रायपुर.मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसग़ढ की जीवन रेखा महानदी पर
जांजगीर-चांपा, रायग़ढ और रायपुर जिले में प्रस्तावित सात विशाल बैराजो के
निर्माण से उद्योगों के साथ-साथ किसानों को खेती के लिए भी पर्याप्त पानी
उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ये सातों विशाल बैराज अत्याधुनिक तकनीक से बनाए जाएंगे।
इनमें उद्योगों के लिए भूमिगत पाइप लाइनों के द्वारा और सिंचाई के लिए
लिफ्ट प्रणाली से पानी दिया जा सकेगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि इन बैराजों के निर्माण से संबंधित इलाकों में भूमिगत जल
स्तर ब़ढेगा, जिससे कुओं, तालाबों और नलकूपों के जल स्तर में भी वृद्धि
होगी। इसके फलस्वरूप निस्तारी और पेयजल सुविधा सहित खेती-किसानी में भी
ग्रामीणों और किसानों को सुविधा होगी।
सातों बैराजों में सौन्दयीकरण के लिए लैंडस्केपिंग भी की जाएगी। डॉ. सिंह
ने कहा कि महानदी छत्तीसगढ़ की पवित्र नदी है और हमारी जीवन रेखा है। इसलिए
इस नदी को अथवा इस पर निर्मित गंगरेल बांध को बेचने का तो सवाल ही नही
उठता। इस प्रकार की सभी आशंकाएं निराधार हैं।
छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक जल संपदा का उपयोग सिंचाई, निस्तारी और पेयजल के
लिए करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार को किसानों
के हितों का पूरा ध्यान है। इसके साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास
के लिए उद्योगों को भी पानी देना जरूरी है।
इन दोनों उददेश्यों को ध्यान में रखकर महानदी पर सात विशेष बैराजों का
निर्माण प्रस्तावित है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के जलसंसाधन विभाग
द्वारा छत्तीसग़ढ में जांजगीर-चांपा, रायग़ढ और रायपुर जिले में महानदी पर
सात विशेष बैराज प्रस्तावित किए गए हैं।
इनके लिए राज्य शासन द्वारा लगभग एक हजार 467 करो़ड रूपए की प्रशासकीय
स्वीकृति प्रदान की गई है। इन योजनाओं से प्रदेश सरकार को 628 करो़ड रूपए
से अधिक वार्षिक राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।
प्रस्तावित बैराजों में जांजगीर-चांपा जिले में शिवरीनारायण बैराज, बसंतपुर
बैराज, मिरौनी बैराज और कुदरी बैराज, रायग़ढ जिले में साराडीह और कलमा
बैराज तथा रायपुर जिले में समोदा बैराज शामिल हैं। कोरबा जिले में हसदेव
नदी पर ग्राम कुदरमाल में एनीकट निर्माण का भी प्रस्ताव है।
डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसग़ढ की जीवन रेखा महानदी पर
जांजगीर-चांपा, रायग़ढ और रायपुर जिले में प्रस्तावित सात विशाल बैराजो के
निर्माण से उद्योगों के साथ-साथ किसानों को खेती के लिए भी पर्याप्त पानी
उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ये सातों विशाल बैराज अत्याधुनिक तकनीक से बनाए जाएंगे।
इनमें उद्योगों के लिए भूमिगत पाइप लाइनों के द्वारा और सिंचाई के लिए
लिफ्ट प्रणाली से पानी दिया जा सकेगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि इन बैराजों के निर्माण से संबंधित इलाकों में भूमिगत जल
स्तर ब़ढेगा, जिससे कुओं, तालाबों और नलकूपों के जल स्तर में भी वृद्धि
होगी। इसके फलस्वरूप निस्तारी और पेयजल सुविधा सहित खेती-किसानी में भी
ग्रामीणों और किसानों को सुविधा होगी।
सातों बैराजों में सौन्दयीकरण के लिए लैंडस्केपिंग भी की जाएगी। डॉ. सिंह
ने कहा कि महानदी छत्तीसगढ़ की पवित्र नदी है और हमारी जीवन रेखा है। इसलिए
इस नदी को अथवा इस पर निर्मित गंगरेल बांध को बेचने का तो सवाल ही नही
उठता। इस प्रकार की सभी आशंकाएं निराधार हैं।
छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक जल संपदा का उपयोग सिंचाई, निस्तारी और पेयजल के
लिए करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार को किसानों
के हितों का पूरा ध्यान है। इसके साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास
के लिए उद्योगों को भी पानी देना जरूरी है।
इन दोनों उददेश्यों को ध्यान में रखकर महानदी पर सात विशेष बैराजों का
निर्माण प्रस्तावित है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के जलसंसाधन विभाग
द्वारा छत्तीसग़ढ में जांजगीर-चांपा, रायग़ढ और रायपुर जिले में महानदी पर
सात विशेष बैराज प्रस्तावित किए गए हैं।
इनके लिए राज्य शासन द्वारा लगभग एक हजार 467 करो़ड रूपए की प्रशासकीय
स्वीकृति प्रदान की गई है। इन योजनाओं से प्रदेश सरकार को 628 करो़ड रूपए
से अधिक वार्षिक राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।
प्रस्तावित बैराजों में जांजगीर-चांपा जिले में शिवरीनारायण बैराज, बसंतपुर
बैराज, मिरौनी बैराज और कुदरी बैराज, रायग़ढ जिले में साराडीह और कलमा
बैराज तथा रायपुर जिले में समोदा बैराज शामिल हैं। कोरबा जिले में हसदेव
नदी पर ग्राम कुदरमाल में एनीकट निर्माण का भी प्रस्ताव है।