पैसा बाद में आया, खर्च पहले कर दिया

नूना माजरा गांव में पूर्व सरपंच के कार्यकाल में हुए कार्यो में घोटाले
की बू आ रही है। विभिन्न मदों और मुआवजे के तौर पर पैसा तो बाद में आया,
लेकिन खर्च पहले ही हो गया। इससे साफ है कि रिकार्ड में कुछ है और धरातल पर
कुछ। यह सब पंचायत चुनाव की आचार संहिता के समय हुआ। अब विभागीय अफसर भी
इस मामले से कन्नी काट रहे है।

पूरा मामला आरटीआइ से मिली जानकारी के बाद शीशे की तरह साफ नजर आ
रहा है। सूचना अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से पता चला है कि नूना
माजरा में पूर्व सरपंच सतबीर सिंह के कार्यकाल में करीब 12 लाख की हेराफेरी
हुई है। इस दौरान पंचायत के खाते में कुल 15 लाख 63 हजार की राशि आई।
इसमें से करीब साढ़े तीन लाख की राशि तो कार्यों पर खर्च की गई, बाकी कहां
गई यह शायद बताने की जरूरत नहीं। इतना ही नहीं यह सब कायदे-कानूनों की
धज्जिायां उड़ाकर किया गया। पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लग
चुकी थी। उस बीच यह पैसा आया और ताज्जाुब की बात तो यह है कि मई 2010 में
आए इस पैसे को अपै्रल में ही खर्च कर दिया गया?

दरअसल पंचायत को मुआवजे के तौर पर 7 लाख 98 हजार 720 की राशि 10 मई
2010 को मिली। इसी माह में अन्य मदों से 9 लाख 52 हजार की राशि पंचायत को
मिली लेकिन इस राशि में से 26 अपै्रल को ही पैसा खर्च कर दिया गया। यह
सुनकर ताज्जाुब तो होता है, लेकिन इस तरह का रिकार्ड पंचायत की कैश बुक में
दर्ज है। रिकार्ड में पंचायत की ओर से कृष्णा इलेक्ट्रानिक्स गोहाना से 22
वाट की 110 लाइटे 4880 रुपये प्रति के हिसाब से खरीदी गई। जबकि 36 वाट की
10 लाइटे 6600 प्रति के हिसाब से खरीदी गई। इसका कुल बिल 6 लाख 8 हजार 880
बनता है। लाइटों का बिल 28 अपै्रल को जमा कराया गया, लेकिन कैश बुक के
अनुसार 26 अपै्रल को भुगतान किया गया। एक नियम यह भी है कि सरपंच को 3 लाख
से ज्यादा की राशि किसी कार्य पर खर्च करने का अधिकार नहीं। वह भी तब जब
आचार संहिता हो। इस समय पंचायत को सारा रिकार्ड बीडीपीओ कार्यालय में दर्ज
कराना होता है, लेकिन कैश बुक में आचार संहिता के समय का रिकार्ड दर्ज होना
यह साफ बताता है कि रिकार्ड सरपंच के पास ही था। इसमें यह दर्ज है कि वकील
को नहर के मुआवजे के लिए 1 लाख 10 हजार की फीस 26 अपै्रल को दे दी गई।
इसके अलावा एचआरडीएफ और अन्य स्कीम के तहत आई 6 लाख की राशि भी गली निर्माण
पर खर्च दिखाई गई है। आरटीआइ में जानकारी लेने वाले नूना माजरा निवासी
नरेश जून का कहना है कि बीडीपीओ कार्यालय के कर्मियों की भी इसमें मिलीभगत
है। अकेले सरपंच की ओर से इतनी राशि का घोटाला नहीं किया जा सकता। उधर, खंड
विकास एवं पंचायत कार्यालय के लेखाधिकारी अभिमन्यु का कहना है कि इसमामले
में पत्र लिखकर जवाब मांगा गया है।

मामले की जानकारी आवेदक को दे दी गई : बीडीपीओ

खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी इकबाल राठी का कहना है कि आरटीआइ के तहत
इस मामले में जानकारी आवेदक को दे दी गई है। इसमें गड़बड़ी है या नहीं। इस
बारे में वे अभी कुछ नहीं कह सकते। जांच के बाद ही कुछ कह पाना संभव है।

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