चंडीगढ़।
शिक्षा का अधिकार कानून लागू क्या हुआ, पंजाब के 7500 स्कूलों पर संकट के
बादल मंडराने लग गए। ये सभी स्कूल गैर मान्यता प्राप्त हैं। वैसे प्राइवेट
स्कूलों में 25 फीसदी सीटें पिछड़े वर्गो के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित
रखने और इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने, अध्यापक भर्ती करने
आदि के लिए उनके पास तीन साल का वक्त है। जिन स्कूलों ने मान्यता नहीं ली
है, उन्हें या तो एक्ट के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करके मान्यता लेनी
होगी या फिर स्कूलों को बंद करना होगा।
आरटीई में स्कूल किस तरह के होंगे, कितने बच्चों के पीछे कितने अध्यापक
होंगे, इनका वेतन और योग्यता क्या होगी, इस बारे में काफी विस्तार से वर्णन
किया गया है। राज्य के दस हजार प्राइवेट स्कूलों में से 7500 स्कूल ऐसे
हैं, जो इन नियमों का पालन नहीं करते। ऐसे में इन स्कूलों को या तो नियमों
का पालन करना होगा या फिर स्कूल रूपी इन दुकानों को बंद करना होगा।
स्कूलों को बंद करने का फैसला कहां तक लागू होगा, यह तो वक्त ही बताएगा,
लेकिन सरकार के लिए यह फैसला आसान बात नहीं है। दूसरा शिक्षा का अधिकार
एक्ट लागू होने के बाद जिन स्कूलों में 25 फीसदी गरीब वर्ग के
विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाना है, उनके लिए मिड डे मील भी देना होगा।
हालांकि इससे पहले यह केवल सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में ही लागू
है। इस पर खर्च होने वाले अतिरिक्त बजट का प्रबंध अभी सरकार को करना है।
एक्ट लागू करने में कई समस्याएं
स्कूलों में दाखिलों को लेकर भी समस्या आने की संभावना है। चूंकि 25 फीसदी
कमजोर वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए फीस अब सरकार
देगी, इसलिए भारी संख्या मंे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों से
माइग्रेशन की समस्या आएगी। इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में दाखिला किस तरह
दिया जाएगा? क्या सरकार इसे सेंटरलाइज करेगी या फिर दाखिले के हर
विद्यार्थी को विभिन्न स्कूलों के प्रोस्पेक्ट भरने होंगे। डायरेक्टर जनरल
स्कूल्ज कृष्ण कुमार मानते हैं कि अभी इस एक्ट को लागू करने में ये
दिक्कतें आ सकती हैं। इसके लिए तैयारी की जा रही है।
शिक्षा का अधिकार कानून लागू क्या हुआ, पंजाब के 7500 स्कूलों पर संकट के
बादल मंडराने लग गए। ये सभी स्कूल गैर मान्यता प्राप्त हैं। वैसे प्राइवेट
स्कूलों में 25 फीसदी सीटें पिछड़े वर्गो के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित
रखने और इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने, अध्यापक भर्ती करने
आदि के लिए उनके पास तीन साल का वक्त है। जिन स्कूलों ने मान्यता नहीं ली
है, उन्हें या तो एक्ट के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करके मान्यता लेनी
होगी या फिर स्कूलों को बंद करना होगा।
आरटीई में स्कूल किस तरह के होंगे, कितने बच्चों के पीछे कितने अध्यापक
होंगे, इनका वेतन और योग्यता क्या होगी, इस बारे में काफी विस्तार से वर्णन
किया गया है। राज्य के दस हजार प्राइवेट स्कूलों में से 7500 स्कूल ऐसे
हैं, जो इन नियमों का पालन नहीं करते। ऐसे में इन स्कूलों को या तो नियमों
का पालन करना होगा या फिर स्कूल रूपी इन दुकानों को बंद करना होगा।
स्कूलों को बंद करने का फैसला कहां तक लागू होगा, यह तो वक्त ही बताएगा,
लेकिन सरकार के लिए यह फैसला आसान बात नहीं है। दूसरा शिक्षा का अधिकार
एक्ट लागू होने के बाद जिन स्कूलों में 25 फीसदी गरीब वर्ग के
विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाना है, उनके लिए मिड डे मील भी देना होगा।
हालांकि इससे पहले यह केवल सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में ही लागू
है। इस पर खर्च होने वाले अतिरिक्त बजट का प्रबंध अभी सरकार को करना है।
एक्ट लागू करने में कई समस्याएं
स्कूलों में दाखिलों को लेकर भी समस्या आने की संभावना है। चूंकि 25 फीसदी
कमजोर वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए फीस अब सरकार
देगी, इसलिए भारी संख्या मंे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों से
माइग्रेशन की समस्या आएगी। इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में दाखिला किस तरह
दिया जाएगा? क्या सरकार इसे सेंटरलाइज करेगी या फिर दाखिले के हर
विद्यार्थी को विभिन्न स्कूलों के प्रोस्पेक्ट भरने होंगे। डायरेक्टर जनरल
स्कूल्ज कृष्ण कुमार मानते हैं कि अभी इस एक्ट को लागू करने में ये
दिक्कतें आ सकती हैं। इसके लिए तैयारी की जा रही है।