350 इकाइयों की आर्थिक सेहत बिगड़ी

मंडी
वित्त प्रबंधन के अभाव में प्रदेश की सैकड़ों सूक्ष्म, लुघ और मध्यम,
औद्योगिक इकाइयों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों के लिए
लोन लेने के लिए कड़े बैंक नियमों के चलते ऐसी इकाइयों को समय पर उपलब्ध न
हो पाने के कारण उत्पादन के मामले में पूरी तरह से पिछड़ चुकी है।


बैंकों का सख्त रवैया


वित्त
सुविधा उपलब्ध न हो पाने के कारण पिछले एक दशक में प्रदेश में साढ़े तीन
हजार से ज्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयां दम तोड़ चकी है। हालांकि
छोटे उद्यमी अपनी यूनिटों के संचालन की पुरजोर कोशिश कर रहे है, लेकिन
बैकों के सख्त रवैये के चलते ऐसी सैकड़ों यूनिट्स बंद होने के कगार पर
पहुंच चुकी है।


प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में कमोवेश
बीमार इकाइयां स्थित हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद ऐसी इकाइयों को जिंदा
रखने के धीर गंभीर प्रयास नहीं हो पा रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इडिया ने
शेड्यूल्ड बैंकों के माध्यम से जो जानकारी हासिल की है, उसके मुताबिक
प्रदेश में 341 सूक्ष्म, लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों की वित्तीय स्थिति
ठीक नहीं है और देर सवेर ऐसी इकाइयां बंद होने वाली है।


इतना ही
नहीं रिजर्व बैंक ऑफ इडिया के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय समस्या के चलते
पिछले एक दशक में प्रदेश में 3883 सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयां दम तोड़
चुकी है। अब जबकि मंडी के सांसद वीरभद्र सिंह केंद्रीय सूक्ष्म, लधु और
मध्यम उद्योग मंत्री बने हें तो उम्मीद जगी है कि प्रदेश में स्थापित ऐसी
इकाइयों के दिन फिरेंगे।


यही कारण है कि प्रदेश के सूक्ष्म, लघु
और मध्यम उद्योग संघ की ओर से उन्हें पत्र लिख प्रदेश की ऐसी इकाइयों की
सुध लेने का निवेदन किया गया है। रिकवरी में रियायतआरबीआई की ओर से
बेंकों को हिदायत दी गई है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के संचालकों को
अपनी इकाइयां संचालित करने के लिए आसान शर्तो पर लोन उपलब्ध करवाएं। इतना
ही नहीं ऐसे उद्यमियों से लोन की रिकवरी के लिए उद्यमियों पर दबाव बनाने के
बजाय कुछ रियायतें दी जाएं ताकि यहां के कुटीर और लघु उद्योगों को बचाया
जा सके।


आरबीआई की ओर से इस बारे में बैंकों को पत्र लिखा गया
है। वहीं, केंद्र स्तर पर ही इन इकाइयों को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए
जा रहे हैं। बैंकों से राहत मिलने पर इनमें सुधार हो सकता है।


सुधार की कवायद शुरू


केंद्रीय
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार प्रदेश की
बीमार इकाइयों की सेहत सुधारने के लिए केंद्रीय सक्ष्म, लघु और मध्यम
उद्योग मंत्रालय की ओर से योजना बनाई जा रही है। इस बारे में मंत्रालय की
ओर से तमाम सूचनाएं एकत्रित की जा रही है।


केंद्रीय मंत्रालय
जल्द ही इस सिलसिले में प्रदेश के उद्योग विभाग से मिल कर प्रदेश के छोटे
उद्यमियों और उत्पादकों को बचाने के लिए योजना तैयार करने जा रहा है।
सूक्ष्म,मध्यम और लघु उत्पादकों को समय पर सस्ती ऋण सुविधा मिले, इसके लिए
भी योजना बनाई जा रही है।प्रदेश की सूक्ष्म, लधु और मध्यम इकाइयों को सिक
यूनिटों से कमाई वाली यूनिटों में कैसे बदला जाए और प्रदेश के कुटीर उद्योग
और छोटी इकाइयों को कैसे जिंदा रखा जाए, इसके लिए मंत्रालय योजना तैयार कर
रहा है।वीरभद्र सिंह, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री।

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