रांची।
साजिद के पास ऐसी प्रतिभा है, जो किसी भी अभिभावक का सर गर्व से ऊंचा कर
दे। पहाड़ी टोला की झुग्गी-झोपड़ी में रहनेवाले साजिद के पिता कलीम अंसारी
पेशे से दर्जी हैं। दयनीय आर्थिक स्थिति के बावजूद साजिद हमेशा कुछ नया
करने का प्रयास करता रहता है। इसी प्रयास से उसने राइस फिल्टर मशीन बना
डाली। इस मशीन से जिससे गंदे चावल साफ हो सकते हैं।
इस नन्हीं मशीन से एक घंटे में तीन किलो चावल साफ किया जा सकता है। कहां से
मिली यह प्रेरणा, यह पूछने पर साजिद ने बताया कि आटा चक्की को देख कर यह
विचार मन में आया। हालांकि यह शुरुआत है, मैं इससे भी बेहतर करने के प्रयास
में लगा हूं। साजिद अभी गुरुनानक स्कूल रांची में छठी कक्षा का छात्र है।
यहां उसकी पढ़ाई पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के निर्देश पर नि:शुल्क हो
रही है।
क्या किया इस्तेमाल
220 वाट के दो ट्रांसफार्मर, आई कार्ड लटकाने वाला फीता, दो सीडी कैसेट, दो
बड़े बोतल का ढक्कन, लकड़ी का डब्बा, चावल के डस्ट को उड़ाने के लिए एक
बेहद छोटा पंखा, लोहे के दो चौड़े छड़ को नट वोल्ट द्वारा टाइट किया,
जिसमें पुल्ली सेट कर दिया, जिससे मशीन घूमती है। यह मशीन बिजली से चलती
है।
इंजीनियर बनना चाहता है साजिद
साजिद पहले आईएएस बनना चाहता था। अब उसकी चाहत इंजीनियर बनने की है। इस
संबंध में साजिद ने बताया कि उसे कुछ नई चीजों को बनाने में काफी अच्छा
लगता है। इसलिए इंजीनियर ही बनना चाहते हैं। उसे जिस चीज की जरूरत होती है,
पिता उपलब्ध कराते हैं। उसके पिता कलीम बताते हैं कि साजिद ने कभी
गैरजरूरी चीज की डिमांड नहीं की। इसलिए उसकी हर मांग को पूरा करने का
प्रयास करता हूं। वह अपनी स्कूल की छुट्टियों को अन्य बच्चों की तरह खेलने
में नहीं, बल्कि कुछ बनाने में इस्तेमाल करता है।
साजिद के पास ऐसी प्रतिभा है, जो किसी भी अभिभावक का सर गर्व से ऊंचा कर
दे। पहाड़ी टोला की झुग्गी-झोपड़ी में रहनेवाले साजिद के पिता कलीम अंसारी
पेशे से दर्जी हैं। दयनीय आर्थिक स्थिति के बावजूद साजिद हमेशा कुछ नया
करने का प्रयास करता रहता है। इसी प्रयास से उसने राइस फिल्टर मशीन बना
डाली। इस मशीन से जिससे गंदे चावल साफ हो सकते हैं।
इस नन्हीं मशीन से एक घंटे में तीन किलो चावल साफ किया जा सकता है। कहां से
मिली यह प्रेरणा, यह पूछने पर साजिद ने बताया कि आटा चक्की को देख कर यह
विचार मन में आया। हालांकि यह शुरुआत है, मैं इससे भी बेहतर करने के प्रयास
में लगा हूं। साजिद अभी गुरुनानक स्कूल रांची में छठी कक्षा का छात्र है।
यहां उसकी पढ़ाई पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के निर्देश पर नि:शुल्क हो
रही है।
क्या किया इस्तेमाल
220 वाट के दो ट्रांसफार्मर, आई कार्ड लटकाने वाला फीता, दो सीडी कैसेट, दो
बड़े बोतल का ढक्कन, लकड़ी का डब्बा, चावल के डस्ट को उड़ाने के लिए एक
बेहद छोटा पंखा, लोहे के दो चौड़े छड़ को नट वोल्ट द्वारा टाइट किया,
जिसमें पुल्ली सेट कर दिया, जिससे मशीन घूमती है। यह मशीन बिजली से चलती
है।
इंजीनियर बनना चाहता है साजिद
साजिद पहले आईएएस बनना चाहता था। अब उसकी चाहत इंजीनियर बनने की है। इस
संबंध में साजिद ने बताया कि उसे कुछ नई चीजों को बनाने में काफी अच्छा
लगता है। इसलिए इंजीनियर ही बनना चाहते हैं। उसे जिस चीज की जरूरत होती है,
पिता उपलब्ध कराते हैं। उसके पिता कलीम बताते हैं कि साजिद ने कभी
गैरजरूरी चीज की डिमांड नहीं की। इसलिए उसकी हर मांग को पूरा करने का
प्रयास करता हूं। वह अपनी स्कूल की छुट्टियों को अन्य बच्चों की तरह खेलने
में नहीं, बल्कि कुछ बनाने में इस्तेमाल करता है।