शिक्षकों की कमी, बगैर भवनों-लेबोरेट्री, लाइब्रेरी के साथ ही बिजली और
पेयजल के बगैर संसाधनों के चीथड़ों में दबे-छिपे सरकारी माध्यमिक स्कूल
ज्यादा देर तक राज्य और केंद्र के योजनाकारों की निगाहों से नहीं छिप
सकेंगे। स्कूल एजुकेशन मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम के जरिए सूबे के 2700
से ज्यादा सरकारी और निजी माध्यमिक स्कूलों के बारे में जरूरी सूचनाएं अब
ऑनलाइन उपलब्ध हैं। जल्द ही इन सूचनाओं की पहुंच आम आदमी तक भी होगी। इसकी
प्रक्रिया शुरू की गई है।
उत्तराखंड के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के माध्यमिक स्कूलों की
असलियत जानने को लंबा वक्त बर्बाद नहीं करना पड़ेगा। अभी तक स्कूलों से
जरूरी सूचनाएं मंगाने में ही काफी समय जाया होता रहा है। तकरीबन सालभर की
कड़ी मेहनत के बाद उत्तराखंड ने यह कामयाबी तो हासिल की ही, इस मामले में वह
तेजी से कदम बढ़ा रहे दक्षिण और पश्चिम भारत के राज्यों और पड़ोसी हिमाचल
प्रदेश की कतार में शामिल हो गया है। खास बात यह भी है कि शिक्षा महकमे में
छोटी-छोटी सूचनाओं को लेकर ब्लॉकों से जिलों और निदेशालय के साथ ही शासन
स्तर पर महकमे के कार्मिकों को चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। कंप्यूटर पर क्लिक
करते ही 2748 माध्यमिक स्कूलों से जुड़ी जानकारी तुरंत हाजिर मिलेगी।
राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (न्यूपा) के गाइड
लाइन और उसके साफ्टवेयर पर ये सूचनाएं डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट
एसइएमआईएसओएनएलआइएनइ डॉट एनइटी की वेबसाइट पर दी गई हैं। फिलवक्त यह साइट
राज्य सरकार, शिक्षा महकमे और न्यूपा के लिए उपलब्ध है। जल्द ही इस वेबसाइट
का लाभ आम आदमी भी उठा सकेगा। इसके लिए कसरत शुरू की गई है। वेबसाइट पर
1769 सरकारी हाईस्कूल और इंटर, 341 सरकारी सहायतप्राप्त अशासकीय स्कूलों
में छात्र नामांकन संख्या से लेकर शिक्षकों की कमी, स्कूल भवन, लाइब्रेरी,
लेबोरेट्री, बिजली, पेयजल, जन सुविधाओं, कंप्यूटर, खेल मैदान, हॉस्टल,
चाहरदीवारी समेत तमाम जानकारी दी गई है। सूबे के 13 जिलों और 95 ब्लॉकों के
लिए सेमिस ने कोड आवंटित किए हैं। शिक्षा सचिव मनीषा पंवार के मुताबिक
वेबसाइट पर जरूरी और अपडेट सूचनाएं मिलने पर स्कूलों की ग्रेडिंग और
एजुकेशन प्लानिंग में मदद मिलेगी।