जबलपुर।
आदिवासी शोषण मुक्ति संगठन डिण्डोरी के अध्यक्ष बसोरी सिंह मरावी की ओर से
भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि नर्मदा किनारे निर्माणाधीन पार्क
के पास स्थित जमीन पर भू-माफिया अतिक्रमण करके झुग्गी झोपड़ियां बना रहे
हैं। आरोप है कि पैसा दो जमीन लो का नारा लगाते हुए एक व्यक्ति के नाम पर
भू-माफिया चार-चार झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर बेचकर आदिवासियों का शोषण कर रहे
हैं।
आरोप यह भी है कि यदि कोई आदिवासी खुद झुग्गी बनाने की कोशिश करता है तो
उसे जान से मारने की धमकियां असामाजिक तत्वों द्वारा दी जाती हैं। इस मामले
में सरकार के संबंधित अधिकारियों को शिकायतें देने के बाद भी कोई कार्रवाई
न होने पर यह पत्र 4 अक्टूबर 2010 को हाईकोर्ट को भेजकर इन अतिक्रमणों को
हटाए जाने की प्रार्थना की गई है। पत्र में लगे आरोपों को संजीदगी से लेते
हुए हाईकोर्ट में उसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की गई।
मामले पर आज प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने राज्य सरकार की ओर से
उपस्थित उपमहाधिवक्ता कुमारेश पाठक को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के
निर्देश दिये।
आरटीआई में फीस को चुनौती
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने उस मामले पर राज्य सरकार व अन्य
से जवाब तलब किया है, जिसमें मप्र राइट टू इन्फॉर्मेशन रूल्स 2005 में किये
गये फीस के प्रावधान को चुनौती दी गई है। जबलपुर के अधारताल में रहने वाले
एसके चतुर्वेदी की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि केन्द्रीय लोक
सूचना आयोग के प्रावधानों में फीस शब्द का उल्लेख नहीं है, इसके बाद भी
राज्य सूचना अधिनियम के तहत फीस वसूलना अवैधानिक है। मामले पर आवेदक की ओर
से अधिवक्ता सुनील पिल्लई का पक्ष सुनने के बाद युगलपीठ ने राज्य सरकार के
विधि और विधायी विभाग के सचिव, मप्र राज्य सूचना आयोग व अन्य को 6 सप्ताह
में जवाब पेश करने के निर्देश दिये।
सरकार की अपील खारिज
सागर जिले में सत्य प्रतिलिपि देने वाले सेक्शन राइटरों के नियमितिकरण के
संबंध में एकलपीठ द्वारा दिये गये आदेश को चुनौती देने वाली सरकार की अपील
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने खारिज कर दी है। प्रकरण पर हुई
सुनवाई के दौरान सेक्शन राइटरों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी. सिंह ने
पैरवी की।
शिकायतों पर कार्रवाई करें जबलपुर एसपी
जस्टिस एके श्रीवास्तव की एकलपीठ ने कृषि सहकारी बैंक के प्रबंधकों द्वारा
पद का दुरुपयोग किये जाने संबंधी मामले का निराकरण करते हुए जबलपुर एसपी को
कहा कि वे विधि अनुसार कार्रवाई करें। अदालत ने कहा है कियाचिकाकर्ता
प्रहलाद पटेल और राकेश गर्ग द्वारा दी जाने वाली शिकायत पर प्रथम दृष्टया
संज्ञेय अपराध पाये जाने पर एसपी जरूरी निर्देश पारित करें।
/> इस मामले में याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि स्लीमनाबाद बैंक के प्रबंधक
वीरेन्द्र शुक्ला, अमादी (कटनी) के प्राथमिक कृषि साख समिति के प्रबंधक
रुद्रदत्त गर्ग, प्राथमिक कृषि साख समिति निरुंदपुर पनागर के रामरुद्र
शर्मा और प्राथमिक कृषि साख समिति स्लीमनाबाद के प्रबंधक विद्याधर मिश्रा
ने अपने राजनीतिक दबदबे का गलत इस्तेमाल किया और इसके कारण राज्य सरकार और
उनके संबंधित अधिकारी कार्रवाई करने में हिचकिचा रहे हैं।
याचिका में आरोप था कि इस सबके कारण जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक जबलपुर के
उद्देश्य दिन-ब-दिन प्रभावित हो रहे, जो अवैधानिक है। मामले पर आज हुई
सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से अधिवक्ता वेदप्रकाश नेमा ने अपना पक्ष
रखा। सुनवाई के बाद अदालत ने एसपी को कार्रवाई के निर्देश दिये।
आदिवासी शोषण मुक्ति संगठन डिण्डोरी के अध्यक्ष बसोरी सिंह मरावी की ओर से
भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि नर्मदा किनारे निर्माणाधीन पार्क
के पास स्थित जमीन पर भू-माफिया अतिक्रमण करके झुग्गी झोपड़ियां बना रहे
हैं। आरोप है कि पैसा दो जमीन लो का नारा लगाते हुए एक व्यक्ति के नाम पर
भू-माफिया चार-चार झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर बेचकर आदिवासियों का शोषण कर रहे
हैं।
आरोप यह भी है कि यदि कोई आदिवासी खुद झुग्गी बनाने की कोशिश करता है तो
उसे जान से मारने की धमकियां असामाजिक तत्वों द्वारा दी जाती हैं। इस मामले
में सरकार के संबंधित अधिकारियों को शिकायतें देने के बाद भी कोई कार्रवाई
न होने पर यह पत्र 4 अक्टूबर 2010 को हाईकोर्ट को भेजकर इन अतिक्रमणों को
हटाए जाने की प्रार्थना की गई है। पत्र में लगे आरोपों को संजीदगी से लेते
हुए हाईकोर्ट में उसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की गई।
मामले पर आज प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने राज्य सरकार की ओर से
उपस्थित उपमहाधिवक्ता कुमारेश पाठक को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के
निर्देश दिये।
आरटीआई में फीस को चुनौती
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने उस मामले पर राज्य सरकार व अन्य
से जवाब तलब किया है, जिसमें मप्र राइट टू इन्फॉर्मेशन रूल्स 2005 में किये
गये फीस के प्रावधान को चुनौती दी गई है। जबलपुर के अधारताल में रहने वाले
एसके चतुर्वेदी की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि केन्द्रीय लोक
सूचना आयोग के प्रावधानों में फीस शब्द का उल्लेख नहीं है, इसके बाद भी
राज्य सूचना अधिनियम के तहत फीस वसूलना अवैधानिक है। मामले पर आवेदक की ओर
से अधिवक्ता सुनील पिल्लई का पक्ष सुनने के बाद युगलपीठ ने राज्य सरकार के
विधि और विधायी विभाग के सचिव, मप्र राज्य सूचना आयोग व अन्य को 6 सप्ताह
में जवाब पेश करने के निर्देश दिये।
सरकार की अपील खारिज
सागर जिले में सत्य प्रतिलिपि देने वाले सेक्शन राइटरों के नियमितिकरण के
संबंध में एकलपीठ द्वारा दिये गये आदेश को चुनौती देने वाली सरकार की अपील
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने खारिज कर दी है। प्रकरण पर हुई
सुनवाई के दौरान सेक्शन राइटरों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी. सिंह ने
पैरवी की।
शिकायतों पर कार्रवाई करें जबलपुर एसपी
जस्टिस एके श्रीवास्तव की एकलपीठ ने कृषि सहकारी बैंक के प्रबंधकों द्वारा
पद का दुरुपयोग किये जाने संबंधी मामले का निराकरण करते हुए जबलपुर एसपी को
कहा कि वे विधि अनुसार कार्रवाई करें। अदालत ने कहा है कियाचिकाकर्ता
प्रहलाद पटेल और राकेश गर्ग द्वारा दी जाने वाली शिकायत पर प्रथम दृष्टया
संज्ञेय अपराध पाये जाने पर एसपी जरूरी निर्देश पारित करें।
/> इस मामले में याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि स्लीमनाबाद बैंक के प्रबंधक
वीरेन्द्र शुक्ला, अमादी (कटनी) के प्राथमिक कृषि साख समिति के प्रबंधक
रुद्रदत्त गर्ग, प्राथमिक कृषि साख समिति निरुंदपुर पनागर के रामरुद्र
शर्मा और प्राथमिक कृषि साख समिति स्लीमनाबाद के प्रबंधक विद्याधर मिश्रा
ने अपने राजनीतिक दबदबे का गलत इस्तेमाल किया और इसके कारण राज्य सरकार और
उनके संबंधित अधिकारी कार्रवाई करने में हिचकिचा रहे हैं।
याचिका में आरोप था कि इस सबके कारण जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक जबलपुर के
उद्देश्य दिन-ब-दिन प्रभावित हो रहे, जो अवैधानिक है। मामले पर आज हुई
सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से अधिवक्ता वेदप्रकाश नेमा ने अपना पक्ष
रखा। सुनवाई के बाद अदालत ने एसपी को कार्रवाई के निर्देश दिये।