शिमला।
पंचायत चुनाव जीतने के बाद चुनावी थकान उतार रहे जन प्रतिनिधियों को अब
प्रशिक्षण के लिए कमर कसनी पड़ेगी। ग्रामीण सत्ता संचालन करने के गुर सीखने
के बाद कई तरह के विशेषज्ञता कोर्स करने होंगे। शपथ ग्रहण बाद चुनकर आए जन
प्रतिनिधियों को निचले स्तर पर सरकार चलाने का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा।
सरकार ने पंचायती राज संस्थानों व नगर निकाय चुनाव में जीतकर आए
प्रतिनिधियों के लिए चार दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया है।
प्रशिक्षण के दौरान जनप्रतिनिधि की शक्तियां, उतरदायित्व और बदलते समय के
साथ समाज में आ रहे बदलाव को देखते हुए सामाजिक दायित्व पर आधारित होंगी।
इस दौरान जनप्रतिनिधियों को फीडबैक देना पड़ेगा। फाउंडेशन कोर्स के बाद चार
तरह के विशेषज्ञता कोर्स करने के लिए प्रतिनिधियों को समय निकालना पड़ेगा।
प्रदेश की 3243 पंचायतों और 28 निकायों से चुनकर आए 24782 जन प्रतिनिधियों
को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होना पड़ेगा। यह प्रशिक्षण अगले पांच
साल तक उनको मददगार साबित होगा। पंचायती राज विभाग प्रशिक्षण कार्यक्रम को
अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। प्रशिक्षण इस माह के अंत में शुरू होने की
संभावना है। देश की सबसे बड़ी रोजगार योजना ऑनलाइन होने के कारण जन
प्रतिनिधियों का जागरूक होना आवश्यक है।
फीडबैक देना पड़ेगा
विभाग ने पहली बार ऐसी व्यवस्था की है कि प्रशिक्षण औपचारिक न होकर परस्पर
सहभागिता पर केंद्रित रहेगा। फाउंडेशन कोर्स में जन प्रतिनिधियों को फीडबैक
फार्म भर कर देना पड़ेगा। इस रिपोर्ट में वह पूछ सकते हैं कि उन्हें किस
विषय पर और अधिक जानकारी चाहिए। पंचायती राज विभाग के निदेशक आएएन बत्ता ने
बताया कि प्रशिक्षण में नए विषयों का समावेश किया गया है।
चार दिन में होंगे 16 सत्र
प्रशिक्षण कार्यक्रम तय होने के बाद प्रदेश मुख्यालय के साथ लगती पंचायतों
के प्रतिनिधियों को हिप्पा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी तरह से
ब्लॉक,जिला और पंचायती राज संस्थानों में प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी। चार
दिन का फाऊंडेशन कोर्स पूरे प्रदेश में चार सप्ताह तक चलेगा। इसके बाद तीन
माह के भीतर विशेषज्ञता कोर्स में वित्त प्रबंधन, न्यायिक शक्तियां, वर्कस
प्रबंधन और सामान्य कार्यकलापों को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीन दिन के
प्रशिक्षण में सभी प्रतिनिधियोंे की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए
परस्पर संवाद की भी व्यवस्था रहेगी।
पंचायत चुनाव जीतने के बाद चुनावी थकान उतार रहे जन प्रतिनिधियों को अब
प्रशिक्षण के लिए कमर कसनी पड़ेगी। ग्रामीण सत्ता संचालन करने के गुर सीखने
के बाद कई तरह के विशेषज्ञता कोर्स करने होंगे। शपथ ग्रहण बाद चुनकर आए जन
प्रतिनिधियों को निचले स्तर पर सरकार चलाने का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा।
सरकार ने पंचायती राज संस्थानों व नगर निकाय चुनाव में जीतकर आए
प्रतिनिधियों के लिए चार दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया है।
प्रशिक्षण के दौरान जनप्रतिनिधि की शक्तियां, उतरदायित्व और बदलते समय के
साथ समाज में आ रहे बदलाव को देखते हुए सामाजिक दायित्व पर आधारित होंगी।
इस दौरान जनप्रतिनिधियों को फीडबैक देना पड़ेगा। फाउंडेशन कोर्स के बाद चार
तरह के विशेषज्ञता कोर्स करने के लिए प्रतिनिधियों को समय निकालना पड़ेगा।
प्रदेश की 3243 पंचायतों और 28 निकायों से चुनकर आए 24782 जन प्रतिनिधियों
को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होना पड़ेगा। यह प्रशिक्षण अगले पांच
साल तक उनको मददगार साबित होगा। पंचायती राज विभाग प्रशिक्षण कार्यक्रम को
अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। प्रशिक्षण इस माह के अंत में शुरू होने की
संभावना है। देश की सबसे बड़ी रोजगार योजना ऑनलाइन होने के कारण जन
प्रतिनिधियों का जागरूक होना आवश्यक है।
फीडबैक देना पड़ेगा
विभाग ने पहली बार ऐसी व्यवस्था की है कि प्रशिक्षण औपचारिक न होकर परस्पर
सहभागिता पर केंद्रित रहेगा। फाउंडेशन कोर्स में जन प्रतिनिधियों को फीडबैक
फार्म भर कर देना पड़ेगा। इस रिपोर्ट में वह पूछ सकते हैं कि उन्हें किस
विषय पर और अधिक जानकारी चाहिए। पंचायती राज विभाग के निदेशक आएएन बत्ता ने
बताया कि प्रशिक्षण में नए विषयों का समावेश किया गया है।
चार दिन में होंगे 16 सत्र
प्रशिक्षण कार्यक्रम तय होने के बाद प्रदेश मुख्यालय के साथ लगती पंचायतों
के प्रतिनिधियों को हिप्पा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी तरह से
ब्लॉक,जिला और पंचायती राज संस्थानों में प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी। चार
दिन का फाऊंडेशन कोर्स पूरे प्रदेश में चार सप्ताह तक चलेगा। इसके बाद तीन
माह के भीतर विशेषज्ञता कोर्स में वित्त प्रबंधन, न्यायिक शक्तियां, वर्कस
प्रबंधन और सामान्य कार्यकलापों को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीन दिन के
प्रशिक्षण में सभी प्रतिनिधियोंे की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए
परस्पर संवाद की भी व्यवस्था रहेगी।