नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंकार के
बाद गरीबों [बीपीएल] की गणना कराने की ग्रामीण विकास मंत्रालय की मंशा को
करारा झटका लगा है। इससे बीपीएल परिवारों का सर्वेक्षण कराने और उन्हें
चिह्नित करने का काम लटक गया है। गृह मंत्रालय ने जाति गणना के साथ बीपीएल
सर्वेक्षण की योजना में खामियां गिनाते हुए इसे कराने से मना किया है।
बीपीएल सर्वेक्षण कराने से पहले पायलट परियोजना कराई गई, जिसके नतीजों
और आंकड़ों का ग्रामीण विकास मंत्रालय में विश्लेषण किया जा रहा है। जाति
गणना के साथ बीपीएल सर्वे कराने की जल्दी में ग्रामीण विकास मंत्री सीपी
जोशी ने गृहमंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात भी कर ली। इस दौरान ग्रामीण
विकास मंत्रालय की तरफ से चिदंबरम को प्रस्तावित सर्वेक्षण की योजना की
विस्तृत रिपोर्ट दिखाई गई। इसे देखने के बाद गृह मंत्री ने व्यवहारिक
दिक्कतों का हवाला देते हुए ऐसा करने से इंकार कर दिया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चिदंबरम ने बताया कि जाति
गणना में कुछ सीमित सवाल पूछे जाने हैं, जबकि बीपीएल सर्वेक्षण में
विस्तृत प्रश्न सूची है।
दरअसल जाति गणना जून से सितंबर 2011 के बीच पूरी करनी है। इसमें सिर्फ
एक सवाल पूछा जाना है, जिसके लिए शिक्षकों की सेवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन
शिक्षा के अधिकार कानून के चलते बीपीएल सर्वेक्षण के लिए शिक्षकों की
सेवाएं लेना संभव नहीं है। उक्त कानून के तहत शिक्षकों की सेवाएं शिक्षा के
अलावा बहुत सीमित कार्यो में ही ली जा सकती हैं। कम से कम सामाजिक-आर्थिक
सर्वेक्षणों की जिम्मेदारी उन पर नहीं डाली जा सकती है। साथ ही बीपीएल में
सवालों की लंबी सूची होगी, जिसमें काफी समय लगेगा।
बीपीएल परिवारों की पहली गणना के हिसाब से देश में कुल 6.52 करोड़
परिवार हैं। योजना आयोग के ताजा अनुमान के मुताबिक बीपीएल परिवारों की
संख्या 8.10 करोड़ हो गई है। इन्हीं परिवारों को चिह्नित करने के लिए तैयार
मॉडल के अनुरूप सर्वेक्षण कराया जाना है।