रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [मनरेगा] का यहां के जन जीवन पर असर को लेकर
जानकारी एकत्र करने का फैसला किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि मनरेगा योजना के प्रारंभ
से लेकर अब तक पिछले पांच सालों में छत्तीसगढ़ में हुए विकास कार्यों का
जन-जीवन पर क्या असर हुआ है इसकी जानकारी राज्य शासन द्वारा संकलित की
जाएगी। राज्य सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने यह निर्णय लिया
है।
अधिकारियों ने बताया कि मनरेगा योजना दो फरवरी 2006 से संचालित की जा
रही है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव सरजियस मिंज ने
सभी जिला कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र लिखकर राज्य में योजना प्रारंभ से
वर्ष 2009-10 तक पूर्ण हुए कार्यों की जानकारी और वर्ष 2010-11 में दिसंबर
तक की जानकारी तैयार कर आगामी फरवरी के प्रथम सप्ताह तक राज्य शासन को
भेजने कहा है।
मिंज ने जिला कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा है कि मनरेगा योजना की
समीक्षा भौमिक और वित्तीय लक्ष्य के साथ प्रदाय रोजगार पर केंद्रित है।
योजना के तहत जल और भूमि संरक्षण के साथ ही साथ ग्रामीण सड़कों का भी
निर्माण किया जाता है। ग्रामीण परिदृश्य को बदलने का अवसर इस योजना के
माध्यम से प्राप्त है, इसलिए सर्वप्रथम ऐसे कार्यों पर विशेष ध्यान देने की
आवश्यकता है, जिससे टिकाऊ और भविष्य में रोजगार प्रदाय करने की क्षमता हो।
इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि इन कार्यों का परिणाम क्या प्राप्त हुआ
है।
अधिकारी ने पत्र में लिखा है कि उदाहरण के तौर पर यदि ग्रामीण सड़क का
निर्माण किया गया तो मात्र संख्या और व्यय पर्याप्त नहीं है, बल्कि निर्मित
सड़क की लंबाई और उससे जुड़ने वाली ग्रामीण बसाहटों की संख्या भी आवश्यक है।
इसी प्रकार यदि बांध या नहर निर्माण हुआ है तो इससे कितने क्षेत्रफल में
सिंचाई की सुविधा निर्मित हुई की जानकारी भी एकत्रित की जानी चाहिए।
अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत संपादित कार्याें के परिणाम की
जानकारी भेजने के लिए पत्र के साथ प्रपत्र भी भेजा गया है। इस प्रपत्र में
योजना प्रारंभ से वर्ष 2009-10 तक की पूर्ण जानकारी और वर्ष 2010-11 में
दिसंबर तक की जानकारी तैयार कर फरवरी के प्रथम सप्ताह में भेजने को कहा गया
है।