आईआईटी कानपुर में मजदूरों का शोषण, हाईकोर्ट में याचिका दायर

आईआईटी
कानपुर में श्रम कानूनों में व्यापक स्तर पर हो रही अनियमितताओं के विरोध
में आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्रों के समूह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के
लखनऊ बेंच में एक रिट पेटिशन दायर की है।




याचिका में कहा गया है कि आईआईटी कानपुर में भवन और इन्फ्रास्ट्रक्चर
निर्माण, मेस, सुरक्षा, मेंटेनेंस, सफाई कार्यों आदि में बड़ी भरी संख्या
में संविदा मजदूर काम कर रहे हैं जिन्हें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं दी जा
रही हैं।




याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन संविदा मजदूरों की सुरक्षा और कल्याण के
लिए संविदा मजदूर (रेग्युलेशन और एबोलिशन) अधिनियम तथा कोंट्रेक्ट लेबर के
लिए संविदा मजदूर (रेग्युलेशन और एबोलिशन) नियम बनाए गए हैं।




इसके अनुसार संविदा मजदूरों का इस्तेमाल करने वाले सभी ठेदेकारों के लिए
श्रम विभाग से लाइसेंस लिया जाना अनिवार्य है। साथ ही ठेकेदारों से
अपेक्षित है कि वे विश्राम घर, समुचित पेय जल, शौचालय, फर्स्ट एड सुविधा
सुनिश्चित करें तथा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी प्रदान करें।




अधिनियम के अनुसार यदि ठेकेदार ये सुविधायें नहीं देता है तो यह मुख्य
कार्यपालक विभाग (यहाँ आईआईटी कानपुर) की जिम्मेदारी होगी कि वह संविदा
मजदूरों के कल्याण और स्वास्थ्य के सम्बन्ध में सभी निर्देशित सुविधाएँ
प्रदान करे।






इसके अतिरिक्त न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, इम्प्लोयिज स्टेट इंश्युरेंस
अधिनियम, इम्प्लोयिज प्रोविडेंट फंड अधिनियम आदि का भी उल्लंघन आईआईटी
कानपुर कैम्पस में किये जाने की बात रिट में बताई गयी है।




याचीगण ने कहा है कि पूर्व छात्रों, प्रोफेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा
मजदूरों के तमाम प्रयासों के बावजूद आईआईटी कानपुर में तमाम श्रम कानूनों
का खुला उल्लंघन हो रहा है। इस हेतु रिट याचिका में कई प्रमाण प्रस्तुत
किये गए हैं जिनमे केन्द्रीय श्रम निदेशालय के रिपोर्ट और आईआईटी कानपुर के
प्रोफेसरों की दो आतंरिक रिपोर्टें भी सम्मिलित हैं. प्रार्थीगण ने एक
इलेक्ट्रोनिक पेटिशन “स्टॉप वायोलेटिंग कांट्रेक्ट लेबर राइट्स इन आईआईटी
कानपुर का भी उल्लेख किया है।




अमिताभ ठाकुर तथा अन्य पूर्व छात्रों ने उच्च न्यायालय से यह निवेदन किया
है कि सम्बंधित प्रतिवादीगणों को यह आदेशित करें कि वे आईआईटी कानपुर में
सभी श्रम कानूनों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित कराएं।




यह भी निवेदन किया गया है कि श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाले सभी
ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही आदेशित किया जाए। साथ ही श्रम कानूनों के
विधिवत पालन हेतु एक मोनिटरिंग कमिटी बनाने का निवेदन किया गया है। रिट में
इस मोनिटरिंग कमिटी के स्वरुप और उसके अधिकारों हेतु भी निर्देश दिए जाने
के अनुरोध किये गए हैं।




याचीगण उत्तर प्रदेश के आईपीएस अधिकारी अमिताभठाकुर, आईआईएम लखनऊ के
प्रोफ़ेसर शैलेन्द्र सिंह, गणित के प्रसिद्ध शिक्षक के सी जोशी, ब्रिज
खिलाडी शांतनु रस्तोगी, रेलवे अफसर पृथुल गुप्ता, डिफेंस अकाउंट अफसर
देवेन्द्र राय, फिजिक्स शिक्षिका शालू राय आदि हैं।

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