सरकार हर तबके के लिए भले ही कल्याणकारी योजनाएं बनाए, लेकिन अफसर उसे
पलीता लगा देते हैं। ग्वालियर के चीनोर गांव में बने हरिजन छात्रावास के
बच्चों को एक हफ्ते से भोजन नहीं मिला। पहले तो उन्होंने खुद ही भोजन बना
लिया, लेकिन अब थक हार कर वे कलेक्टर के बंगले के बाहर जाकर बैठ गए, लेकिन
उलटा उन्हें ही दोषी ठहराया जा रहा है।
चीनोर के इस छात्रावास के करीब दस बच्चे जो गांव से आकर इसमें पढ़ाई के
लिए रह रहे हैं, उन्हें नौ मार्च से भोजन नहीं मिल पाया। इसका कारण यह है
कि छात्रावास अधीक्षक रमेश राजपूत और एक चपरासी दिनेश के बीच विवाद चल रहा
है। इसके चलते छात्रों का खाना नहीं बना। इसी झगड़े के चलते अधीक्षक राजपूत
भी दो-तीन दिन छात्रावास नहीं पहुंचे। जब दो-तीन दिन छात्रों को भोजन नहीं
मिला तो उन्होंने आदिम जिला कल्याण विभाग के जिला संयोजक को शिकायत की,
लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गयी। इससे परेशान छात्रों ने स्वयं ही बाजार से
सामान लाकर भोजन बना लिया, लेकिन अब उनके रुपए भी खत्म हो गए। परेशान छात्र
ग्वालियर के कलेक्टर आकाश त्रिपाठी के बंगले के बाहर पहुंचकर बैठ गए। इसके
बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हो सकी, बल्कि छात्रों के ऊपर आरोप लगाया कि वे
चपरासी दिनेश ने अधीक्षक राजपूत के साथ मारपीट की है और इसमें छात्र दिनेश
के हाथों का मोहरा बनकर इधर-उधर घूम रहे हैं। प्रशासन पूरे मामले की जांच
की बात तो कह रहा है, लेकिन चार दिन से भटक रहे छात्रों के भोजन इंतजाम
नहीं कर रहा है।