जबलपुर.
ठंड के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनजीवन किस हद तक अस्त-व्यस्त हो
चला है, इसकी बानगी शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम रैगवां में
देखने को मिलती है, जहां मौसम की मार के चलते ग्रामीणजन न तो चैनपूर्वक जी
पा रहे हैं और न ही ठीक तरह से अपने दैनिक कार्य निपटा पा रहे हैं।
पूरा क्षेत्र भीषण ठंड की चपेट में है एवं बच्चों से लेकर बूढ़े सभी
बीमारियों की गिरफ्त में हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से शीत ऋतु
पूरे शवाब पर है और ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को
मिल रहा है।
15 दिन में हुए बीमार
रैगवां में रहने वाली 40 वर्षीय महिला मुन्नी बाई ने बताया कि जिस तरह की
ठंड इस बार देखने को मिली है, वैसी उन्होंने अपने जीवन में करीब 25 वर्ष
पूर्व देखी थी। बीते 15 दिनों में जिस तरह मौसम की मार पड़ी है, उससे आधा
गांव बीमार हो गया है एवं हर घर में सर्दी-खांसी एवं बुखार के साथ ही
डायरिया के मरीज भी बढ़ गये हैं। उनके अनुसार ग्राम में अधिकांशत: गरीब एवं
अनपढ़ लोग निवास करते हैं और इस तीखी ठंड में भी उनकी खबर लेने न तो ग्राम
पंचायत और न ही शासन का कोई अधिकारी अभी तक आया है।
नहीं काटने देते लकड़ियां
कृषि कार्य करने वाले 20 वर्षीय युवक राजकुमार काछी ने बताया कि इस मौसम
में मदद की गुहार लेकर जब भी वे सरपंच के पास जाते हैं तो उन्हें घुड़की के
अलावा कुछ नहीं मिलता। यही नहीं आग तापने के लिये लकड़ियां मांगने जब किसी
के खेत में जाते हैं तो वहां से भगा दिया जाता है और दोबारा नहीं आने तक
की धमकियां दी जाती हैं।
1 घर के 8 बच्चे बीमर
ग्राम के युवक दुर्गेश कुमार ने बताया कि उनके परिवार के 8 बच्चे ठंड के
कारण इन दिनों बीमार चल रहे हैं और क्षेत्र में चिकित्सक नहीं होने के कारण
उन्हें शहर तक बार-बार ले जाना पड़ता है। इन बच्चों में कु. कविता, सोनम,
मोनल,सपना,शशि,रश्मि,मुस्कान एवं साहिल आदि शामिल हैं। इन सभी को तेज बुखार
एवं सिरदर्द की शिकायत लगातार बनी हुई है।
बिजली ने बढ़ायी परेशानी
ग्राम में रहने वाले गणोश दुबे ने बताया कि इस मौसम में बिजली की मार ने
लोगों की परेशानियां और भी बढ़ा दी हैं। 24 में से केवल 9 घंटे ही बिजली
मिल पा रही है, जिससे ग्रामीण जहां अंधेरे में जीने मजबूर हैं, वहीं चाहकर
भी वे हीटर आदि का उपयोगनहीं कर पा रहे हैं।
विद्युत मंडल के अधिकारियों से बात करने पर वे कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
उनके अलावा क्षेत्र में किसानों ने चने एवं मसूर की खेती की थी, परंतु पाला
ने उसे पूरी तरह नष्ट कर दिया है।
ठंड के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनजीवन किस हद तक अस्त-व्यस्त हो
चला है, इसकी बानगी शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम रैगवां में
देखने को मिलती है, जहां मौसम की मार के चलते ग्रामीणजन न तो चैनपूर्वक जी
पा रहे हैं और न ही ठीक तरह से अपने दैनिक कार्य निपटा पा रहे हैं।
पूरा क्षेत्र भीषण ठंड की चपेट में है एवं बच्चों से लेकर बूढ़े सभी
बीमारियों की गिरफ्त में हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से शीत ऋतु
पूरे शवाब पर है और ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को
मिल रहा है।
15 दिन में हुए बीमार
रैगवां में रहने वाली 40 वर्षीय महिला मुन्नी बाई ने बताया कि जिस तरह की
ठंड इस बार देखने को मिली है, वैसी उन्होंने अपने जीवन में करीब 25 वर्ष
पूर्व देखी थी। बीते 15 दिनों में जिस तरह मौसम की मार पड़ी है, उससे आधा
गांव बीमार हो गया है एवं हर घर में सर्दी-खांसी एवं बुखार के साथ ही
डायरिया के मरीज भी बढ़ गये हैं। उनके अनुसार ग्राम में अधिकांशत: गरीब एवं
अनपढ़ लोग निवास करते हैं और इस तीखी ठंड में भी उनकी खबर लेने न तो ग्राम
पंचायत और न ही शासन का कोई अधिकारी अभी तक आया है।
नहीं काटने देते लकड़ियां
कृषि कार्य करने वाले 20 वर्षीय युवक राजकुमार काछी ने बताया कि इस मौसम
में मदद की गुहार लेकर जब भी वे सरपंच के पास जाते हैं तो उन्हें घुड़की के
अलावा कुछ नहीं मिलता। यही नहीं आग तापने के लिये लकड़ियां मांगने जब किसी
के खेत में जाते हैं तो वहां से भगा दिया जाता है और दोबारा नहीं आने तक
की धमकियां दी जाती हैं।
1 घर के 8 बच्चे बीमर
ग्राम के युवक दुर्गेश कुमार ने बताया कि उनके परिवार के 8 बच्चे ठंड के
कारण इन दिनों बीमार चल रहे हैं और क्षेत्र में चिकित्सक नहीं होने के कारण
उन्हें शहर तक बार-बार ले जाना पड़ता है। इन बच्चों में कु. कविता, सोनम,
मोनल,सपना,शशि,रश्मि,मुस्कान एवं साहिल आदि शामिल हैं। इन सभी को तेज बुखार
एवं सिरदर्द की शिकायत लगातार बनी हुई है।
बिजली ने बढ़ायी परेशानी
ग्राम में रहने वाले गणोश दुबे ने बताया कि इस मौसम में बिजली की मार ने
लोगों की परेशानियां और भी बढ़ा दी हैं। 24 में से केवल 9 घंटे ही बिजली
मिल पा रही है, जिससे ग्रामीण जहां अंधेरे में जीने मजबूर हैं, वहीं चाहकर
भी वे हीटर आदि का उपयोगनहीं कर पा रहे हैं।
विद्युत मंडल के अधिकारियों से बात करने पर वे कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
उनके अलावा क्षेत्र में किसानों ने चने एवं मसूर की खेती की थी, परंतु पाला
ने उसे पूरी तरह नष्ट कर दिया है।