जयपुर.
कृषि राज्यमंत्री भरोसीलाल जाटव ने अपने बेटे को महज पांच दिन में हिंडौन
में बीज की सरकारी डीलरशिप दिलवा दी। जाटव यहीं से ही विधायक हैं। आरोप है
कि इस काम के लिए जाटव ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल किया।
सूत्रों के अनुसार राज्य में मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के लिए 21 जून,
2010 को ही आचार संहिता लागू की गई थी। कृषि राज्यमंत्री जाटव द्वारा बेटे
बृजेश कुमार को डीलरशिप दिलवाने को इसका उल्लंघन माना जा रहा है। सामाजिक
कार्यकर्ता अशोक पाठक द्वारा हाल ही सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई
एकसूचना में यह खुलासा हुआ है। बृजेश ने 13 अक्टूबर, 2010 को बीज की सरकारी
एजेंसी (डीलरशिप) के लिए आवेदन किया और 18 अक्टूबर को उसे डीलरशिप मिल गई।
क्या मंत्री का बेटा काम नहीं करेगा: जाटव
क्या मंत्री का बेटा काम-धंधा नहीं करेगा, इसमें क्या गलत है? जैसे अन्य
लोगों को डीलरशिप मिली, वैसे ही मेरे बेटे को मिली है। मैंने इसके लिए मेरे
प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया। – भरोसीलाल जाटव, कृषि राज्यमंत्री
नियमों में कहां लिखा है, नहीं दे सकते: मोहांति
नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी जन प्रतिनिधि अथवा सरकारी
अधिकारी व कर्मचारियों के परिजनों को डीलरशिप या एजेंसी नहीं दे सकते। फिर
भी अगर किसी को शिकायत है तो इसका विभागीय स्तर पर परीक्षण करवा लिया
जाएगा। – जे.सी. मोहांति, कृषि आयुक्त
ऐसा करना पद का दुरुपयोग है: सैनी
किसी भी मंत्री को कम से कम अपने अधीनस्थ विभाग में अपने परिवारजनों को
व्यापारिक गतिविधियों का लाभ नहीं पहुंचाना चाहिए। अगर ऐसा हुआ है तो यह पद
का दुरुपयोग और मंत्रियों के लिए बनी आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है। –
प्रभुलाल सैनी, पूर्व कृषि मंत्री
यह है मंत्रियों के लिए आचार संहिता: आचार संहिता के अनुसार
मुख्यमंत्री, मंत्री यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके परिवार के सदस्य उस सरकार
को सामान की आपूर्ति करने अथवा सेवाएं प्रदान करने के काम में लगी हुई
व्यापारिक संस्थाओं को शुरू तो नहीं कर रहे हैं। अथवा उस सरकार से
अनुज्ञप्तियों, परमिटों, कोटा, पट्टे आदि प्रदान किए पर मुख्यत: निर्भर
नहीं हैं।
कृषि राज्यमंत्री भरोसीलाल जाटव ने अपने बेटे को महज पांच दिन में हिंडौन
में बीज की सरकारी डीलरशिप दिलवा दी। जाटव यहीं से ही विधायक हैं। आरोप है
कि इस काम के लिए जाटव ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल किया।
सूत्रों के अनुसार राज्य में मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के लिए 21 जून,
2010 को ही आचार संहिता लागू की गई थी। कृषि राज्यमंत्री जाटव द्वारा बेटे
बृजेश कुमार को डीलरशिप दिलवाने को इसका उल्लंघन माना जा रहा है। सामाजिक
कार्यकर्ता अशोक पाठक द्वारा हाल ही सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई
एकसूचना में यह खुलासा हुआ है। बृजेश ने 13 अक्टूबर, 2010 को बीज की सरकारी
एजेंसी (डीलरशिप) के लिए आवेदन किया और 18 अक्टूबर को उसे डीलरशिप मिल गई।
क्या मंत्री का बेटा काम नहीं करेगा: जाटव
क्या मंत्री का बेटा काम-धंधा नहीं करेगा, इसमें क्या गलत है? जैसे अन्य
लोगों को डीलरशिप मिली, वैसे ही मेरे बेटे को मिली है। मैंने इसके लिए मेरे
प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया। – भरोसीलाल जाटव, कृषि राज्यमंत्री
नियमों में कहां लिखा है, नहीं दे सकते: मोहांति
नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी जन प्रतिनिधि अथवा सरकारी
अधिकारी व कर्मचारियों के परिजनों को डीलरशिप या एजेंसी नहीं दे सकते। फिर
भी अगर किसी को शिकायत है तो इसका विभागीय स्तर पर परीक्षण करवा लिया
जाएगा। – जे.सी. मोहांति, कृषि आयुक्त
ऐसा करना पद का दुरुपयोग है: सैनी
किसी भी मंत्री को कम से कम अपने अधीनस्थ विभाग में अपने परिवारजनों को
व्यापारिक गतिविधियों का लाभ नहीं पहुंचाना चाहिए। अगर ऐसा हुआ है तो यह पद
का दुरुपयोग और मंत्रियों के लिए बनी आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है। –
प्रभुलाल सैनी, पूर्व कृषि मंत्री
यह है मंत्रियों के लिए आचार संहिता: आचार संहिता के अनुसार
मुख्यमंत्री, मंत्री यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके परिवार के सदस्य उस सरकार
को सामान की आपूर्ति करने अथवा सेवाएं प्रदान करने के काम में लगी हुई
व्यापारिक संस्थाओं को शुरू तो नहीं कर रहे हैं। अथवा उस सरकार से
अनुज्ञप्तियों, परमिटों, कोटा, पट्टे आदि प्रदान किए पर मुख्यत: निर्भर
नहीं हैं।