दमोह.
दमोह कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने किसानों की आत्महत्या करने के
मामले में कहा कि किसान अपना पाप ढो रहे हैं। उन्होंने जिस तरह जमीन में
केमिकलयुक्त दवाओं का उपयोग किया है, उससे जमीन तो खराब हुई ही है फसलों को
भी नुकसान हो रहा है इसलिए ये घटनाएं हो रहीं हैं। उन्होंने किसानों के
हितों का ध्यान न रखने की बात को अस्वीकार करते हुए उल्टा मीडिया पर आरोप
जड़ दिया कि वह किसानों को आत्महत्या के लिए प्रेरित कर रही है।
थम नहीं रहा कर्ज में दबे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला
फसल
बर्बाद होने के बाद कर्ज में डूबे किसानों के सामने आत्महत्या के अलावा
विकल्प नजर नहीं आ रहा है। बुधवार को फिर एक किसान ने आत्महत्या कर ली,
वहीं दो ने जहर पी लिया। प्रदेश में एक माह में अब तक सात किसान अपनी
जीवनलीला समाप्त कर चुके हैं, वहीं प्रदेश के नेता इनकी तकलीफें दूर करने
की बजाए एक दूसरे पर दोष मढ़ने पर आमादा है।
नरसिंहपुर और दमोह जिले की घटना
किसानों
द्वारा आत्महत्या या इसका प्रयास करने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है।
बुधवार को नरसिंहपुर में एक किसान ट्रेन के नीचे आकर कट गया, वहीं दमोह
जिले में दो किसानों ने जहर पीकर जान देने का प्रयास किया। तीनों घटनाओं
में कारण किसानों का कर्ज में डूबना बताया जा रहा है।
नहीं बचा था कोई काम
नरसिंहपुर
में मंगलवार की रात तेंदूखेड़ा निवारी चौखेलाल मेहरा नाम एक किसान ने
ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी। चौखेलाल के भाई कमलेश के अनुसार उसके खेत की
फसल पाले से खराब हो गई थी और उसने किराए पर एक ट्रैक्टर लिया था। काम न
होने की वजह से ट्रैक्टर घर पर ही खड़ा हुआ था। इसे लेकर चौखेलाल काफी
परेशान था।
ठेके पर ली थी जमीन
दमोह जिले के हटा
ब्लॉक के बोरीखुर्द गांव में बुधवार की सुबह फसल खराब होने से चिंतित किसान
कनई (30) पिता हीरालाल पटेल ने कीटनाशक पी लिया। अस्पताल में उसने नायब
तहसीलदार क्षमा सराफ को बयान दिया कि उसने गांव के कुछ लोगों से जमीन ठेके
पर ली थी जिसके लिए उसने कर्ज लिया था और अब कर्ज चुकाने की स्थिति में
नहीं था।
दमोह कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने किसानों की आत्महत्या करने के
मामले में कहा कि किसान अपना पाप ढो रहे हैं। उन्होंने जिस तरह जमीन में
केमिकलयुक्त दवाओं का उपयोग किया है, उससे जमीन तो खराब हुई ही है फसलों को
भी नुकसान हो रहा है इसलिए ये घटनाएं हो रहीं हैं। उन्होंने किसानों के
हितों का ध्यान न रखने की बात को अस्वीकार करते हुए उल्टा मीडिया पर आरोप
जड़ दिया कि वह किसानों को आत्महत्या के लिए प्रेरित कर रही है।
थम नहीं रहा कर्ज में दबे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला
फसल
बर्बाद होने के बाद कर्ज में डूबे किसानों के सामने आत्महत्या के अलावा
विकल्प नजर नहीं आ रहा है। बुधवार को फिर एक किसान ने आत्महत्या कर ली,
वहीं दो ने जहर पी लिया। प्रदेश में एक माह में अब तक सात किसान अपनी
जीवनलीला समाप्त कर चुके हैं, वहीं प्रदेश के नेता इनकी तकलीफें दूर करने
की बजाए एक दूसरे पर दोष मढ़ने पर आमादा है।
नरसिंहपुर और दमोह जिले की घटना
किसानों
द्वारा आत्महत्या या इसका प्रयास करने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है।
बुधवार को नरसिंहपुर में एक किसान ट्रेन के नीचे आकर कट गया, वहीं दमोह
जिले में दो किसानों ने जहर पीकर जान देने का प्रयास किया। तीनों घटनाओं
में कारण किसानों का कर्ज में डूबना बताया जा रहा है।
नहीं बचा था कोई काम
नरसिंहपुर
में मंगलवार की रात तेंदूखेड़ा निवारी चौखेलाल मेहरा नाम एक किसान ने
ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी। चौखेलाल के भाई कमलेश के अनुसार उसके खेत की
फसल पाले से खराब हो गई थी और उसने किराए पर एक ट्रैक्टर लिया था। काम न
होने की वजह से ट्रैक्टर घर पर ही खड़ा हुआ था। इसे लेकर चौखेलाल काफी
परेशान था।
ठेके पर ली थी जमीन
दमोह जिले के हटा
ब्लॉक के बोरीखुर्द गांव में बुधवार की सुबह फसल खराब होने से चिंतित किसान
कनई (30) पिता हीरालाल पटेल ने कीटनाशक पी लिया। अस्पताल में उसने नायब
तहसीलदार क्षमा सराफ को बयान दिया कि उसने गांव के कुछ लोगों से जमीन ठेके
पर ली थी जिसके लिए उसने कर्ज लिया था और अब कर्ज चुकाने की स्थिति में
नहीं था।