पुणे। कृषि मंत्री शरद पवार ने महंगाई के लिए अपने मंत्रालय को
जिम्मेदार ठहराए जाने का बचाव करते हुए कहा कि महंगाई से निपटने के लिए
उच्चस्तर पर विचार विमर्श और तैयारी की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री और
वित्त मंत्री भी शामिल होते हैं।
पवार ने शनिवार को यहां पुणे से 100 किलोमीटर दूर मानचर में
संवाददाताओं से कहा, ‘महंगाई को काबू में करने के उपायों पर विचार विमर्श
के लिए उच्चस्तर पर विचार किया जाता है और यह सामूहिक निर्णय की प्रक्रिया
होती है, इसमें प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के आर्थिक
सलाहकार भी उपस्थित होते हैं। हम इस बारे में कोई भी नीति बनाने के लिए सभी
राज्यों से सूचनाएं जुटाते हैं।’
महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर
निशाना साधे जाने के सवाल पर पवार ने केवल इतना कहा, ‘मूल्यवृद्धि के लिए
कृषि मंत्रालय पर दोष मढ़ना सही नहीं है।’ कृषि मंत्री ने कहा, ‘कृषि
मंत्रालय का काम यह देखना है कि देश में गेहूं, चावल, चीनी और तिलहन का
उपयुक्त मात्रा में उत्पादन हो। फिलहाल इस मामले में हमारे पास अगले दो से
तीन साल का भंडार मौजूद है। दूसरे देशों के मुकाबले भारत में इस समय इन
जिंसों के दाम सस्ते हैं।
प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि
इसकी समीक्षा तभी होगी, जब इसकी आवश्यकता महसूस होगी। दूध के दामों के
बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि मांग और आपूर्ति में अंतर की वजह से
दूध के दाम ऊंचे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार डेयरी क्षेत्र को प्रोत्साहन
देने पर विचार कर रही है।