गुड़गांव.
साइबर सिटी में औद्योगिक इकाइयां एवं होटल अब भू-जल का अत्यधिक दोहन नहीं
कर सकेंगे। भू-जल के बेलगाम दोहन पर लगाम कसने के लिए पंजाब एवं हरियाणा
हाई कोर्ट ने ट्यूबवेलों के व्यावसायिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का
निर्देश दिया है।
कोर्ट के निर्देशानुसार सोमवार को जिला उपायुक्त राजेंद्र कटारिया ने हुडा
सहित अन्य विभागों को रजिस्टर्ड ट्यूबवेलों के जरिए पानी के प्रयोग संबंधी
सूची तैयार करने का निर्देश जारी किया है। मिलेनियम सिटी में विभिन्न
औद्योगिक इकाइयों और होटलों में 8000 से 9000 के करीब बड़े ट्यूबवेल
कनेक्शन हैं। इसके अलावा लगभग 20 हजार छोटे बोरवेल कनेक्शन भी हैं।
इनसे बड़ी मात्रा में भू-जल निकाला जाता है। एक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) ने
हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भू-जल दोहन पर रोक लगाने की मांग की
थी। एनजीओ का कहना था कि वर्ष 2008 तक और इससे पहले गुड़गांव में जारी किए
ट्यूबवेल कनेक्शनों का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है जबकि उन्हें
लाइसेंस केवल घरेलू उपयोग के लिए दिया गया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भू-जल के दोहन पर रोक लगाने का निर्देश
दिया।इससे पूर्व वर्ष 2000 में भी कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि ट्यूबवैल के
जरिए निकाले जाने वाले भू-जल का केवल पेयजल अथवा सिंचाई के लिए ही उपयोग
किया जाना चाहिए। कटारिया का कहना है कि कोर्ट के निर्देशों के बाद वे
लाइसेंसशुदा ट्यूबवेल कनेक्शनों के पानी के उपयोग का ब्यौरा इकट्ठा कर रहे
हैं। विभिन्न विभागों को इनकी जांच के लिए कहा गया है।
पानी के मीटर की होगी जांच
कटारिया का कहना है कि ट्यूबवेल कनेक्शन लेने वालों के पानी के मीटरों की
भी जांच की जाएगी। इससे पानी के उपयोग की भी जानकारी मिल सकेगी।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी करें दुरुस्त
उपायुक्त ने औद्योगिक इकाइयों और होटलों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को भी
दुरुस्त करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि बहुत-सी इकाइयां और होटल इस
ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
नए बोरवैल पर भी पूर्ण पाबंदी
इससे पहले हाई कोर्ट ने गुड़गांव में नए ट्यूबवेल पर पूर्ण पाबंदी लगाई थी,
जिसके तहत आम व्यक्ति ही नहीं बल्कि नगर निगम, हुडा, जन स्वास्थ्य विभाग व
पीडब्ल्यूडी विभाग भी बिना कोर्ट की अनुमति के ट्यूबवेल नहीं लगा सकता।
उपायुक्त ने अधिसूचित क्षेत्र में शहर व साथ लगते औद्योगिक क्षेत्र के
अलावा जिले के 105 गांवों को प्रतिबंधित सूची में शामिल किया था।
उद्योग और होटलों की बढ़ेंगी मुश्किलें
style="text-align: justify">
हाईकोर्ट के नए निर्देशों के बाद औद्योगिक इकाइयों और होटलों की मुश्किलें
बढ़नी तय हैं। अभी तक लगभग सभी औद्योगिक इकाइयां व होटल, ट्यूबवैल की
सहायता से भू-जल का उपयोग तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिए कर रहे थे जबकि
अब वे केवल इसे पेयजल तथा छोटे-मोटे घरेलू उपयोग के रूप में ही कर सकेंगे।
ऐसे में पानी का प्रबंध करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
साइबर सिटी में औद्योगिक इकाइयां एवं होटल अब भू-जल का अत्यधिक दोहन नहीं
कर सकेंगे। भू-जल के बेलगाम दोहन पर लगाम कसने के लिए पंजाब एवं हरियाणा
हाई कोर्ट ने ट्यूबवेलों के व्यावसायिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का
निर्देश दिया है।
कोर्ट के निर्देशानुसार सोमवार को जिला उपायुक्त राजेंद्र कटारिया ने हुडा
सहित अन्य विभागों को रजिस्टर्ड ट्यूबवेलों के जरिए पानी के प्रयोग संबंधी
सूची तैयार करने का निर्देश जारी किया है। मिलेनियम सिटी में विभिन्न
औद्योगिक इकाइयों और होटलों में 8000 से 9000 के करीब बड़े ट्यूबवेल
कनेक्शन हैं। इसके अलावा लगभग 20 हजार छोटे बोरवेल कनेक्शन भी हैं।
इनसे बड़ी मात्रा में भू-जल निकाला जाता है। एक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) ने
हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भू-जल दोहन पर रोक लगाने की मांग की
थी। एनजीओ का कहना था कि वर्ष 2008 तक और इससे पहले गुड़गांव में जारी किए
ट्यूबवेल कनेक्शनों का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है जबकि उन्हें
लाइसेंस केवल घरेलू उपयोग के लिए दिया गया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भू-जल के दोहन पर रोक लगाने का निर्देश
दिया।इससे पूर्व वर्ष 2000 में भी कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि ट्यूबवैल के
जरिए निकाले जाने वाले भू-जल का केवल पेयजल अथवा सिंचाई के लिए ही उपयोग
किया जाना चाहिए। कटारिया का कहना है कि कोर्ट के निर्देशों के बाद वे
लाइसेंसशुदा ट्यूबवेल कनेक्शनों के पानी के उपयोग का ब्यौरा इकट्ठा कर रहे
हैं। विभिन्न विभागों को इनकी जांच के लिए कहा गया है।
पानी के मीटर की होगी जांच
कटारिया का कहना है कि ट्यूबवेल कनेक्शन लेने वालों के पानी के मीटरों की
भी जांच की जाएगी। इससे पानी के उपयोग की भी जानकारी मिल सकेगी।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी करें दुरुस्त
उपायुक्त ने औद्योगिक इकाइयों और होटलों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को भी
दुरुस्त करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि बहुत-सी इकाइयां और होटल इस
ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
नए बोरवैल पर भी पूर्ण पाबंदी
इससे पहले हाई कोर्ट ने गुड़गांव में नए ट्यूबवेल पर पूर्ण पाबंदी लगाई थी,
जिसके तहत आम व्यक्ति ही नहीं बल्कि नगर निगम, हुडा, जन स्वास्थ्य विभाग व
पीडब्ल्यूडी विभाग भी बिना कोर्ट की अनुमति के ट्यूबवेल नहीं लगा सकता।
उपायुक्त ने अधिसूचित क्षेत्र में शहर व साथ लगते औद्योगिक क्षेत्र के
अलावा जिले के 105 गांवों को प्रतिबंधित सूची में शामिल किया था।
उद्योग और होटलों की बढ़ेंगी मुश्किलें
style="text-align: justify">
हाईकोर्ट के नए निर्देशों के बाद औद्योगिक इकाइयों और होटलों की मुश्किलें
बढ़नी तय हैं। अभी तक लगभग सभी औद्योगिक इकाइयां व होटल, ट्यूबवैल की
सहायता से भू-जल का उपयोग तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिए कर रहे थे जबकि
अब वे केवल इसे पेयजल तथा छोटे-मोटे घरेलू उपयोग के रूप में ही कर सकेंगे।
ऐसे में पानी का प्रबंध करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।