शिमला।
इस बार बागबानों को प्लांटेशन के लिए सेब पौधे नहीं मिल रहे हैं। एक सेब
के पौधे की कीमत 65 से 70 रुपए के बीच हो गई है। जबकि पिछली साल एक पौधे की
कीमत 30 से 35 रुपए थी। सेब के पौधों की कीमत में इतना भारी उछाल इससे
पहले कभी नहीं आया। हर साल सेब के पौधे में 5 से 10 रुपए की बढ़ोतरी होती
आई है। इस बार बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार पौधों की मांग बढ़ने से कीमत
में इतना भारी उछाल आया है। इस बार कई साल के बाद दिसंबर माह में बारिश या
बर्फबारी हुई है। इसलिए यह साल पौधे की प्लांटेशन के लिए भी समय सबसे
अच्छा होता है।
बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. गुरदेव सिंह ने बताया कि इस बार मौसम अनुकूल
होने से मांग बढ़ रही है, कीमत बढ़ना स्वाभाविक है। विभाग भी बागबानों को
अपने स्तर पर प्रमाणित पौध अलग-अलग रेट पर उपलब्ध करवा रहा है।
बिना पंजीकरण के बिक रहे सेब पौधे
भारी भरकम कीमत का दंश झेल रहे बागबानों को मिल रहे पोधों की वैरायटी की
कोई गांरटी नहीं दी जा सकती है। कुल्लू और अपर शिमला के बाजार में बिकने
वाले स्थानीय और कुल्लवी पौधों के अधिकतर विक्रेताओं के पास बागवानी
पंजीकरण फार्म तक उपलब्ध नहीं हैं। जिससे इन पौधों की गुणवत्ता और विकास को
लेकर संदेह किया जा सकता है, लेकिन मजबूर बागबान के पास इन्हें खरीदने के
अलावा अब कोई चारा भी नहीं रहा है। स्थानीय स्तर पर पौधों की भारी मांग के
चलते रोहडू, जुब्बल, कोटखाई और किन्नौर के बागबान मजबूर हो कर कुल्लू से
सेब के पौधे मंगवा रहे हैं। ये पौधे बागबानों को स्थानीय स्तर पर मिलने
वाले पौधों से 5 से 10 रुपए सस्ते मिल रहे हैं लेकिन इन पौधों के कामयाब
होने की गारंटी कम रहती है।
हर दिन रिपोर्ट तलब की जा रही है : मदन
शिमला हिमाचल सरकारी उपक्रम एचपीएमसी इस बार प्रतिदिन टीएसओ की आपूर्ति की
रिपोर्ट तलब कर रही है। जबकि इससे पहले एचपीएमसी की ओर से ऐसा प्रावधान
नहीं किया गया था। यही कारण है कि इस बार एचपीएमसी ने 5 करोड़ रुपए का टी
स्प्रे ऑयल (टीएसओ) बागबानों को बेचने का लक्ष्य रखा। अब तक एचपीएमसी एक
करोड़ रुपए से ऊपर का टी स्प्रे ऑयल बागबानों को बेच चुका है। पिछले साल
एचपीएमसी की ओर से 2.75 करोड़ रुपए का टीएसओ मार्च तक बागबानों को बेचा गया
था। एचपीएमसी के एमडी मदन चौहान का कहना है कि इस बार बागबानों में टी
स्प्रे ऑयल की आपूर्ति में कमी नहीं आने दी जाएगी। प्रदेश में एचपीएसी के
सभी स्टोर में टीएसओ की आपूर्ति अधिक है। प्रतिदिन आपूर्ति की मांग स्टोर
निरिक्षक से मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि एचपीएमसी की कार्यप्रणाली
में काफी सुधार हुआ है। यह पहली बारहोगा जब टीएसओ की आपूर्ति इतने बड़े
पैमाने में प्रदेश भर में की जा रही है।
इस बार बागबानों को प्लांटेशन के लिए सेब पौधे नहीं मिल रहे हैं। एक सेब
के पौधे की कीमत 65 से 70 रुपए के बीच हो गई है। जबकि पिछली साल एक पौधे की
कीमत 30 से 35 रुपए थी। सेब के पौधों की कीमत में इतना भारी उछाल इससे
पहले कभी नहीं आया। हर साल सेब के पौधे में 5 से 10 रुपए की बढ़ोतरी होती
आई है। इस बार बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार पौधों की मांग बढ़ने से कीमत
में इतना भारी उछाल आया है। इस बार कई साल के बाद दिसंबर माह में बारिश या
बर्फबारी हुई है। इसलिए यह साल पौधे की प्लांटेशन के लिए भी समय सबसे
अच्छा होता है।
बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. गुरदेव सिंह ने बताया कि इस बार मौसम अनुकूल
होने से मांग बढ़ रही है, कीमत बढ़ना स्वाभाविक है। विभाग भी बागबानों को
अपने स्तर पर प्रमाणित पौध अलग-अलग रेट पर उपलब्ध करवा रहा है।
बिना पंजीकरण के बिक रहे सेब पौधे
भारी भरकम कीमत का दंश झेल रहे बागबानों को मिल रहे पोधों की वैरायटी की
कोई गांरटी नहीं दी जा सकती है। कुल्लू और अपर शिमला के बाजार में बिकने
वाले स्थानीय और कुल्लवी पौधों के अधिकतर विक्रेताओं के पास बागवानी
पंजीकरण फार्म तक उपलब्ध नहीं हैं। जिससे इन पौधों की गुणवत्ता और विकास को
लेकर संदेह किया जा सकता है, लेकिन मजबूर बागबान के पास इन्हें खरीदने के
अलावा अब कोई चारा भी नहीं रहा है। स्थानीय स्तर पर पौधों की भारी मांग के
चलते रोहडू, जुब्बल, कोटखाई और किन्नौर के बागबान मजबूर हो कर कुल्लू से
सेब के पौधे मंगवा रहे हैं। ये पौधे बागबानों को स्थानीय स्तर पर मिलने
वाले पौधों से 5 से 10 रुपए सस्ते मिल रहे हैं लेकिन इन पौधों के कामयाब
होने की गारंटी कम रहती है।
हर दिन रिपोर्ट तलब की जा रही है : मदन
शिमला हिमाचल सरकारी उपक्रम एचपीएमसी इस बार प्रतिदिन टीएसओ की आपूर्ति की
रिपोर्ट तलब कर रही है। जबकि इससे पहले एचपीएमसी की ओर से ऐसा प्रावधान
नहीं किया गया था। यही कारण है कि इस बार एचपीएमसी ने 5 करोड़ रुपए का टी
स्प्रे ऑयल (टीएसओ) बागबानों को बेचने का लक्ष्य रखा। अब तक एचपीएमसी एक
करोड़ रुपए से ऊपर का टी स्प्रे ऑयल बागबानों को बेच चुका है। पिछले साल
एचपीएमसी की ओर से 2.75 करोड़ रुपए का टीएसओ मार्च तक बागबानों को बेचा गया
था। एचपीएमसी के एमडी मदन चौहान का कहना है कि इस बार बागबानों में टी
स्प्रे ऑयल की आपूर्ति में कमी नहीं आने दी जाएगी। प्रदेश में एचपीएसी के
सभी स्टोर में टीएसओ की आपूर्ति अधिक है। प्रतिदिन आपूर्ति की मांग स्टोर
निरिक्षक से मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि एचपीएमसी की कार्यप्रणाली
में काफी सुधार हुआ है। यह पहली बारहोगा जब टीएसओ की आपूर्ति इतने बड़े
पैमाने में प्रदेश भर में की जा रही है।