कृषि मंत्री के गृह जिले दमोह के किसान ने किया आत्मदाह

दमोह. प्रदेश के दमोह जिले में मौसम की मार,इल्ली से फसलें चौपट होने और नकली खाद-बीज के कारण किसान आत्महत्याएं करने को मजबूर हैं।


किसान
कर्ज लेकर खेती के लिए खाद और बीज खरीदते हैं, लेकिन नकली खाद और बीज
किसानों की अच्छी फसल की उम्मीदों पर बुरी तरह कहर ढा रहे हैं।


इल्लियों के प्रकोप और मौसम की मार से बर्बाद हुई फसलों के बाद कर्ज में डूबे एक किसान ने मंगलवार शाम आत्मदाह कर लिया।


एक
पखवाड़े में किसान द्वारा आत्महत्या का दूसरा मामला है। इससे पहले 15
दिसंबर को हर्रई गावं के किसान ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली थी।
कुलुआकलां गांव के नंदराम रैकवार (25) ने कर्ज लेकर गांव के ही मदन साहू से
20 एकड़ जमीन ठेके पर ली थी और उसमें अरहर,चना और मसूर की फसल बोई थी। जब
फसल में इल्लियां लगने लगी तो उसने दवाई का छिड़काव भी किया। परंतु वह
बेअसर रहा और उसकी पूरी फसल चौपट हो गई।


फसल चौपट होने के कारण किसान लगभग एक लाख के कर्ज में डूब गया।


मंगलवार
की शाम उसने अपने ही खेत में मिट्टी तेल डालकर खुद को आग लगा ली। हटा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान रात्रि 2 बजे के करीब उसने
दम तोड़ दिया।


पखवाड़े भर में आत्महत्या का दूसरा मामला
जिले के हटा ब्लॉक के कुलकवा गांव में किसान नंदराम की इलाज के दौरान मौत
हो गई। इस घटना के 14 दिन पूर्व ही 15 दिसंबर को कर्ज और खराब फसल से
परेशान होकर तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अंतर्गत हर्रई गांव में किसान नंदकिशोर
यादव ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली थी।


स्थानीय लोगों का
कहना है कि कृषि मंत्री के जिले में ही नकली खाद-बीज और कीटनाशक दवाइयों की
धड़ल्ले से बिक्रीकी जा रही है। इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही
है।


किसान इस धोखे के कारण कर्ज से लद रहे हैं।


नकली
खाद बीज से फसलें चौपट हो रही हैं। दोनों किसानों की आत्महत्याओं के बाद
क्षेत्र के किसानों ने कृषि मंत्री डॉ.रामकृष्ण कुसमरिया से इस्तीफे की
मांग की है।

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