रांची।
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के जमीन पर उतरने में अभी और
वक्त लगेगा। कारण राज्य के आधा से अधिक जिलों ने अब तक जिला गजट में चुनाव
संपन्न होने की अधिसूचना जारी नहीं की है। इसमें वैसे जिले भी शामिल हैं
जहां 15 दिन पूर्व चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं। और जब तक जिला गजट में
चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होगी, परोक्ष चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं
होगी। जिसके माध्यम से उप मुखिया, प्रमुख, उप प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष
और जिला परिषद उपाध्यक्ष का चुनाव होना है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिला गजट में प्रकाशित किए बगैर ही कई जिलों ने
राज्य निर्वाचन आयोग को परोक्ष निर्वाचन की तिथि पर स्वीकृति के लिए सूची
भेज दी। उसमें उप मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष तक के परोक्ष निर्वाचन
के कार्यक्रमों की सूची शामिल है।
इस पर आयोग ने जिलों को पहले जिला गजट में चुनाव की अधिसूचना प्रकाशित करने
के बाद परोक्ष निर्वाचन के कार्यक्रमों को स्वीकृति के लिए भेजने का
निर्देश दिया है। क्योंकि पंचायती राज अधिनियम में जब तक जिला गजट में
चुनाव की अधिसूचना प्रकाशित नहीं कर दी जाती तब तक परोक्ष निर्वाचन की
प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती। इधर जिलों के समक्ष समस्या यह है कि जिला गजट
में वार्ड पार्षद से लेकर पंचायत समिति के सभी सदस्यों के नामों का
प्रकाशन करना होता है।
एक एक जिले में वार्ड सदस्य, पंचायत समिति के सदस्य और मुखिया से लेकर अन्य
पदों पर सीधे निर्वाचित होनेवाले जनप्रतिनिधियों की संख्या दो से ढ़ाई
हजार तक है। इतने नामों को गजट में प्रकाशित करने में जिलों को वक्त लग रहा
है। यही कारण है कि गजट में प्रकाशित होने के बाद परोक्ष निर्वाचन की
प्रक्रिया पूरी होने और त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के फंक्शन में आने
में अभी और एक महीने से अधिक का समय लगेगा।
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के जमीन पर उतरने में अभी और
वक्त लगेगा। कारण राज्य के आधा से अधिक जिलों ने अब तक जिला गजट में चुनाव
संपन्न होने की अधिसूचना जारी नहीं की है। इसमें वैसे जिले भी शामिल हैं
जहां 15 दिन पूर्व चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं। और जब तक जिला गजट में
चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होगी, परोक्ष चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं
होगी। जिसके माध्यम से उप मुखिया, प्रमुख, उप प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष
और जिला परिषद उपाध्यक्ष का चुनाव होना है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिला गजट में प्रकाशित किए बगैर ही कई जिलों ने
राज्य निर्वाचन आयोग को परोक्ष निर्वाचन की तिथि पर स्वीकृति के लिए सूची
भेज दी। उसमें उप मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष तक के परोक्ष निर्वाचन
के कार्यक्रमों की सूची शामिल है।
इस पर आयोग ने जिलों को पहले जिला गजट में चुनाव की अधिसूचना प्रकाशित करने
के बाद परोक्ष निर्वाचन के कार्यक्रमों को स्वीकृति के लिए भेजने का
निर्देश दिया है। क्योंकि पंचायती राज अधिनियम में जब तक जिला गजट में
चुनाव की अधिसूचना प्रकाशित नहीं कर दी जाती तब तक परोक्ष निर्वाचन की
प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती। इधर जिलों के समक्ष समस्या यह है कि जिला गजट
में वार्ड पार्षद से लेकर पंचायत समिति के सभी सदस्यों के नामों का
प्रकाशन करना होता है।
एक एक जिले में वार्ड सदस्य, पंचायत समिति के सदस्य और मुखिया से लेकर अन्य
पदों पर सीधे निर्वाचित होनेवाले जनप्रतिनिधियों की संख्या दो से ढ़ाई
हजार तक है। इतने नामों को गजट में प्रकाशित करने में जिलों को वक्त लग रहा
है। यही कारण है कि गजट में प्रकाशित होने के बाद परोक्ष निर्वाचन की
प्रक्रिया पूरी होने और त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के फंक्शन में आने
में अभी और एक महीने से अधिक का समय लगेगा।