेश पावर कॉपरेरेशन लि. (एचपीपीसीएल) ने फैसला किया है कि
जब तक लोग सहमति नहीं हो जाते, आगे भूमि खरीदने पर रोक जारी रहेगी।
सरकार की तरफ से अब तक 417.11 बीघा जमीन तलाशी गई है। अभी 500 बीघा जमीन की
और जरूरत है। इस प्रोजेक्ट से 150 परिवारों को अपनी पुरानी जगह छोड़नी
होगी, जबकि 1500 परिवार ऐसे हैं, जिनकी जमीन का कुछ न कुछ हिस्सा इसमें
जाएगा। 417.11 बीघा जमीन में से 24.1 बीघा पांवटा के सैनवाला, 59.12 बीघा
पांवटा के टोंक्यो, 247.18 बीघा पांवटा के अंबोया एवं 86 बीघा जमीन नाहन
तहसील के चाकली गांव में है। यह जमीन आधे से कम विस्थापितों के लिए
पर्याप्त होगी, लेकिन आधे से अधिक को अभी 500 बीघा जमीन की और तलाश है।
विस्थापितों के लिए जमीन खरीद के लिए मापदंड तय किए गए हैं। इसमें जिन
लोगों की अधिक संख्या में उपजाऊ भूमि गई है, उनको कम से कम पांच बीघा जमीन
दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जिनकी उपजाऊ भूमि नहीं गई है, उन्हें उसका उचित
मुआवजा दिया गया है।
राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट
हिमाचल प्रदेश पावर कॉपरेरेशन लिमिटेड की तरफ से 40 मेगावाट का रेणुका
प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्व का है। इससे न केवल हिमाचल प्रदेश को बिजली
मिलेगी, बल्कि पड़ोसी राज्य दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश को भी
इससे लाभ होगा। इससे इन राज्यों को गैर मानसून सीजन में पानी उपलब्ध करवाया
जाएगा।
विस्थापितों की चेतावनी, नहीं बनने देंगे बांध
नाहन। पीएपीएन संस्था ने सोमवार को नाहन के एसएफडीए हॉल में जिला
स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया। रेणुका बांध के विस्थापितों के लिए आयोजित इस
सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया कि रेणुका बांध को किसी भी सूरत में नहीं
बनने दिया जाएगा।
सम्मेलन में कहा कि समिति प्रदेश और केंद्र सरकार से रेणुका बांध के लिए वन
की मंजूरी न देने की मांग करेगी। इसके साथ ही रेणुका बांध के विरोध में चल
रहे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर और तेज कर दिया जाएगा। एसएफडीए हॉल में
आयोजित इस जिला स्तरीय सम्मेलन में माइन मिनरल एंड पीपुल्स के राष्ट्रीय
अध्यक्ष श्रीधर राममूर्ति, हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह,
पीएपीएनसंस्था के अध्यक्ष कुलदीप वर्मा, रवि मित्तल, राकेश राय, गुमान
सिंह, रेणुका बांध जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह तोमर, संयोजक
योगेंद्र कपिला, सचिव संजय, सतपाल मान व पूर्ण चंद समेत 200 के करीब लोगों
ने भाग लिया।
राष्ट्रीय महत्व के रेणुका पावर प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदने पर विवाद के
चलते रोक लगा दी गई है। अब तक जो जमीन खरीदी गई थी, उसमें क्षेत्र विशेष
के जन प्रतिनिधियों को ही विश्वास में लिया गया था। इस पर कुछ लोगों को
आपत्ति है। उनका कहना है कि विस्थापन के बावजूद उन्हें जमीन नहीं दिखाई गई।
यानी जन प्रतिनिधि की बजाए विस्थापित का पक्ष सुना जाना चाहिए था। इसे
देखते हुए भविष्य में जमीन की खरीद उसी स्थिति में होगी, जब जमीन दिखाई
जाएगी। हिमाचल प्रदेश पावर कॉपरेरेशन लि. (एचपीपीसीएल) ने फैसला किया है कि
जब तक लोग सहमति नहीं हो जाते, आगे भूमि खरीदने पर रोक जारी रहेगी।
सरकार की तरफ से अब तक 417.11 बीघा जमीन तलाशी गई है। अभी 500 बीघा जमीन की
और जरूरत है। इस प्रोजेक्ट से 150 परिवारों को अपनी पुरानी जगह छोड़नी
होगी, जबकि 1500 परिवार ऐसे हैं, जिनकी जमीन का कुछ न कुछ हिस्सा इसमें
जाएगा। 417.11 बीघा जमीन में से 24.1 बीघा पांवटा के सैनवाला, 59.12 बीघा
पांवटा के टोंक्यो, 247.18 बीघा पांवटा के अंबोया एवं 86 बीघा जमीन नाहन
तहसील के चाकली गांव में है। यह जमीन आधे से कम विस्थापितों के लिए
पर्याप्त होगी, लेकिन आधे से अधिक को अभी 500 बीघा जमीन की और तलाश है।
विस्थापितों के लिए जमीन खरीद के लिए मापदंड तय किए गए हैं। इसमें जिन
लोगों की अधिक संख्या में उपजाऊ भूमि गई है, उनको कम से कम पांच बीघा जमीन
दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जिनकी उपजाऊ भूमि नहीं गई है, उन्हें उसका उचित
मुआवजा दिया गया है।
राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट
हिमाचल प्रदेश पावर कॉपरेरेशन लिमिटेड की तरफ से 40 मेगावाट का रेणुका
प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्व का है। इससे न केवल हिमाचल प्रदेश को बिजली
मिलेगी, बल्कि पड़ोसी राज्य दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश को भी
इससे लाभ होगा। इससे इन राज्यों को गैर मानसून सीजन में पानी उपलब्ध करवाया
जाएगा।
विस्थापितों की चेतावनी, नहीं बनने देंगे बांध
नाहन। पीएपीएन संस्था ने सोमवार को नाहन के एसएफडीए हॉल में जिला
स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया। रेणुका बांध के विस्थापितों के लिए आयोजित इस
सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया कि रेणुका बांध को किसी भी सूरत में नहीं
बनने दिया जाएगा।
सम्मेलन में कहा कि समिति प्रदेश और केंद्र सरकार से रेणुका बांध के लिए वन
की मंजूरी न देने की मांग करेगी। इसके साथ ही रेणुका बांध के विरोध में चल
रहे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर और तेज कर दिया जाएगा। एसएफडीए हॉल में
आयोजित इस जिला स्तरीय सम्मेलन में माइन मिनरल एंड पीपुल्स के राष्ट्रीय
अध्यक्ष श्रीधर राममूर्ति, हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह,
पीएपीएनसंस्था के अध्यक्ष कुलदीप वर्मा, रवि मित्तल, राकेश राय, गुमान
सिंह, रेणुका बांध जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह तोमर, संयोजक
योगेंद्र कपिला, सचिव संजय, सतपाल मान व पूर्ण चंद समेत 200 के करीब लोगों
ने भाग लिया।