पंचकूला।
पंचकूला में अरबों का जमीन घोटाला सामने आया है। यह मामला माजरी चौक के
पास चौकी गांव की 187 एकड़ शामलात जमीन से जुड़ा है, जिसे उन लोगों के नाम
रजिस्टर कर दिया गया जो इसके मालिक ही नहीं थे। यह जमीन नेशनल हाईवे 73 के
साथ लगती है और इसकी कीमत आज अरबों रुपये है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह
हुड्डा के निर्देश पर पंचायत विभाग के वित्तायुक्त व प्रधान सचिव ने मामले
की जांच करवाई। जांच मंे घोटाले की बात सामने आई है। मुख्यमंत्री ने बुधवार
को पंचायत विभाग के उच्च अधिकारियों को दोषी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज
करवाने के आदेश दिए हैं।
इसके बाद पंचकूला के थाना चंडीमंदिर में बुधवार की रात पंचायत विभाग के
डिप्टी डायरेक्टर आरके मेहता की शिकायत पर वर्ष 1985 से 2003 तक तैनात रहे
पटवारी, कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार और जिला राजस्व अधिकारियों के
खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार एक्ट 7/13
के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच डीएसपी (सीआईडी/क्राइम) अशोक
बख्शी को सौंपी गई है। इस मामले में पंचकूला के राजस्व विभाग में इस अवधि
के दौरान तैनात रहे कई अधिकारियों पर गाज गिरने की आशंका है।
मुख्तयारी ने दी थी शिकायत
चौकी गांव की मुख्तयारी देवी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को
शिकायत दी थी कि चौकी गांव की करीब 200 एकड़ शामलात जमीन को राजस्व विभाग
के अधिकारियों ने लोगों के नाम रजिस्ट्रियां कर खुर्दबुर्द कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने मामले की जांच पंचायत विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव
को सौंपी थी। वित्तायुक्त ने पंचायत विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरके मेहता
को जांच सौंपी। मेहता ने जांच में शिकायत को सही पाया।
उन्होंने जांच के दौरान पाया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से
गांव की 187 एकड़ शामलात जमीन को उन लोगों के नाम कर दिया गया, जो इसके
मालिक नहीं थे। जांच में यह भी पाया गया कि चौकी गांव की यह जमीन पंचायत की
शामलात जमीन थी, जिसे किसी के नाम रजिस्टर्ड नहीं किया जा सकता।
इतना ही नहीं, इस जमीन को बाद में हुडा ने एक्वायर किया और उसके एवज में इस
जमीन के मालिकों ने 16.71 करोड़ रुपये का मुआवजा भी ले लिया। मेहता ने
इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दी। मामला मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया
गया और मुख्यमंत्री ने बुधवार को इस संबंध में फौरन कानूनी कार्रवाई करने
के निर्देश दिए। इस घोटाले में पंचकूला के राजस्व विभाग में तैनात वर्ष
1985 से लेकर 2003 तक के कई अधिकारी कथित तौर पर शामिल हैं।
पंचकूला में अरबों का जमीन घोटाला सामने आया है। यह मामला माजरी चौक के
पास चौकी गांव की 187 एकड़ शामलात जमीन से जुड़ा है, जिसे उन लोगों के नाम
रजिस्टर कर दिया गया जो इसके मालिक ही नहीं थे। यह जमीन नेशनल हाईवे 73 के
साथ लगती है और इसकी कीमत आज अरबों रुपये है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह
हुड्डा के निर्देश पर पंचायत विभाग के वित्तायुक्त व प्रधान सचिव ने मामले
की जांच करवाई। जांच मंे घोटाले की बात सामने आई है। मुख्यमंत्री ने बुधवार
को पंचायत विभाग के उच्च अधिकारियों को दोषी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज
करवाने के आदेश दिए हैं।
इसके बाद पंचकूला के थाना चंडीमंदिर में बुधवार की रात पंचायत विभाग के
डिप्टी डायरेक्टर आरके मेहता की शिकायत पर वर्ष 1985 से 2003 तक तैनात रहे
पटवारी, कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार और जिला राजस्व अधिकारियों के
खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार एक्ट 7/13
के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच डीएसपी (सीआईडी/क्राइम) अशोक
बख्शी को सौंपी गई है। इस मामले में पंचकूला के राजस्व विभाग में इस अवधि
के दौरान तैनात रहे कई अधिकारियों पर गाज गिरने की आशंका है।
मुख्तयारी ने दी थी शिकायत
चौकी गांव की मुख्तयारी देवी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को
शिकायत दी थी कि चौकी गांव की करीब 200 एकड़ शामलात जमीन को राजस्व विभाग
के अधिकारियों ने लोगों के नाम रजिस्ट्रियां कर खुर्दबुर्द कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने मामले की जांच पंचायत विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव
को सौंपी थी। वित्तायुक्त ने पंचायत विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरके मेहता
को जांच सौंपी। मेहता ने जांच में शिकायत को सही पाया।
उन्होंने जांच के दौरान पाया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से
गांव की 187 एकड़ शामलात जमीन को उन लोगों के नाम कर दिया गया, जो इसके
मालिक नहीं थे। जांच में यह भी पाया गया कि चौकी गांव की यह जमीन पंचायत की
शामलात जमीन थी, जिसे किसी के नाम रजिस्टर्ड नहीं किया जा सकता।
इतना ही नहीं, इस जमीन को बाद में हुडा ने एक्वायर किया और उसके एवज में इस
जमीन के मालिकों ने 16.71 करोड़ रुपये का मुआवजा भी ले लिया। मेहता ने
इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दी। मामला मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया
गया और मुख्यमंत्री ने बुधवार को इस संबंध में फौरन कानूनी कार्रवाई करने
के निर्देश दिए। इस घोटाले में पंचकूला के राजस्व विभाग में तैनात वर्ष
1985 से लेकर 2003 तक के कई अधिकारी कथित तौर पर शामिल हैं।