कुरुक्षेत्र. प्रदेश
में रेवेन्यू रिकार्ड के कम्प्यूटरीकरण के बाद अब जमीन का नक्शा भी
कम्प्यूटर पर होगा। हर गांव के प्रत्येक किसान की जमीन से संबंधित रिकार्ड
को बाकायदा खतौनी व शिजरा के तहत ही दर्शाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने पहले
चरण में दस जिलों का लैंड रिकार्ड मार्डन व डिजिटल करने का फैसला लिया है।
इस कैडिस्ट्रल मैपिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा प्रदेश के
डिपार्टमेंट ऑफ साइंस को सौंपा गया है। इसमें हरियाणा सेटेलाइट रिमोट सेंटर
हिसार (हरसक) और नेशनल इंफारमेशन सेंटर (एनआईसी) की मदद ली जाएगी।
प्रोजेक्ट के लिए 11 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी मिली है। सेटेलाइट इमे¨जग
से इन जिलों की पूरी भौगोलिक स्थिति भी इसमें शामिल होगी।
तीन माह में तैयार होगा प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट को अगले तीन महीनों के भीतर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
डिपार्टमेंट ऑफ साइंस के सीनियर साइंटिस्ट डा. राजबीर सिंह ने बताया कि
प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में हरसक दस जिलों की
सेटेलाइट इमेज तैयार करेगा। इस इमेज के साथ ही एनआईसी द्वारा पूर्व में
तैयार कम्प्यूटरीकृत राजस्व रिकार्ड को जोड़ा जाएगा।
खत्म होगा पोटली का झंझट
अभी तक राजस्व रिकार्ड व जमीनी नक्शों की पोटली बांध कर रखी जाती है। इससे
नक्शों के खराब होने व उन्हें ढूंढने में काफी समय लगता था। इससे जहां
डिजिटल नक्शा तैयार होगा। वहीं कोई भी किसान अपनी जमीन का कहीं भी कभी भी
रिकार्ड व नक्शा कम्प्यूटर पर देख सकेगा। दूसरे इससे जमीन पर अवैध कब्जा
होने का भी समय रहते पता चल सकेगा। विभाग के साइंटिस्ट डा. विशाल गुलिया के
मुताबिक कैडिस्ट्रल मैपिंग में इतनी बारिकी होगी कि किसान व अन्य लोग अपनी
जमीन की स्थिति भी स्पष्ट देख सकेंगे। यहां तक कि कहां जमीन ऊंची है और
कहां नीची, इसका भी पता चलेगा।
इन जिलों में कैडिस्ट्रल मैपिंग
कैडिस्ट्रल मै¨पग प्रोजेक्ट के लिए पहले चरण में दस जिलों को शामिल किया
गया है। इनमें कुरुक्षेत्र, जींद, अम्बाला, फतेहाबाद, पलवल, गुड़गांव,
रोहतक, झज्जर, सिरसा और मेवात को शामिल किया गया है।
में रेवेन्यू रिकार्ड के कम्प्यूटरीकरण के बाद अब जमीन का नक्शा भी
कम्प्यूटर पर होगा। हर गांव के प्रत्येक किसान की जमीन से संबंधित रिकार्ड
को बाकायदा खतौनी व शिजरा के तहत ही दर्शाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने पहले
चरण में दस जिलों का लैंड रिकार्ड मार्डन व डिजिटल करने का फैसला लिया है।
इस कैडिस्ट्रल मैपिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा प्रदेश के
डिपार्टमेंट ऑफ साइंस को सौंपा गया है। इसमें हरियाणा सेटेलाइट रिमोट सेंटर
हिसार (हरसक) और नेशनल इंफारमेशन सेंटर (एनआईसी) की मदद ली जाएगी।
प्रोजेक्ट के लिए 11 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी मिली है। सेटेलाइट इमे¨जग
से इन जिलों की पूरी भौगोलिक स्थिति भी इसमें शामिल होगी।
तीन माह में तैयार होगा प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट को अगले तीन महीनों के भीतर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
डिपार्टमेंट ऑफ साइंस के सीनियर साइंटिस्ट डा. राजबीर सिंह ने बताया कि
प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में हरसक दस जिलों की
सेटेलाइट इमेज तैयार करेगा। इस इमेज के साथ ही एनआईसी द्वारा पूर्व में
तैयार कम्प्यूटरीकृत राजस्व रिकार्ड को जोड़ा जाएगा।
खत्म होगा पोटली का झंझट
अभी तक राजस्व रिकार्ड व जमीनी नक्शों की पोटली बांध कर रखी जाती है। इससे
नक्शों के खराब होने व उन्हें ढूंढने में काफी समय लगता था। इससे जहां
डिजिटल नक्शा तैयार होगा। वहीं कोई भी किसान अपनी जमीन का कहीं भी कभी भी
रिकार्ड व नक्शा कम्प्यूटर पर देख सकेगा। दूसरे इससे जमीन पर अवैध कब्जा
होने का भी समय रहते पता चल सकेगा। विभाग के साइंटिस्ट डा. विशाल गुलिया के
मुताबिक कैडिस्ट्रल मैपिंग में इतनी बारिकी होगी कि किसान व अन्य लोग अपनी
जमीन की स्थिति भी स्पष्ट देख सकेंगे। यहां तक कि कहां जमीन ऊंची है और
कहां नीची, इसका भी पता चलेगा।
इन जिलों में कैडिस्ट्रल मैपिंग
कैडिस्ट्रल मै¨पग प्रोजेक्ट के लिए पहले चरण में दस जिलों को शामिल किया
गया है। इनमें कुरुक्षेत्र, जींद, अम्बाला, फतेहाबाद, पलवल, गुड़गांव,
रोहतक, झज्जर, सिरसा और मेवात को शामिल किया गया है।