भोपाल.
निजी अस्पतालों में टेस्ट और डॉक्टरों की फीस का निर्धारण सरकार खुद करने
की कवायद कर रही है। ऐसा होने से मरीजों को एक ही जांच की अलग-अलग कीमत
नहीं चुकानी पड़ेगी।
दरअसल अलग-अलग अस्पतालों में एक ही जांच की
कीमतों में असमानता है। ऐसा प्रदेश में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट
(रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 लागू होने के बाद होगा।
इसके
लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से
एक्ट की नियमावली और एक्ट प्रारूप मांगा है। केंद्र सरकार ने एक्ट की
नियमावली तैयार करने के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल का गठन किया था। समिति ने
एक्ट की नियमावली समिति के अध्यक्ष महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाओं को सौंप दी
है।
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा डॉ. बीएस ओहरी ने बताया कि
प्रदेश में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया जाएगा। इसके लिए नेशनल
मेडिकल काउंसिल को एक्ट की नियमावली भेजने के लिए चिट्ठी लिखी गई है।
नेशनल
मेडिकल कौंसिल में मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई), डेंटल कौंसिल ऑफ
इंडिया (डीसीआई), फॉर्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई), नर्सिग काउंसिल,
इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), सीसीआईएम, स्टेट
रिऑर्गेनाइजेशन अधिनियम के तहत गठित जोनल काउंसिल, भारतीय मानक ब्यूरो,
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) सहित कई अन्य
काउंसिल के प्रमुखों को सदस्य बनाया गया है।
एक्ट लागू होने के बाद एक समान हो जाएगी फीस
प्रदेश
में किसकी कितनी संख्या 2317 कंसल. क्लीनिक874 नर्सिग होम 503 पैथालॉजी
लैब457 निजी अस्पताल 209 डेंटल क्लीनिक१23 रेडियोइमेजिंग सेंटर 191 आयुष
अस्पताल3524 आयुष डॉक्टर क्लीनिक आंकडें संचालनालय स्वास्थ्य की अस्पताल
प्रशा. शाखा से
कैसे लागू होगा यह एक्ट
संचालक
स्वास्थ्य सेवा डॉ. एएन मित्तल ने बताया कि इस एक्ट के कुछ नियम
मध्यप्रदेश नर्सिग होम एक्ट से लिए गए हैं। नए एक्ट को प्रदेश में लागू
करने का प्रस्ताव नियमावली के साथ कैबिनेट को भेजेंगे। कैबिनेट अगर
प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो एक्ट लागू कर दिया जाएगा। अगर कैबिनेट
प्रस्ताव को विधानसभा में चर्चा के लिए रखने को कहेगी तो चर्चा के बाद इसे
लागू किया जाएगा।
निगरानी भी होगी
जिला स्तर पर
चार स्तरीय निगरानी समिति बनाई जाएगी जिसमें कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं
स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) तथा आईएमए को
सदस्य बनाया जाएगा।
नियमावली मांगी
क्लीनिकल इस्टेबिल्शमेंट एक्ट प्रदेश में कब तक लागू हो पाएगा ? यह अभी तय नहीं है। एक्ट की नियमावली एनएमए से मांगी है। ""
जेएन कंसोटिया,आयुक्त,स्वास्थ्य सेवा
प्रदेश
में नर्सिग होम एक्ट लागू है, इसलिए क्लीनिकल इस्टेबिल्शमेंट एक्ट 2010
लागू नहीं होगा। किसी भी एक्ट के तहत डॉक्टर और मेडिकल जांचों की फीस का
निर्धारण नहीं किया जा सकता। सरकार अगर ऐसा करेगी तो नर्सिग होम्स के
डायरेक्टर कोर्ट की शरण में जा सकते हैं। सरकार अगर डॉक्टरों की फीस तय
करना चाहती है तो फिर वकीलों की फीस भी तय की जाए।""
डॉ.अनूप हजेला
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पूर्व अध्यक्ष मप्र नर्सिग होम एसो.