मिड डे मील: राज्य में लागू नहीं हो सका सेंट्रलाइज कुकिंग सिस्टम

रांची.
सरकारी स्कूलों के लिए मिड डे मील एक जगह बने, भोजन में गुणवत्ता हो, साफ
सफाई का ध्यान रहे और सभी स्टूडेंट को एक ही समय पर भोजन मिले, इसके लिए
मानव संसाधन विकास विभाग ने सेंट्रलाइज कुकिंग सिस्टम लागू करने पर वर्ष
2009 में विचार किया था।




अगर यह सिस्टम लागू होता तो मिड डे मील से शिक्षकों को निजात मिल जाती।
इतना ही नहीं छात्रों को गुणवत्तापूर्ण भोजन भी समय से मिलता। बेंगलुरू में
संचालित अक्षय पात्रा की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के लिए यह व्यवस्था
प्रायोगिक तौर पर पहले रांची के शहरी क्षेत्र में लागू करने पर विचार चल
रहा था।




क्या है अक्षय पात्रा:




अक्षय पात्रा बेंगलुरू की एक गैर सरकारी संस्था है। यह संस्था देश के आठ राज्यों में मिड डे मील सप्लाई करती है।




लंबे समय से हो रही है मांग:




शिक्षक भी लंबे समय से मिड डे मील से खुद को अलग करने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इस कार्य से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।




रामकृष्ण मिशन को देने की थी बात:




रांची जिले में सेंट्रलाइज कुकिंग सिस्टम की जिम्मेवारी रामकृष्ण मिशन को
देने की बात चल रही थी। इसके लिए कुछ पदाधिकारी भी बेंगलुरू गए थे।




अगर लागू होता तो




रांची जिले में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 1214, सहायताप्राप्त
अल्पसंख्यक 99, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय 1062, मदरसा 2 और उच्च
विद्यालय 85 हैं। इनके लगभग 100491 छात्रों को प्रतिदिन भोजन दिया जाता है।
इसमें प्रतिदिन एक शिक्षक व्यस्त रहते हैं। अगर यह व्यवस्था लागू हो जाती
तो जिले के 2462 शिक्षक इससे मुक्त हो जाते।




शिक्षक लंबे समय से मिड डे मील योजना से स्वयं को अलग करने की मांग कर रहे
हैं। सेंट्रलाइज कुकिंग सिस्टम लागू हो जाने से उन्हें काफी राहत मिलेगी,
शिक्षा में भी सुधार होगा


राममूर्ति ठाकुर, प्रधान महासचिव, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ

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