छोटे-मोटे घरेलू मामले सुलझाने व महिलाओं को कानूनी सहायता देने के लिए
दिल्ली महिला आयोग ने महिला पंचायत पर 91 लाख रुपये खर्च दिए, लेकिन योजना
के तहत सिर्फ 3,364 महिलाओं को लाभ पहुंच पाया। यह खुलासा सूचना के अधिकार
(आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है।
आरटीआइ में आयोग से पूछा गया था कि दिल्ली में महिला आयोग की ओर से
महिलाओं के लिए कितनी योजनाएं चल रही हैं। उनके लिए कितना धन दिया गया था
और कितना खर्च हुआ। इन योजनाओं के तहत कितनी महिलाओं को लाभ पहुंचा।
आयोग के जवाब में बताया गया कि इस समय महिला पंचायत, सहयोगिनी,
हेल्पलाइन, विवाह पूर्व सलाह केंद्र, दुष्कर्म पीडि़ता सहायता केंद्र सहित
कुल छह योजनाएं चलाई जा रही हैं।
दिसंबर 2008 से नवंबर 2009 के बीच अकेले महिला पंचायत के लिए बीस गैर
सरकारी संगठनों को 91 लाख आठ हजार रुपये का बजट दिया गया। उसके तहत कुल
3,364 महिलाओं को इन पंचायतों से लाभ पहुंचा। आयोग के आकंड़ों में दो गैर
सरकारी संगठनों के नाम के सामने बजट का पैसा तो लिखा गया है, लेकिन मामले
सुलझाने के कॉलम में शून्य लिखा है।
महिला पंचायत योजना के तहत आयोग गैर सरकारी संगठनों की सहायता से
महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करता है और छोटे-मोटे मामलों में समझौता
करा देता है। कुछ महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि वे अपने समुदाय
में महिलाओं की सहायता कर सकें।
—बॉक्स—–
2009-10 में कुल 81 लाख खर्च
2008-09 में आयोग ने अकेले महिला पंचायत पर 91 लाख रुपये खर्च कर दिए
थे। अगले साल ही इस योजना सहित सभी छह योजनाओं को भी इतना बजट नहीं दिया
गया, जितना अकेले इस योजना पर खर्च हुआ था।
2009-10 में महिला पंचायत सहित सभी छह योजनाओं पर कुल 81 लाख 41 हजार 141 रुपये का धन तय किया गया और उसे खर्च किया गया है।