यूआईडी के 100 दिन, गांव में कुछ नहीं बदला

मुंबई प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सितंबर में आदिवासी टेंभली
गांव से यूनिक आइडेंटिटी (यूआईडी) कार्ड की आधार योजना का शुभारंभ किया था।
उस वक्त इस गांव के विकास के बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन तीन महीने
से अधिक समय बीत जाने के बाद भी यहां कुछ नहीं बदला है। महाराष्ट्र के
नंदुरबार जिले में स्थित इस गांव के 274 परिवारों में से 40 परिवार काम की
तलाश में गुजरात जा चुके हैं। गांव तक सड़क का निर्माण अधूरा पड़ा है। गांव
के आसपास शुरू हुई अधिकतर परियोजनाएं अधूरी हैं। रोजगार गारंटी योजना
(ईजीएस) के तहत गांववालों को काम नहीं मिल रहा है।




प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के आने से पहले सरकारी मशीनरी ने टेंभली को
बेहतर ढंग से पेश करने के लिए खूब मेहनत की। यहां तक कि दूसरी जगहों पर
जाकर काम कर रहे गांववालों को भी यूआईडी कार्ड लेने के लिए वापस बुलाया गया
था।




सरकार ने गांववालों के लिए बैंक ऑफ इंडिया में 1,400 खाते खोले थे। आज इन
सभी खातों में बैलेंस शून्य है। इनमें किसी तरह का लेनदेन नहीं हुआ है
क्योंकि पैसे ही नहीं जमा किए गए थे।




टेंभली ग्राम पंचायत की समिति के सदस्य सुभाष सोनावाने ने कहा, ‘यह एक
फिल्म की तरह लगता है। सरकारी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने दिखाया
कि वे हमारे लिए कितना काम करते हैं। प्रधानमंत्री जैसे ही वापस गए सभी
वादे भुला दिए गए।’ समिति के एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘हमने सोचा था कि कार्ड
मिलने के बाद हमें रोजमर्रा के काम के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। लेकिन ऐसा
नहीं हुआ है। लोग काम के लिए गुजरात जा रहे हैं। अधिकारी महीने में सिर्फ
10 दिन के लिए आते हैं और लंबित कार्र्यो को निपटाने के लिए कभी वापस नहीं
आते। हमारी परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है।’

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