प्राइवेट स्कूलों की फीस पर सरकार का नियंत्रण नहीं

जागरण ब्यूरो, भोपाल। प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस ने
साफ किया है कि प्राइवेट स्कूलों की फीस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं
है। उन्होंने कहा, जो कानून है, उसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। फिर भी
सरकार इस पर विचार करेगी कि अगले शिक्षा सत्र से प्राइवेट स्कूलों में उस
अवधि की फीस नहीं वसूली जाए, जिन दिनों कक्षाएं नहीं लगतीं। निजी
विद्यालयों पर नियंत्रण के लिए नियामक संस्था बनाने में कई बारीकिया हैं,
लिहाजा उन पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूलने का यह मामला सोमवार को
विधानसभा में सत्तापक्ष के विधायक विश्वास सारंग ने ध्यानाकर्षण के जरिए
उठाया था। सारंग का कहना था कि प्रदेश में सामान्यतया स्कूलों में नया
शिक्षा सत्र अप्रैल से शुरू होता है। लेकिन ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में
पिछले या वर्तमान सत्र में ही अगले सत्र की फीस वसूली जा रही है। कई
अभिभावक नए सत्र में दूसरे स्कूलों में दाखिला कराते हैं तो उन्हें तबादले
के कारण नए सत्र में दूसरे स्कूल में प्रवेश दिलाने के एवज में दोबारा फीस
देना पड़ती है।

इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों की फीस को
नियंत्रित करने का कोई प्रावधान नहीं है। शिक्षा का अधिकार कानून में 25
प्रतिशत स्थान गरीब वर्ग को देने का प्रावधान है, इसका खर्च सरकार उठाएगी।
प्रदेश में अगले शिक्षा सत्र में सरकार पर्याप्त संख्या में स्कूल खोलेगी।

सारंग ने आरोप लगाया कि निजी स्कूल हजारों पालकों की जेब पर डाका डाल
रहे हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि जो दरें 25 प्रतिशत गरीब बच्चों की फीस
की प्रतिपूर्ति के लिए तय की गई हैं, क्या शेष 75 प्रतिशत बच्चों के लिए
भी वही दरें तय नहीं की जा सकतीं। निजी स्कूलों का शैक्षणिक कैलेंडर जुलाई
से जून तक बनाकर उसी हिसाब से फीस और बसों का किराया वसूला जाता है, इसे
स्कूल लगने की अवधि के हिसाब से रखा जाना चाहिए। उन्होंने निजी स्कूलों पर
नियंत्रण के लिए नियामक संस्था बनाने की माग भी की। सारंग ने शिक्षण शुल्क
के अलावा विभिन्न प्रकार की फीस वसूलने की बात भी कही।

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