किसानों पर 10 माह में 65 हजार प्रकरण

भोपाल.
प्रदेश में दस महीने में 290 करोड़ रुपए की बिजली चोरी का मामला सामने आया
है। इस मामले में ढाई लाख से अधिक लोगों के खिलाफ बिजली चोरी के प्रकरण
दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं को लगभग 290
करोड़ 50 लाख रुपए के बिल थमाए हैं। इनमें 65 हजार से ज्यादा मामले तो
किसानों के खिलाफ दर्ज कर उनसे 43 करोड़ 57 लाख रुपए बकाया निकाले गए हैं।




ये तथ्य ऊर्जा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के लिए तैयार की
गई रिपोर्ट से सामने आया है। सर्वाधिक मामले पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी
में किसानों और अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं, जबकि सबसे कम चोरी
प्रकरण मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी में सामने आए हैं।




हालांकि दबी जुबान मे बिजली कंपनी के अफसर स्वीकार करते हैं कि मध्य
क्षेत्र बिजली कंपनी के अंतर्गत आने वाले ग्वालियर,भिंड और मुरैना जिले में
चोरी की घटनाएं ज्यादा होती हैं, लेकिन वहां प्रकरण बनाने की हिम्मत कोई
जुटा नहीं पाता।




वैसे तो प्रदेश में ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) हानि 34 फीसदी
बताई जाती है,लेकिन इसमें बड़ा हिस्सा चोरी का शामिल रहता है। प्रदेश के
कई नेता और अफसर यह कहते रहे हैं कि बिजली चोरी रुक जाए तो संकट हल हो जाए।
मगर न तो चोरी रुक रही है और न ही टीएंडडी हानि घटने का नाम ले रही है।




राज्य के कुछ जिलों में पाला पड़ने के बाद हाय तौबा मचाने वाली प्रदेश की
भाजपा सरकार ने अप्रैल 2010 से 15 फरवरी 2011 तक बिजली चोरी के जो आंकड़े
तैयार किए हैं,वह चौकाने वाले हैं। इनमें 65 हजार किसानों के खिलाफ
चोरी के प्रकरण दर्ज किए गए हैं। बाकी दो लाख अन्य लोगों के खिलाफ बिजली
चोरी के मामले बनाए गए हैं।




भारतीय किसान संघ द्वारा दिसंबर 2010 में भोपाल में किए गए प्रदर्शन के बाद
राज्य सरकार ने किसानों के प्रकरण निपटाने में रुचि दिखाई है। ऐसे मामले
निपटाने के लिए चीफ इंजीनियर ऑफिस में एक समिति का गठन किया गया है। साथ ही
बिजली चोरी के उन प्रकरणों पर फिर से विचार करने की कवायद की जा रही
है,जिनमें चालान पेश नहीं हुआ है तथा किसान पूरक बिल की बीस फीसदी राशि जमा
करने को तैयार हैं।




इस बारे में ऊर्जा विभाग ने तीनों बिजली वितरण कंपनियों को आदेश भी जारी कर
दिया है। इसमें अस्थाई पंप कनेक्शन अवधि समाप्त होने के बाद बिजली का
उपयोग करने के प्रकरण भी शामिल होंगे। विजीलेंस टीम अगर किसी किसान को
अस्थाई कनेक्शन का दुरुपयोग या सीजन बाद स्वीकृत भार से अधिक भार का उपयोग
करते पकड़ ले तो उनके विरुद्धविद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत प्रकरण
दर्ज नहीं किए जाएंगे।




इसके स्थान पर उन्हें धारा 126 के तहत पूरक बिल थमाए जाएंगे, ताकि किसान
न्यायालयीन प्रक्रिया से बच सकें। एक अन्य आदेश में किसानों के कृषि पंप की
गणना मानक विद्युत उपकरणों से किसान या उसके प्रतिनिधि के सामने ही करने
की हिदायत दी गई है।




कहां कितने प्रकरण (कुल)




कंपनी कुल राशि


पूर्व क्षेत्र 50130, 59 करोड़ 30 लाख


पश्चिम क्षेत्र 1,73,342 184 करोड़ 17 लाख


मध्य क्षेत्र 39759 47 करोड़ 02 लाख


..और इतने किसानों के खिलाफ


कंपनी किसानों की संख्या राशि


पूर्व 12533 8 करोड़ 89 लाख


पश्चिम 43346 27 करोड़ 62 लाख


मध्य 9940 7 करोड़ 05 लाख रुपए




किसानों के हित की बात करने वाली मप्र सरकार ऐसा कदम कैसे उठा सकती है।
वसूली की कार्रवाई के तहत किसानों के पशु मोटर पंप और मकान आदि जब्त करना
अमानवीय है।




मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि किसानों के हित में विद्युत वितरण कंपनियों की
ओर से की जा रही है ऐसी कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाई जाए। किसानों की जो
संपत्ति कुर्क की गई है वह भी वापस दिलाई जाए।




दिग्विजय सिंह,कांग्रेस महासचिव




कैसा प्रकरण




विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत मीटर से छेड़छाड़ कर बिजली चोरी
करने या सीधे तार डालकर बिजली लेने के अपराध में प्रकरण दर्ज किए जाते हैं।
धारा 126 के तहत स्वीकृत भार से अधिक बिजली लेने, जिस प्रयोजन से कनेक्शन
लिया गया है उसके अलावा अन्य उपयोग करने के मामले दर्ज किए जाते हैं।




किसानों के खिलाफ बिजली चोरी के प्रकरण बनाने की प्रक्रिया दोषपूर्ण है।
हमने इस बारे में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे इसमें संशोधन करें।




शिवकुमार शर्मा (कक्का),प्रदेश अध्यक्ष,भारतीय किसान संघ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *