अम्बाला. इंडस्ट्रियल
मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) के लिए प्रस्तावित 1852 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के
फैसले पर सीएम ने 22 दिसंबर को किसानों को पुनर्विचार का आश्वासन दिया था।
मगर उसके बाद कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिलने से खफा किसानों ने अब 18
जनवरी से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान कर दिया है।
पहले हफ्ते धरना शांतिपूर्ण रहेगा। उसके बाद भूख हड़ताल, जाम व पुतले जलाने
के कार्यक्रम होंगे।
खतौली में जमीन बचाओ किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हुई कई गांवों के
किसानों की महापंचायत में यह ऐलान किया गया। खास बात यह रही इस महापंचायत
में एक ही मंच पर कांग्रेस, इनेलो और भाजपा के नेताओं ने भूमि अधिग्रहण के
विरोध में जान की बाजी लगाने का ऐलान किया।
किसानों ने पहले यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष राव चिंरजीवी यादव, यूथ
कांग्रेस के अम्बाला लोकसभा प्रभारी हिम्मत सिंह, भाजपा विधायक दल के नेता
अनिल विज, मुलाना से इनेलो विधायक राजबीर बराड़ा, इनेलो जिलाध्यक्ष
बलविंद्र पुनिया, यूथ अध्यक्ष मनदीप बोपाराय, सुरजीत सोंडा, पूर्व विधायक
रोशनलाल आर्य के भाषण सुने। उसके बाद आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष सूबेदार बलवंत सिंह ने कहा कि सीएम ने पुनर्विचार
का भरोसा दिलाया था, जिसके बाद किसानों ने 24 दिसंबर से शुरू होने वाले
आंदोलन को टाल दिया था। मगर अभी तक सरकार की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं आया।
मंच पर बॉल कभी इस पाले तो कभी उस
महापंचायत में भाजपा विधायक दल के नेता अनिल विज ने कहा कि सरकार ने
किसानों के इस आंदोलन को तारपीडो करने की कोशिश की है। सीएम चाहते तो
किसानों के समक्ष ही धारा 4 रद्द करने की घोषणा कर सकते थे। सीएम को
पुनर्विचार करने की जरूरत क्या है? जब सोनिया गांधी भी कहती हैं कि उपजाऊ
जमीन अधिग्रहित नहीं होनी चाहिए तो अड़चन क्या है? क्या सीएम के ऊपर भी कोई
‘सीएम’ है?
किसानों को संबोधित करते हुए मुलाना हल्के से विधायक राजबीर बराड़ा ने कहा
कि किसानों के पास जमीन न रही तो क्या करेंगे। जमीन बचाने के लिए किसानों
को लड़ना ही होगा। इनेलो प्रदेश उपाध्यक्ष सुरजीत सोंडा ने कहा कि जमीन
बचाने के रास्ते में हुड्डा से भी बड़ा रोड़ा विधायक विनोद शर्मा हैं।
मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) के लिए प्रस्तावित 1852 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के
फैसले पर सीएम ने 22 दिसंबर को किसानों को पुनर्विचार का आश्वासन दिया था।
मगर उसके बाद कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिलने से खफा किसानों ने अब 18
जनवरी से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान कर दिया है।
पहले हफ्ते धरना शांतिपूर्ण रहेगा। उसके बाद भूख हड़ताल, जाम व पुतले जलाने
के कार्यक्रम होंगे।
खतौली में जमीन बचाओ किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हुई कई गांवों के
किसानों की महापंचायत में यह ऐलान किया गया। खास बात यह रही इस महापंचायत
में एक ही मंच पर कांग्रेस, इनेलो और भाजपा के नेताओं ने भूमि अधिग्रहण के
विरोध में जान की बाजी लगाने का ऐलान किया।
किसानों ने पहले यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष राव चिंरजीवी यादव, यूथ
कांग्रेस के अम्बाला लोकसभा प्रभारी हिम्मत सिंह, भाजपा विधायक दल के नेता
अनिल विज, मुलाना से इनेलो विधायक राजबीर बराड़ा, इनेलो जिलाध्यक्ष
बलविंद्र पुनिया, यूथ अध्यक्ष मनदीप बोपाराय, सुरजीत सोंडा, पूर्व विधायक
रोशनलाल आर्य के भाषण सुने। उसके बाद आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष सूबेदार बलवंत सिंह ने कहा कि सीएम ने पुनर्विचार
का भरोसा दिलाया था, जिसके बाद किसानों ने 24 दिसंबर से शुरू होने वाले
आंदोलन को टाल दिया था। मगर अभी तक सरकार की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं आया।
मंच पर बॉल कभी इस पाले तो कभी उस
महापंचायत में भाजपा विधायक दल के नेता अनिल विज ने कहा कि सरकार ने
किसानों के इस आंदोलन को तारपीडो करने की कोशिश की है। सीएम चाहते तो
किसानों के समक्ष ही धारा 4 रद्द करने की घोषणा कर सकते थे। सीएम को
पुनर्विचार करने की जरूरत क्या है? जब सोनिया गांधी भी कहती हैं कि उपजाऊ
जमीन अधिग्रहित नहीं होनी चाहिए तो अड़चन क्या है? क्या सीएम के ऊपर भी कोई
‘सीएम’ है?
किसानों को संबोधित करते हुए मुलाना हल्के से विधायक राजबीर बराड़ा ने कहा
कि किसानों के पास जमीन न रही तो क्या करेंगे। जमीन बचाने के लिए किसानों
को लड़ना ही होगा। इनेलो प्रदेश उपाध्यक्ष सुरजीत सोंडा ने कहा कि जमीन
बचाने के रास्ते में हुड्डा से भी बड़ा रोड़ा विधायक विनोद शर्मा हैं।