जिले
के रोजगार कार्यालय में कुल ५३,४४४ बेरोजगारों का पंजीयन है ऐसे में पिछले
दस सालों में मात्र १७५ पदों की मांग आई है। वहीं पिछले दो सालों में तीन
लोगों को नियुक्ति मिल
पाई है।
भास्कर न्यूज & जयंत कुमार सिंह
जहां साल दर साल जिले में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं
सरकार द्वारा रोजगार उपलब्ध करवाने की स्थिति लगभग नगण्य दिखाई दे रही है।
रोजगार कार्यालय में दर्ज आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह स्पष्ट पता चल
जाता है कि पिछले दस सालों में मात्र १७५ पदों के लिए कार्यालय से आवश्यकता
की मांग की गई है। इसका प्रमाण है कि राज्य गठन के बाद से जहां रोजगार
कार्यालय में बेरोजगारों की संख्या १७,५४४ थी वहीं इन १० वर्षों में यह
बढ़कर ५३,४४४ के आंकड़े पर पहुंच गया है। जिसमें पुरूषों की संख्या ३८,५९८
है तो वहीं महिलाओं की संख्या १४,८४६ है। जबकि शुरुआती के तीन साल तो ऐसे
ही निकल गए जिसमें किसी भी प्रकार की न तो पदों के लिए रिक्तियां आई और न
ही कोई नियुक्ति हुई। २००१ में ११४ पदों के रिक्ती की जानकारी कार्यालय
द्वारा दी गई थी, लेकिन नियुक्ति एक भी नहीं हुई। वहीं २००२ में १२२ लोगों
को रिक्तियों की जानकारी दी गई थी लेकिन नियुक्ति इस बार भी नहीं की गई। हद
तो तब हो गई जब २००३ से २००८ तक लगभग दो हजार लोगों को रिक्तियों के संबंध
में पत्राचार द्वारा जानकारी दी गई जिसमें मात्र ५२ लोगों की ही नियुक्ति
हो सकी। जिला रोजगार अधिकारी आरजे राम ने बताया कि जैसे ही रोजगार कार्यालय
को विभागों की ओर से पदों की जानकारी भेजी जाती है।-शेष पेज १२
वे संबंधित योग्यता वाले उम्मीदवार को पत्राचार द्वारा जानकारी भेज देते
हैं। यह काम रोजगार कार्यालय में पंजीयन के वर्ष और संख्या के आधार पर किया
जाता है। जिसका पंजीयन पहले होता है उसे प्राथमिकता दी जाती है।
के रोजगार कार्यालय में कुल ५३,४४४ बेरोजगारों का पंजीयन है ऐसे में पिछले
दस सालों में मात्र १७५ पदों की मांग आई है। वहीं पिछले दो सालों में तीन
लोगों को नियुक्ति मिल
पाई है।
भास्कर न्यूज & जयंत कुमार सिंह
जहां साल दर साल जिले में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं
सरकार द्वारा रोजगार उपलब्ध करवाने की स्थिति लगभग नगण्य दिखाई दे रही है।
रोजगार कार्यालय में दर्ज आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह स्पष्ट पता चल
जाता है कि पिछले दस सालों में मात्र १७५ पदों के लिए कार्यालय से आवश्यकता
की मांग की गई है। इसका प्रमाण है कि राज्य गठन के बाद से जहां रोजगार
कार्यालय में बेरोजगारों की संख्या १७,५४४ थी वहीं इन १० वर्षों में यह
बढ़कर ५३,४४४ के आंकड़े पर पहुंच गया है। जिसमें पुरूषों की संख्या ३८,५९८
है तो वहीं महिलाओं की संख्या १४,८४६ है। जबकि शुरुआती के तीन साल तो ऐसे
ही निकल गए जिसमें किसी भी प्रकार की न तो पदों के लिए रिक्तियां आई और न
ही कोई नियुक्ति हुई। २००१ में ११४ पदों के रिक्ती की जानकारी कार्यालय
द्वारा दी गई थी, लेकिन नियुक्ति एक भी नहीं हुई। वहीं २००२ में १२२ लोगों
को रिक्तियों की जानकारी दी गई थी लेकिन नियुक्ति इस बार भी नहीं की गई। हद
तो तब हो गई जब २००३ से २००८ तक लगभग दो हजार लोगों को रिक्तियों के संबंध
में पत्राचार द्वारा जानकारी दी गई जिसमें मात्र ५२ लोगों की ही नियुक्ति
हो सकी। जिला रोजगार अधिकारी आरजे राम ने बताया कि जैसे ही रोजगार कार्यालय
को विभागों की ओर से पदों की जानकारी भेजी जाती है।-शेष पेज १२
वे संबंधित योग्यता वाले उम्मीदवार को पत्राचार द्वारा जानकारी भेज देते
हैं। यह काम रोजगार कार्यालय में पंजीयन के वर्ष और संख्या के आधार पर किया
जाता है। जिसका पंजीयन पहले होता है उसे प्राथमिकता दी जाती है।