गृहनगर लक्ष्मणगढ़.संघर्ष,
मुकाम और प्रेरणा। 60 साल की हरप्यारी देवी की जिंदगी में यही है। नौ साल
की उम्र में विवाह हुआ और तीन महीने बाद ही पति का देहांत हो गया।
तमाम कठिनाइयों के बावजूद हरप्यारी देवी ने हार नहीं मानी। मजबूत इरादों के
साथ चुनौतियों को स्वीकार किया और उस जमाने की परिस्थितियों में पढ़ाई
शुरू की। इन्होंने हिंदी कोविद परीक्षा पास करने में सफलता हासिल कर ली।
इसके बाद कस्बे में सोढ़ाणी परिवार की ओर से संचालित कन्या पाठशाला में
नौकरी मिल गई। जब सरकार ने स्कूल को अपने नियंत्रण में लिया तो नौकरी पक्की
हो गई। नौकरी के लिए अलावा एक और जुनून था कि बेटियों की पढ़ाई के लिए कुछ
किया जाए।
तभी तो हायर सैकंडरी तक करवाने के लिए कन्या पाठशाला में दो कमरों का
निर्माण करवार कर दान की शुरुआत की। इसके बाद तो सिलसिला आज तक जारी है। वे
अब तक करीब 65 लाख रुपए दान में दे चुकी हैं। इसमें शिक्षा के अलावा
बेटियों को स्कॉलरशिप, बेटियों का विवाह जैसे विषय शामिल हैं।
मेरी बात
लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में भुआजी के नाम ख्यात हरप्यारी देवी का जिंदगी में
बेटियों के लिए ही कुछ करना है। कहती हैं, कि बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा
देने के साथ-साथ दान ही सबकुछ है। तभी दर्जनों गरीब परिवार की कन्याओं के
विवाह में आर्थिक सहयोग किया।