मिट्टी घोटाले से हुडा को 50 करोड़ का झटका

फरीदाबाद. नहरपार
किसानों द्वारा सैकड़ों एकड़ जमीन से मिट्टी निकालकर बेचते समय अधिकारियों
की लापरवाही अब हुडा को काफी महंगी पड़ रही है। इससे हुडा को कम से कम 50
करोड़ रुपए की चपत लगने की संभावना बढ़ गई है।




हुडा के अधिकारी भी मास्टर रोड के बजट में ५क् करोड़ रुपए बढ़ा कर अपने
काम की खानापूर्ति कर रहे हैं। हुडा अधिकारियों के अनुसार इस बजट के और भी
बढ़ने की संभावना है। इससे पहले अधिकारियों ने मास्टर रोड के लिए 275 करोड़
रुपए का बजट तैयार किया था नए पेंच से बजट सवा तीन सौ करोड़ रुपए से अधिक
पहुंच गया है।




अधिकारियों की लापरवाही से खेतों से इतनी अधिक मिट्टी खोदे जाने से मास्टर
रोड के निर्माण पर भी संकट मंडराने लगा है। हुडा अधिकारी अब इस बारे में
उच्च अधिकारियों से उपाय पूछ कर समस्या का हल चाहते हैं। मुआवजा देने के
बावजूद इतनी मिट्टी किसके संरक्षण में उठाई गई इसकी भी जिम्मेदारी किसी
अधिकारी पर अब तक नहीं डाली जा सकी है। इस मामले में किसी किसान के भी
खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। मास्टर रोड की एवज में हुडा को नहरपार 1029
एकड़ जमीन पर कब्जा लेना है।




कार्रवाई पर अधिकारी चुप क्यों




पता चला है कि मास्टर रोड के निरीक्षण के दौरान मिट्टी बेचने के मामले का
खुलासा होने के बाद हुडा के एसई एसके सिंघल ने संपदा अधिकारी अरविंद
मल्हाण को अवगत करा दिया था। इसके बाद भी अभी तक इस मामले में कोई
कार्रवाई नहीं हुई है। हुडा इस पर खामोश क्यों है के सवाल पर हुडा उलटे
किसानों पर ही तोहमत लगा रही है कि यदि कार्रवाई की गई तो किसान भड़क
जाएंगे।




इसलिए हुडा को करोड़ों की चपत चुपचाप ही झेलनी होगी। एसई एसके सिंघल का
कहना है कि मास्टर रोड का बजट 50 करोड़ से अधिक बढ़ गया है। इतना ही नहीं
यदि यहां जल्द काम शुरू नहीं हुआ तो यह और भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा
उन्होंने नहरपार निरीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर संपदा अधिकारी को कार्रवाई
के लिए लिख दिया है। इसलिए वहां कार्रवाई करना अब संपदा अधिकारी का काम
है।




कहां से आएगी इतनी मिट्टी




ढाई सौ एकड़ जमीन से खोदी गई 5 से 7 फुट मिट्टी के उठ जाने के बाद अब यहां
बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। कई जगह खेतों से दस फुट तक मिट्टी गायब है।
हुडा ने इस कारण अपने बजट को बढ़ा दिया है। उसे चिंता खाए जा रही है कि इन
खेतों में मिट्टी भरने के लिए इतनी मिट्टी कहां से आएगी। आसपास केइलाके
की जमीन को कॉलोनाइजरों ने खरीद लिया और जो जमीन बची उसे हुडा ने मास्टर
रोड के लिए अधिग्रहण कर लिया।




अब आसपास कहीं ऐसी जमीन नहीं हैं जहां से मिट्टी खोदकर इन खेतों को समतल
किया जाए। इसके अलावा दूर-दराज के खेतों में कोई भी किसान नहीं चाहेगा कि
उनके खेत से मिट्टी खोदी जाए। इसके लिए हुडा को अलग से टेंडर छोड़कर मोटी
रकम भी देनी होगी और इतने खेतों को समतल करने में काफी समय लगेगा अलग से।
इसलिए इस महाघोटाले का सीधा असर मास्टर रोड पर पड़ेगा। यही नहीं किसानों ने
80 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से खेतों से मिट्टी उठवाई है लेकिन इसको
भरने में प्रति एकड़ कई लाख रुपए की लागत आएगी। मास्टर रोड के समय पर
निर्माण न होने के कारण डेवलप हो रहे सेक्टर्स पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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