भ्रूण जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्रों की खैर नहीं

शिमला
प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहे क्लीनिकों में होने वाली हर
डिलीवरी पर स्वास्थ्य विभाग की नजर रहेगी। विभाग ने सभी जिलों के मुख्य
चिकित्सा अधिकारियों को क्लीनिकों और अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापामारी के
आदेश दिए हैं।




भ्रूण हत्या के मामलों में कमी लाने और अवैध तरीके से चल रहे स्वास्थ्य
केंद्रों पर शिकंजा कसने के लिए विभाग विशेष अभियान छेड़ेगा। हर क्लीनिक और
अल्ट्रासाउंड सेंटर का रिकॉर्ड विभाग समय-समय पर अपडेट करेगा। अवैध रूप से
चल रहे नर्सिग होम की जानकारी भी जुटाई जाएगी।




स्वास्थ्य सुरक्षा विनियम कार्यक्रम के उप निदेशक डॉ. कुलभूषण सूद ने बताया
कि बिलासपुर, ऊना, सिरमौर के नाहन, कालाअंब, पांवटा साहिब, ऊपरी शिमला,
परवाणू, नालागढ़ क्षेत्रों में चल रहे क्लीनिकों पर विभाग पीएनडीटी एक्ट के
तहत निगरानी रखेगा। ऐसे क्षेत्रों में लोगों के दूसरे राज्य में जाकर
भ्रूण की लिंग जांच करवाने और भ्रूण हत्या की आशंका अधिक रहती है।




विभाग निजी क्लीनिकों में उपचार लेने वाली गर्भवती महिलाओं की शुरू से
निगरानी करेगा। यह भी देखा जाएगा कि कितने क्लीनिकों ने गर्भावस्था को लेकर
अल्ट्रासाउंड किए और कितनों में शत-प्रतिशत प्रसव करवाए गए। सीमावर्ती
जिलों में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए बर्थ ट्रेनिंग पॉलिसी अपनाई जा
रही है।




विभाग के अनुसार लिंगानुपात 898 से बढ़कर 922 तक पहुंच गया। लेकिन अब भी
कन्या भ्रूण हत्याएं जारी हैं। विभाग ने गत वर्ष 200 से अधिक क्लीनिकों पर
छापे मारे थे। बर्थ ट्रेनिंग योजना के तहत हर गर्भवती पर निगरानी रहेगी। हर
महिला के अल्ट्रासाउंड की वजह भी विभाग को पता होगी। कुछ क्षेत्रों में
निजी क्लीनिकों और अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी की प्रक्रिया शुरू भी
हो गई है।






सीमावर्ती क्षेत्रों के निजी क्लीनिकों, अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर पड़ेंगे छापे




निजी क्लीनिकों में डिलीवरी पर स्वास्थ्य विभाग की नजर




हर अल्ट्रासाउंड केंद्र का रिकॉर्ड भी रखेगा स्वास्थ्य विभाग




कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए अपनाई जाएगी बर्थ ट्रेनिंग पॉलिसी

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