पानीपत. किसानों
को खेती करने की नई तकनीक जानने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। अब वे
आसानी से कैलेंडर के जरिए खेती के टिप्स जान पाएंगे।
कृषि विभाग ने एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी मैनेजमेंट एजेंसी( आत्मा) के तहत 6600
कैलेंडर छपवाए हैं। कैलेंडरों पर करीब 72 हजार रुपए का खर्च आया है। ये
कैलेंडर किसानों को कृषि विकास अधिकारियों, वन विभाग, पशुपालन विभाग व
मत्स्य विभाग के माध्यम से बांटे जाएंगे। कैलेंडर में योजनाओं को चित्रों
के माध्यम से बताया गया है। यह अनूठा प्रयोग कृषि विभाग ने पानीपत में किया
है।
होगा योजनाओं का ब्यौरा
कैलेंडर में कृषि विभाग की किसानों के हित में चलाई गई योजनाओं का पूरा
ब्यौरा है। इन योजनाओं को चार चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में किसान
ट्रेनिंग कैंप, प्रदर्शनी, किसानों की खेत में क्लास, प्रगतिशील किसानों को
पुरस्कृत करने का शेड्यूल दिया गया है। दूसरे चरण में किसान मेले,
सब्जियों की प्रदर्शनी, खेती करने की विधि व उनका प्रसार, तीसरे चरण में
वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को ट्रेनिंग देना, किसान गोष्ठी व फसलों के
प्रदर्शनी प्लांटों का मौके पर मुआयना करना बताया गया है। चौथे चरण में
फसलों के प्लांट लगाने, किसानों को ट्रेनिंग देना, उनकी अन्य जिलों में
यात्रा करने का ब्यौरा दिया गया है।
ये होगा फायदा
किसानों को किसान गोष्ठी व खेती की तकनीकी की जानकारी के लिए बार बार
पानीपत कृषि उपनिदेशक कार्यालय का रूख करना पड़ता था। उन्हें कार्यRमों के
शेड्यूल की भी जानकारी नहीं होती थी। कृषि विभाग किसानों को जो पम्फलेट
जारी करता था उसमें योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं होती थी। दूसरा किसान
पंफ्लेटों को इधर उधर फेंक देते थे और वे योजनाओं को लाभ नहीं ले पाते थे।
अब कैलेंडर को किसान न सिर्फ घरों की दीवार पर टांग सकेंगे, बल्कि उसमें
छपी योजनाओं से लाभ ले सकेंगे।
कैलेंडर में कृषि संबंधित योजनाओं को दर्शाया गया है। इससे किसानों को घर
पर ही अधिकतर योजनाओं का पता चल पाएगा। वे तय कार्यम के अनुसार कृषि
वैज्ञानिकों से फसल उत्पादन को बढ़ाने की जानकारी ले पाएंगे। अगर यह प्रयोग
सफल रहा तो और कैलेंडर छपवाए जाएंगे।
डा. आरपी सिहाग, जिला उप कृषि निदेशक
को खेती करने की नई तकनीक जानने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। अब वे
आसानी से कैलेंडर के जरिए खेती के टिप्स जान पाएंगे।
कृषि विभाग ने एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी मैनेजमेंट एजेंसी( आत्मा) के तहत 6600
कैलेंडर छपवाए हैं। कैलेंडरों पर करीब 72 हजार रुपए का खर्च आया है। ये
कैलेंडर किसानों को कृषि विकास अधिकारियों, वन विभाग, पशुपालन विभाग व
मत्स्य विभाग के माध्यम से बांटे जाएंगे। कैलेंडर में योजनाओं को चित्रों
के माध्यम से बताया गया है। यह अनूठा प्रयोग कृषि विभाग ने पानीपत में किया
है।
होगा योजनाओं का ब्यौरा
कैलेंडर में कृषि विभाग की किसानों के हित में चलाई गई योजनाओं का पूरा
ब्यौरा है। इन योजनाओं को चार चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में किसान
ट्रेनिंग कैंप, प्रदर्शनी, किसानों की खेत में क्लास, प्रगतिशील किसानों को
पुरस्कृत करने का शेड्यूल दिया गया है। दूसरे चरण में किसान मेले,
सब्जियों की प्रदर्शनी, खेती करने की विधि व उनका प्रसार, तीसरे चरण में
वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को ट्रेनिंग देना, किसान गोष्ठी व फसलों के
प्रदर्शनी प्लांटों का मौके पर मुआयना करना बताया गया है। चौथे चरण में
फसलों के प्लांट लगाने, किसानों को ट्रेनिंग देना, उनकी अन्य जिलों में
यात्रा करने का ब्यौरा दिया गया है।
ये होगा फायदा
किसानों को किसान गोष्ठी व खेती की तकनीकी की जानकारी के लिए बार बार
पानीपत कृषि उपनिदेशक कार्यालय का रूख करना पड़ता था। उन्हें कार्यRमों के
शेड्यूल की भी जानकारी नहीं होती थी। कृषि विभाग किसानों को जो पम्फलेट
जारी करता था उसमें योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं होती थी। दूसरा किसान
पंफ्लेटों को इधर उधर फेंक देते थे और वे योजनाओं को लाभ नहीं ले पाते थे।
अब कैलेंडर को किसान न सिर्फ घरों की दीवार पर टांग सकेंगे, बल्कि उसमें
छपी योजनाओं से लाभ ले सकेंगे।
कैलेंडर में कृषि संबंधित योजनाओं को दर्शाया गया है। इससे किसानों को घर
पर ही अधिकतर योजनाओं का पता चल पाएगा। वे तय कार्यम के अनुसार कृषि
वैज्ञानिकों से फसल उत्पादन को बढ़ाने की जानकारी ले पाएंगे। अगर यह प्रयोग
सफल रहा तो और कैलेंडर छपवाए जाएंगे।
डा. आरपी सिहाग, जिला उप कृषि निदेशक