महिला जमींदारा तै पूछकै बणगी खेती नीति

हिसार.
हरियाणा किसान आयोग का मानना है कि पूरे राज्य में खेती का असल दारोमदार
महिलाओं के हाथ में है। गांव की 70 प्रतिशत महिलाएं हल चलाने को छोड़कर
कृषि से जुड़े सारे काम को अंजाम देती हैं। इसके चलते राज्य कृषि नीति तय
करने के लिए उनका फीड बैक सबसे अहम हैं। इस फैसले बाद आयोग खेतों में काम
करने वाली महिलाओं से बातचीत करता नजर आएगा। कृषि नीति तैयार करने के लिए
खेतों के लिए भी रुख कर सकता है।




आयोग ने विभिन्न रिपोर्टो का अध्ययन करने के बाद यह माना है कि राज्य में
खेत तैयार करने से लेकर, बिजाई, निराई, कटाई, गुड़ाई करने और फिर फसल को
बाजार तक पहुंचाने में महिलाओं का सबसे बड़ा हाथ है। किसान आयोग के सचिव
डॉ.आरएस दलाल का मानना है कि पशुपालन के क्षेत्र में 99 प्रतिशत महिलाएं ही
काम कर रही हैं। ऐसे में इनकी राय जाने बगैर कृषि नीति बनाने की बात अधूरी
होगी।




राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना (नैप) के पूर्व डायरेक्टर डॉ.एस मृत्युंजय
के नेतृत्व में कृषि नीति का मसौदा तैयार करने के लिए राज्य के विभिन्न
स्थानों का दौरा कर रही है। कुछ दिनों पहले टीम ने हरियाणा कृषि
विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों की राय ली है। आयोग के अध्यक्ष पद्मभूषण
डॉ. आरएस परोदा का कहना है कि मसौदा तैयार होने के बाद आयोग किसानों से भी
चर्चा करेगा। इसके बाद ही कृषि नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।




किसान आयोग ने बनाई दस समितियां




कृषि संरक्षण और फार्म मशीनीकरण, मिट्टी एवं जलसरंक्षण, वर्षा आधारित
क्षेत्रों का विकास, खाद, बीज की आपूर्ति और उपयोग, कृषि विविधता के लिए
भूमि उपयोग योजना, संरक्षित खेती, फसल प्रबंधन और किसानों के लिए बाजार,
पशुपालन में विकास, मछली पालन का विकास और कृषि क्षेत्र में युवाओं एवं
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अलग अलग समितियां बनाई गई हैं।

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