मनमाना भू अधिग्रहण मौलिक अधिकारों का हनन

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार मनमाने ढंग से जमीन का अधिग्रहण कर भू स्वामियों का हक नहीं छीन सकती। यह उनके मौलिक और संवैधानिक हक का उल्लंघन होगा।

जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच ने कहा कि संविधान पूर्व के
भू अधिग्रहण कानून में सार्वजनिक उद्देश्य की अवधारणा शामिल है लेकिन इसको
लागू करते समय संविधान की भावना खासतौर पर मूलभूत अधिकारों और निदेशक
सिद्धांतों का ध्यान रखा जाना चाहिए।

उत्तरप्रदेश सरकार के सहारनपुर में जेल निर्माण के लिए 2008 में जमीन
अधिग्रहण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को बहाल रखते हुए बेंच ने यह
टिप्पणी की है।

जस्टिस गांगुली ने कहा कि भूअधिग्रहण कानून औपनिवेशिक काल का है और
इसमें शासन को इतने व्यापक कानून दिए गए हैं जो किसी व्यक्ति के संपत्ति के
अधिकार को प्रभावित करते हैं।

हालांकि संपत्ति का अधिकार मूलभूत अधिकार नहीं है और न ही प्राकृतिक हक
है लेकिन यह स्वीकार करना होगा कि इसके बिना दूसरे सभी अधिकार बेमानी हो
जाते हैं।

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